B'day Special: गावस्कर ने कहा था, हम टूर्नामेंट न जीत पाते, अगर यह विकेटकीपर न होता
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B'day Special: गावस्कर ने कहा था, हम टूर्नामेंट न जीत पाते, अगर यह विकेटकीपर न होता

Indian Wicketkeeper: 1985  वर्ल्ड चैंपियनशिप में टीम इंडिया की जीत में सदानंद विश्वनाथ ने बेहतरीन विकेटकींपिंग की थी. 

सुनील गावस्कर सदानंद विश्नाथ को एक बेहतरीन विकेटकीपर मानते थे. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: एक क्रिकेट टीम में विकेटकीपर की भूमिका हमेशा ही कमतर ही आंकी गई है. टीम इंडिया (Team India) को अब तक कई सैयद किरमानी, फारूख इंजीनियर, एमएस धोनी जैसे कई शानदार विकेटकीपर मिले हैं. इनमें सदानंद विश्वनाथ (Sadanand Viswanath) ने अपनी प्रतिभा से छोटे करियर के बावजूद भारतीय क्रिकेट में खास पहचान बनाई. सदानंद शुक्रवार को 57 साल के हो रहे हैं. 

विकेटकीपिंग और बैटिंग
एक बार भारत के महान बल्लेबाज सुनील गावस्कर ने कॉमेंट्री करते हुए कहा था कि एक अच्छे विकेटकीपर की  खासियत यही होती है कि वह कभी नजर में नहीं आए. क्योंकि विकेटकीपर तभी नजर में आता है जब वह गलती करता है. वहीं यह भी सच है कि एक विकेटकीपर से हमेशी ही सफल बल्लेबाज होने की उम्मीद की गई है. बेंगलुरू में जन्मे सदानंद इन दोनों उम्मीदों पर खरे उतरने की काबिलियत रखते थे, जो उन्होंने 1985 के विश्व कप चैंपयनशिप में दिखाई. 

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छोटा करियर रहा सदानंद का
सदानंद को सैयद किरमानी की परंपरा विरासत में मिली और 1980 के दशक में किरमानी के बाद उन्होंने 1985 वर्ल्ड क्रिकेट चैंपियनशिप में शानदार कीपिंग कर लोगों का ध्यान भी खींचा, लेकिन वे अपने फॉर्म को कायम नहीं रख सके और जल्दी ही टीम इंडिया से वे गायब हो गए, लेकिन घरेलू क्रिकेट में वे बराबर सफलता हासिल करते रहे. विश्वनाथ ने अपने करियर में केवल तीन टेस्ट और 22 वनडे में ही भारत का प्रतिनिधित्व किया. 

किरमानी की विरासत 
किरमानी की रिटायरमेंट के समय कई विकेटकीपर टीम इंडिया में उनकी जगह लेने के दावेदार थे, लेकिन बाजी सदानंद ने मारी और उसके अनुरूप प्रदर्शन भी किया. लेकिन वे ज्यादा समय तक टीम इंडिया में रह न सके. विश्वनाथ के समकालीन दिग्गजों का मानना है कि सदानंद का इंटरनेशनल करियर का रिकॉर्ड उनकी प्रतिभा को सही तरीके से नहीं बता सकता. वे टीम इंडिया को बहुत कुछ दे सकते थे. 

बल्लेबाजी में नहीं है कोई यादगार पारी 
सदानंद बल्लेबाजी में बहुत ही आक्रामक बल्लेबाज तो थे, लेकिन उनमें निरंतरता का अभाव रहा. वनडे करियर में उन्होंने कई बार ऐसी बल्लेबाजी की जिससे लगा वे एक तूफानी बल्लेबाज हैं, लेकिन उनके आंकड़ों में ऐसा कुछ नहीं दिखाई देता.22 वनडे में वे 12 पारियों में केवल 72 रन बना सके जिसमें 23 नाबाद उनकी सबसे बड़ी पारी है. लेकिन सदांनद  की विकेटकीपिंग के बहुत लोग कयाल थे. खुद कप्तान गावस्कर ने कहा था कि टीम इंडिया का 1985 में टीम इंडिया की जीत का एक कारण यह भी था कि विकेट के पीछे सदानंद थे. 

ऐसा है रिकॉर्ड
सदानंद के नाम तीन टेस्ट में 11 कैच और 22 वनडे में 17 कैच और 7 स्टंपिंग हैं वहीं उनके नाम 74 फर्स्ट क्लास मैचों एक शतक और 23 फिफ्टी भी हैं. उनके नाम 3158 रन हैं. इन मैचों में उन्होंने 145 कैच और 34 स्टंप किए हैं. वहीं 48 लिस्ट ए क्रिकेट मैचों में उन्होंने 37 कैच और 16 स्टंपिंग कर दो फिफ्टी के साथ 424 रन बनाए हैं. उनका एक पारी में छह कैच लेने का कारनामा भी किया था. 

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