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नई दिल्ली: क्रिकेटर्स अक्सर मैदान पर जितने पॉपुलर होते हैं उतना ही लोग उन्हें मैदान के बाहर भी फॉलो करते हैं. कई क्रिकेटर्स अपने रिटायरमेंट के बाद भी लोगों के दिलों पर छाए रहते हैं. कई क्रिकेटर्स के ऊपर फिल्म भी बन चुकी है. हाल ही में रिलीज हुई 83 इस बात का सबसे बड़ा उदाहरण है. अब क्रिकेटर हरभजन सिंह ने भी इच्छा जताई है कि आने वाले समय में उनके ऊपर एक बायोपिक बनाई जाए. Zee News के एडिटर इन चीफ सुधीर चौधरी के साथ एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में हरभजन सिंह ने इस मुद्दे पर खुलकर अपनी बात रखी है.
सुधीर चौधरी: आजकल क्रिकेट को लेकर फिल्में बन रही हैं, धोनी पर फिल्म बनी और अब 83 भी बनी, आप चाहते हैं कि आप पर भी फिल्म बने, आपकी बायोपिक बने?
हरभजन सिंह: मैं ज़रूर चाहूंगा कि मेरी जिंदगी पर वेब सीरीज या फिल्म बने और लोग जानें कि मैं कैसा हूं, क्या कुछ और कैसा होता है क्रिकेट के मैदान के बाहर. मैं अपनी किताब पर काम कर रहा हूं, मेरी किताब का नाम है, दूसरा चैप्टर, इसमें मेरी कहानी होगी, जो कुछ मैंने जिया, जो कुछ मैंने देखा. अक्सर देखा मैंने कि लोग आपके पीछे पड़ जाते हैं, आपको मैच भी जिताना है और ऐसे लोगों के बीच भी रहना है.
सुधीर चौधरी: आपकी फिल्म में विलेन कौन होगा?
हरभजन सिंह: मेरी फिल्म में विलेन कोई नहीं है, लेकिन जिदंगी में कुछ अच्छे लोग मिलते हैं कुछ उतने अच्छे लोग नहीं होते, लेकिन वो सब सिखा कर जाते हैं. आपने देखा होगा कि कैप्टन फील्ड पर गुस्से में आ जाता है, उसके पीछे वजहें होती हैं, उसे फील्ड पर और बाहर बहुत कुछ बोला जाता है. मैं अपनी कहानी बयान करना चाहता हूं, मेरी कहानी में एक नहीं कई विलेन होंगे.
सुधीर चौधरी: क्या आपको लगता है कि नए क्रिकेटर या आजकल के स्टार क्रिकेट खिलाड़ी कम और सेलेब्रिटी ज्यादा हैं, वे शूटिंग पर ज्यादा ध्यान देते हैं, तमाम एजेंसियों के साथ घिरे रहते हैं और अपनी ओवर ऑल पैकेजिंग करते हैं, क्या आपको लगता है कि उस वक्त आप अपनी पैकेजिंग नहीं कर सके?
हरभजन सिंह: मुझे कभी लगा नहीं कि मुझे ऐसा कुछ भी करने की जरूरत थी. उस वक्त सोशल मीडिया का जमाना भी नहीं था. आज तो सब कुछ सोशल मीडिया पर डाल दिया जाता है, प्राइवेट लाइफ जैसा कुछ बचा ही नहीं है और फिर वही लोग शिकायत करते हैं कि हमारी प्राइवेट लाइफ नहीं है. ये दो तरफा चीजें साथ चल नहीं सकतीं, सबका अपना-अपना नजरिया है, पहलू हैं, मुझे नहीं लगता कि ये अहम है. ये सब दिखावा है, ये साथ नहीं देता, बाकी चीजें यहीं रह जाती हैं. जब आप क्रिकेट या फिल्में छोड़ देते हो उसके बाद आपकी फैन फॉलोइंग नहीं रह जाती है, उसी वक्त बंदे की असली पहचान होती है, अच्छा इंसान है तो उसका वजूद रह जाता है, वर्ना खत्म हो जाता है. हमें इंसान अच्छा बनना है, इंस्टाग्राम पर अगर अंतरंगी कपड़े पहन कर, बत्तियां लगा कर, उल्टा चश्मा लगा कर आ जाऊं तो लोग कहेंगे कूल है लेकिन होता तो वो फूल ही है.
सुधीर चौधरी: विज्ञापनों में क्रिकेटर नजर आते हैं?
हरभजन सिंह: जो विज्ञापन कर रहे हैं उनसे ये सवाल पूछें तो वो बेहतर बता सकेंगे. ईमानदारी से मैं वही बता सकूंगा जो मुझ पर गुजरी है.
सुधीर चौधरी: क्या आपको मौका मिलता तो आप करते?
हरभजन सिंह: अभी तक तो नहीं किया है.