टीम इंडिया (Team India) के टेस्ट उपकप्तान अजिंक्य रहाणे (Ajinkya Rahane) ने मेलबर्न टेस्ट (Melbourne Test) के बाद एक भी शतक नहीं लगाया है जिसको लेकर उनकी काफी आलोचना भी हुई है. ऐसे में रहाणे इस परेशानी से कैसे निपटते हैं?
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साउथैम्पटन: भारतीय टेस्ट टीम के उप कप्तान अजिंक्य रहाणे (Ajinkya Rahane) को थोड़ी बहुत ‘आलोचनाओं’ से कोई दिक्कत नहीं है. वो कभी भी इस बात से ज्यादा परेशान नहीं हुए कि लोग उनके खेल के बारे में क्या सोचते हैं और वह टीम को जीत दिलाने के काम पर लगे रहे.
पिछले कुछ सालों में उनकी फार्म में उतार-चढ़ाव बना रहा और इसके बावजूद वह आईसीसी वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप चक्र के 2 सालों में 17 मैचों में 1095 रन बनाकर टीम के टॉप स्कोरर रहे और टीम इंडिया न्यूजीलैंड के खिलाफ डब्ल्यूटीसी फाइनल में जगह बनाने में कामयाब रही. रहाणे ने इस पर कहा, ‘ये काफी खास महसूस होता है.’
यह पूछने पर कि जब वह रन नहीं बना पाते तो अपनी आलोचनाओं के बारे में क्या सोचते हैं? इस पर अजिंक्य रहाणे (Ajinkya Rahane) ने कहा, ‘मुझे आलोचनाओं से परेशानी नहीं होती. मुझे लगता है कि मैं आलोचनाओं के कारण ही यहां हूं. मैं हमेशा अपना बेस्ट देना चाहता था, भले ही लोग मेरी आलोचनायें करते रहें.’
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ऑस्ट्रेलिया (Australia) के खिलाफ सीरीज में ऐतिहासिक जीत के दौरान कप्तान की जिम्मेदारी संभालने वाले अजिंक्य रहाणे (Ajinkya Rahane) ने कहा, ‘मेरे लिए अपने मुल्क के लिएअपना बेस्ट देना अहम है और बल्लेबाज या फील्डर के तौर पर हर बार मैं योगदान करना चाहता हूं.’
'ओलोचनाओं पर काबू नहीं'
रहाणे ने कहा, ‘मैं आलोचनाओं के बारे में सच में ज्यादा नहीं सोचता हूं. अगर लोग मेरी आलोचना करेंगे तो यह उनका सोचना है और यह उनका काम है. मैं इन सभी चीजों पर काबू नहीं कर सकता. मैं हमेशा उन चीजों पर ध्यान देता हूं, जिन पर मेरा कंट्रोल हैं और अपना बेस्ट करता हूं, कड़ी मेहनत करता हूं और इसके बाद नतीजा निकलता है.’
अजिंक्य रहाणे ने कहा कि अगर वह 40 रन भी बनाते हैं तो यह टीम के लिए फायदेमंद होने चाहिए, तभी उन्हें खुशी मिलेगी. उन्होंने कहा, ‘मैं अपना नैचुरल खेल ही खेलूंगा. जीतना सबसे अहम है भले ही मैं शतक बनाऊं या नहीं. मैं खुद को ज्यादा दबाव में भी नहीं लाना चाहता और अगर मेरे 30 या 40 रन टीम के लिए महत्वपूर्ण हैं तो मैं खुश हूं.’