भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच क्रिकेट इतिहास का सबसे बड़ा विवाद, पूरी टीम ने खेलने से किया था इंकार
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भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच क्रिकेट इतिहास का सबसे बड़ा विवाद, पूरी टीम ने खेलने से किया था इंकार

2007-08 में टीम इंडिया और ऑस्ट्रेलिया के बीच मंकीगेट विवाद हुआ था और उस में हरभजन सिंह के ऊपर रेसिज्म के गंभीर आरोप लगाए गए थे. तब पूरी टीम भज्जी के साथ डट कर खड़ी रही थी.

मंकीगेट विवाद (File Photo)

नई दिल्ली: टीम इंडिया (Team India) अभी ऑस्ट्रेलिया दौरे पर है और चार मैचों की बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी (Border Gavaskar Trophy) के दो मुकाबले खेले जा चुके हैं. टेस्ट सीरीज 1-1 से बराबर है और दोनों टीमों के बीच कड़ी टक्कर है. तीसरा मैच 7 जनवरी से शुरू होगा, लेकिन उससे पहले टीम इंडिया के खेमे में काफी हलचल हो रही है. उपकप्तान रोहित शर्मा (Rohit Sharma), शुभमन गिल (Shubman Gill), ऋषभ पंत (Rishabh Pant), नवदीप सैनी (Navdeep Saini) और पृथ्वी शॉ (Prithvi Shaw) पर जैव सुरक्षा प्रोटोकॉल का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है. हालांकि बीसीसीआई (BCCI) ने इन आरोपों को पूरी तरह से गलत बताया है. 

  1. भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच सबसे बड़ा विवाद
  2. 2007-08 में हुआ था मंकीगेट विवाद
  3. हरभजन सिंह पर लगा था रेसिज्म का गंभीर आरोप 
  4. पूरी टीम ने खेलेने से कर दिया था इंकार

बीसीसीआई (BCCI) अपने खिलाड़ियों के साथ हर तरीके से खड़ा है और किसी भी तरह से अपने खिलाड़ियों पर आरोप नहीं लगने देगा. ऐसा पहले भी हो चुका है जब इन दोनों टीमों के बीच विवाद इतना बढ़ गया था, कि भारतीय टीम ने खेलने से मना कर दिया था.

टीम इंडिया के साथ हुई थी बेईमानी

2007-08 में टीम इंडिया (Team India) ने ऑस्ट्रेलिया का दौरा किया था. भारतीय टीम मेलबर्न में 337 रनों की हार के बाद सीरीज में 0-1 से पीछे थी और दूसरा मुकाबला सिडनी के मैदान पर खेला जा रहा था. उस मुकाबले में टीम इंडिया ऑस्ट्रेलियाई टीम के ऊपर चढ़ कर खेल रही थी और कंगारुओं ने 193 रन पर 6 विकेट गंवा दिए थे.

इसके बाद शुरू हुआ खराब अंपायरिंग का दौर. एक नहीं, दो नहीं, कई बार भारतीय टीम के साथ बेईमानी हुई. 

ईशांत शर्मा की एक गेंद ने एंड्रयू सायमंड्स (Andrew Symonds) के बल्ले का किनारा पकड़ लिया. सबने इसे देखा और सुना लेकिन अंपायर स्टीव बकनर के कानों तक ये आवाज नहीं पहुंची.

वहीं हरभजन सिंह (Harbhajan Singh) की गेंद पर स्टंप आउट हुआ, स्टीव बकनर ने फिर भी उन्हें नॉट आउट करार दिया और थर्ड अंपायर से मदद नहीं मांगी.

यहां तक कि अनिल कुंबले (Anil Kumble) की गेंद पर जब स्टंप आउट की अपील हुई, तो थर्ड अंपायर ब्रूस ऑक्सनफोर्ड ने उनको नॉट आउट करार दे दिया. जबकि रीप्ले में दिखाई दे रहा था कि उनका पैर हवा में था और कमेंटेटर भी कह रहे थे कि सायमंड्स आउट हैं. 

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ऐसे कई गलत फैसले इस मुकाबले में लिए गए. आखिरी दिन भी  बल्लेबाजी करते हुए भी टीम इंडिया के साथ बेईमानी हुई. 38 रन पर खेल रहे राहुल द्रविड़ को एंड्रयू सायमंड्स (Andrew Symonds) की गेंद पर विकेटों के पीछे कैच आउट करार दे दिया. जबकि उनका पैड आगे था बल्ला गेंद से काफी दूर था लेकिन एडम गिलक्रिस्ट ने विकेटों के पीछे से अपील की और अंपायर ने द्रविड़ को आउट करार दे दिया.

इन दोनों टीमों के बीच क्रिकेट इतिहास का सबसे बड़ा विवाद ‘मंकीगेट’

दरअसल मैच के दौरान हरभजन सिंह (Harbhajan Singh) बल्लेबाजी कर रहे थे और एंड्र्यू सायमंड्स  (Andrew Symonds) के साथ भज्जी की बहस हो गई. जिसके बाद कप्तान रिकी पोंटिंग (Ricky Ponting) भड़क गए और अंपायर से हरभजन के खिलाफ शिकायत की. पोंटिंग ने हद इसलिए पार कर दी थी क्योंकि उन्होंने भज्जी पर स्लेजिंग का नहीं रेसिज्म का गंभीर आरोप लगाया था. उन्होंने कहा था कि हरभजन ने सायमंड्स को मैदान पर 'मंकी' यानि बंदर कहा है.

आईसीसी के नियम के मुताबिक नस्लीय टिप्पणी करना बहुत बड़ा आरोप है. किसी भी तरह की नस्लीय टिप्पणी को 'लेवल तीन' का अपराध माना जाता है. इसमें खिलाड़ी पर दो से चार टेस्ट का बैन लग सकता है.

दिन का खेल खत्म होने के बाद सुनवाई आधी रात तक चली और हरभजन को दोषी ठहराते हुए तीन मैचों का बैन लगा दिया गया. मुकाबला ऑस्ट्रेलिया ने जीत लिया, लेकिन असली विवाद इसके बाद शुरू हुआ.

भारत के कप्तान अनिल कुंबले और पूरी टीम हरभजन सिंह का साथ दे रही थी और उन्होंने ये साफ कर दिया कि वो अगला मैच जब तक नहीं खेलेंगे, जब तक भज्जी पर लगाए गए नस्लभेदी टिप्पणी के आरोप वापस नहीं लिए जाते. वहीं भारत में भी इसको लेकर विरोध प्रदर्शन होने लगा और खराब अंपायरिंग को लेकर काफी सवाल उठाए गए.

मामले में विवाद बढ़ता देख, आईसीसी ने इसकी सुनवाई न्यूज़ीलैंड के जज जॉन हैन्सन को सौंप दी. जज जॉन हैन्सन ने मामले की सुनवाई पूरी होने के बाद भज्जी पर लगे सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया गया और कहा कि ‘हरभजन ने सायमंड्स को 'मंकी' नहीं बल्कि 'तेरी मां की' कहा था’. इस वजह से इस विवाद को मंकीगेट विवाद कहा जाता है. 

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