लिवरपूल के क्लब इतिहास के एक महान खिलाड़ी रॉन येट्स का शुक्रवार रात 86 साल की उम्र में निधन हो गया. वे हाल के वर्षों में अल्जाइमर से पीड़ित थे. वे एफए कप जीतने वाले लिवरपूल के पहले कप्तान थे.
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लिवरपूल के क्लब इतिहास के एक महान खिलाड़ी रॉन येट्स का 86 साल की उम्र में निधन हो गया. वे हाल के वर्षों में अल्जाइमर से पीड़ित थे. वे एफए कप जीतने वाले लिवरपूल के पहले कप्तान थे. लिवरपूल ने शनिवार को एक बयान में कहा, 'लिवरपूल एफसी दिग्गज पूर्व कप्तान रॉन येट्स के निधन पर शोक व्यक्त कर रहा है. इस बेहद दुखद समय में एलएफसी में सभी की संवेदनाएं रॉन की पत्नी एन, उनके परिवार और उनके दोस्तों के साथ हैं. सम्मान के प्रतीक के रूप में आज क्लब की सभी जगहों पर झंडे आधे झुके रहेंगे.'
दिग्गज फुटबॉलर का निधन
जुलाई 1961 में डुंडी यूनाइटेड से साइन किए गए डिफेंडर येट्स रेड्स में शैंक्ली की नवोदित क्रांति के परिवर्तनकारी खिलाड़ियों में से एक थे, जिन्होंने क्लब को सेकंड डिवीजन में लंबे समय तक फंसे रहने के बाद निराशा से बाहर निकालने में मदद की. 1961-62 में अपने पहले अभियान के दौरान येट्स ने 41 लीग मैच खेले. मर्सीसाइड में आने के कुछ ही महीनों बाद उन्हें कप्तान नियुक्त किया गया. वो 8 सीजन तक कप्तान की भूमिका बखूबी निभाते रहे.शायद एनफील्ड में उनके खेल करियर की सबसे अमिट छवि अगले वर्ष बनी, जब येट्स वेम्बली में सीढ़ियां चढ़ने वाले और पहली बार एफए कप जीतने वाले व्यक्ति थे.
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लिवरपूल के लिए खेले 454 मैच
येट्स ने लिवरपूल के लिए कुल 454 मैच खेले. उनमें से 400 से अधिक कप्तान के रूप में थे. केवल स्टीवन गेरार्ड ने रेड्स के लिए अधिक अवसरों पर आर्मबैंड पहना है. येट्स ने 70 के दशक के अंत में अपने जूते लटकाने से पहले ट्रैनमेरे रोवर्स, स्टेलीब्रिज सेल्टिक, लॉस एंजेलिस स्काईहॉक्स, बैरो, सांता बारबरा कोंडोर्स और फॉर्मबी का प्रतिनिधित्व किया. हालांकि, उनकी एलएफसी कहानी खत्म नहीं हुई थी. 1986 में, येट्स को मुख्य स्काउट के पद पर क्लब में वापस लाया गया. 2006 में रिटायरमेंट होने से पहले 20 साल तक सेवा की.
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'पहला कप्तान बनने पर गर्व'
एनफील्ड में अपनी सबसे बड़ी उपलब्धियों के बारे में बात करते हुए येट्स ने एक बार कहा था, 'उनमें से दो हैं. आठ साल के बाद क्लब को सेकंड डिवीजन से बाहर निकालने वाले कप्तान बनना बहुत ही गर्व का क्षण था. हमने उस सीजन में आठ या नौ अंकों से लीग जीती और उसके बाद एफए कप उठाने वाले लिवरपूल के पहले कप्तान बनना कुछ ऐसा है जिस पर मुझे बहुत गर्व है. मैं अपने सीने पर मेडल लेकर नहीं घूमता, यह सिर्फ कहने के लिए है.'