वर्ल्डकप जीतने के 7 साल बाद धोनी ने उठाया इस राज से पर्दा, क्यों आए थे युवराज से पहले
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वर्ल्डकप जीतने के 7 साल बाद धोनी ने उठाया इस राज से पर्दा, क्यों आए थे युवराज से पहले

इस पूरे टूनामेंट में युवराज सिंह जबरदस्त फॉर्म में चल रहे थे. ऐसे में धोनी के पहले बल्लेबाजी के लिए उतरने पर कई तरह के सवाल खड़े किए गए थे.

महेंद्र सिंह धोनी ने छक्का जड़कर भारत को दिलाया था वर्ल्ड कप (File Photo/Reuters)

नई दिल्ली: पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में भारत ने आईसीसी वर्ल्डकप 2011 दूसरी बार अपनी झोली में डाला था. मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में महेंद्र सिंह धोनी ने शानदार 91 रनों की पारी खेलकर भारत को वर्ल्डकप दिलवाया था. इस मैच में महेंद्र सिंह धोनी ने एक बदलाव किया था. इस बदलाव की काफी लंबे वक्त तक चर्चा होती रही थी. इस मैच में युवराज सिंह से पहले महेंद्र सिंह धोनी बल्लेबाजी करने के लिए उतरे थे. बता दें कि इससे पहले भारत ने 1983 में कपिल देव की कप्तानी में भारत को पहला वर्ल्ड कप दिलवाया था.  

  1. भारत ने पहला वर्ल्ड कप 1983 में जीता था
  2. 1983 में टीम इंडिया के कप्तान कपिल देव थे
  3. धोनी ने फाइनल में 91 रनों की पारी खेली थी

इस पूरे टूनामेंट में युवराज सिंह जबरदस्त फॉर्म में चल रहे थे. ऐसे में धोनी के पहले उतरने पर कई तरह के सवाल खड़े किए गए थे. हाल ही में टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए एक इंटरव्यू में महेंद्र सिंह धोनी ने इस राज से पर्दा उठाया है.

वर्ल्डकप जीतने के सात साल बाद धोनी ने खुद को युवराज से पहले आने के कारण के बारे में बताया है. उन्होंने बताया- मैं जानता था कि श्रीलंका के अधिकतर गेंदबाज चेन्नई सुपर किंग्स का हिस्सा रहे थे, इसलिए मैंने खुद को प्रमोट किया. मुथैया मुरलीधरण उस समय गेंदबाजी कर रहे थे. मैंने सीएसके के नेट पर मुरली को खूब खेला है. ऐसे में मुझे पूरा विश्वास था कि मैं रन बना सकूंगा. यही एक कारण था जिसकी वजह से मैंने युवराज सिंह से पहले खुद को प्रमोट किया.

बता दें कि उस टूर्नामेंट के बाद से महेंद्र सिंह धोनी को भारत के लिए अनेक बार मैच फिनिश करते देखा गया. भारत और श्रीलंका के बीच हुए फाइनल मैच में भारत के दोनों ओपनर- वीरेंद्र सहवाग और सचिन तेंदुलकर जल्दी आउट हो गए थे. इसके बाद गौतम गंभीर और विराट कोहली के बीच 83 रनों की भागीदारी हुई. कोहली के आउट होने के बाद धोनी बल्लेबाजी करने आए और गंभीर के साथ 109 रनों की भागीदारी हुई. गंभीर ने शानदार 97 रनों की पारी खेली. अंतिम चार ओवरों में भारत को 27 रन बनाने थे. महेंद्र सिंह धोनी और युवराज सिंह ने धैर्यपूर्वक ये लक्ष्य हासिल कर लिया. 49वें ओवर में दोनी ने नुवान कुलाशेखरा की गेंद क छक्के के लिए मारा और भारत 28 साल बाद दोबारा विश्व कप जीतने में कामयाब हो गया.

सहवाग ने बताई थी कुछ और कहानी
वीरेंद्र सहवाग ने विक्रम साठे के शो 'व्हॉट द डक' में इस राज को खोलते हुए कुछ और कहानी बताई थी. सहवाग ने बताया था कि बताया कि, यह सचिन तेंदुलकर का विचार था. ड्रेसिंग रूम में सचिन तेंदुलकर चर्चा कर रहे थे, तभी धोनी वहां आए. सचिन ने उन्हें बल्लेबाजी क्रम में पहले जाने के लिए कहा. उस वक्त क्रीज पर विराट कोहली और गौतम गंभीर बल्लेबाजी कर रहे थे. सहवाग ने बताया कि, सचिन ने महेंद्र सिंह धोनी से कहा कि यदि दाएं हाथ का बल्लेबाज आउट होता है तो दाएं हाथ के बल्लेबाज को जाना चाहिए. और यदि बाएं हाथ का बल्लेबाज आउट होता है तो बाएं हाथ के बल्लेबाज को जाना चाहिए. यह कहने के बाद सचिन तेंदुलकर बाथरूम में चले गए. जब वापस आए तो विराट कोहली आउट हो चुके थे और युवराज सिंह की जगह महेंद्र सिंह धोनी बल्लेबाजी करने चले गए थे. 

धोनी ने 'छक्का' मार विश्वकप देश के नाम किया 
जब मैच जीतने के लिए 11 गेंदों पर 4 रन की दरकार थी, धोनी ने वही किया जो वे बखूबी करते रहे हैं. उन्होंने नुवान कुलसेकरा की गेंद को लांग ऑन के ऊपर से एक शानदार छक्के के लिए खेल दिया. भारत ने लंका को 6 विकेटों से मात दे दी.

मैन ऑफ द मैच बने थे धोनी
'मैन ऑफ द मैच' महेंद्र सिंह धोनी नाबाद 91 रन बनाए. युवराज सिंह को 'प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट' का खिताब दिया गया. युवराज ने क्रिकेट विश्व कप 2011 के नौ मैचों में  362 रन बनाए जिसमें एक शतक और चार अर्धशतक भी शामिल है.

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