पेले अखबारों की रद्दी का गोला बनाकर फुटबॉल खेलते थे. लीग मैचों में करीब 650 और सीनियर मैचों में 1281 गोल दागने वाले पेले के पास शुरू में फुटबॉल किट खरीदने को पैसे नहीं थे, तब उन्होंने जूते पॉलिश कर पैसे जुटाए थे.
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फुटबॉल की दुनिया के जादूगर कहे जाने वाले ब्राजील के महान खिलाड़ी पेले का 82 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. गुरुवार को रिकॉर्ड तीन विश्वकप जीताने वाले पेले ने आखिरी सांस ली. कहा जाता है कि उनके पैरों का जादू जब चलता था तो दुनिया मानों थम जाती थी. उनके हुनर और पैरों की जादूगरी की दीवानगी इस कदर थी कि 45 साल पहले जब उन्होंने कलकता की जमीन पर पैर रखे तो पूरा शहर थम गया था. करीब 40 हजार लोग उनके दीदार के लिए एयरपोर्ट पहुंच गए थे.
फुटबॉल के लिए पॉलिस किए जूते
फुटबॉल की दुनिया में ब्राजील को सुपर पावर बनाने वाले पेले की शुरुआत संघर्षों से भरा रहा है. वो एक गरीब परिवार से आते थे, बचपन में साओ पाउलो की सड़कों पर वो अखबारों की रद्दी का गोला बनाकर फुटबॉल खेलते थे. लीग मैचों में करीब 650 और सीनियर मैचों में 1281 गोल दागने वाले पेले के पास शुरू में फुटबॉल किट खरीदने को पैसे नहीं थे, तब उन्होंने जूते पॉलिश कर पैसे जुटाए थे.
दीदार के लिए जुट गए थे हजारों लोग
इस धुरंधर फुटबॉलर का जादू ऐसा था कि कोलकाता आने पर हर कोई इनके दर्शन का आतुर था. इस महान फुटबॉलर ने बंगाल को फुटबॉल के खेल का दीवाना बना दिया था. 1977 में जब वो ईडन गार्डन्स के मैदान पर उतरे तो चारो ओर से पेले के नाम की आवाज गूंज रही थी. खचाखच भरे मैदान में मोहन बागान की टीम के खिलाफ न्यूयॉर्क कोस्मोस के लिए खेलने वाले पेले वहां के खिलाड़ियों के कायल हो गए थे.
सरकार ने पेले को रोक दिया था
पूरे मैच में मोहन बागान के खिलाड़ियों ने फुटबॉल के इस किंग को रोक के रखा और एक भी गोल नहीं करने दिया. हालांकि, पेनल्टी के कारण स्कोर 2-2 से बराबर हो गया था. इस मैच में गौतम सरकार को ये जिम्मेदारी मिली थी कि वो पेले को मैच में रोक कर रखें. उन्हें इस जिम्मेदारी को निभाने में कोई कसर नहीं छोड़ा था.
इस मैच के बाद पेले के लिए एक सम्मान समारोह का आयोजन होना था जहां उन्हें हीरे की अंगूठी से सम्मानित किया जाना था. लेकिन पेले वहां के खिलाड़ियों से मिलने लगे और उनसे बातें भी की. इस दौरान जैसे ही गौतम सरकार पर उनकी नजर पड़ी, उन्होंने सरकार को गले से लगा लिया.
भारतीय खिलाड़ी से क्या बोले थे पेले
सरकार 45 साल पुरानी बात को याद करते हुए कहते हैं कि पेल उनके करीब आए और कहा ,‘तुम वही 14 नंबर की जर्सी वाले हो न जिसने मुझे गोल नहीं करने दिया. मैं हैरान रह गया था.’ इसके बाद वहीं खड़े चुन्नी गोस्वामी ने सरकार से कहा था कि अब तुम फुटबॉल खेलना छोड़ दो. पेले ने तुम्हारी तारीफ की है, इसके बाद और क्या हासिल करना बचा है. पेले जैसा फुटबॉलर दुनिया में शायद कोई दूसरा नहीं हुआ.
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