जस्टिस जावेद रहीम की अध्यक्षता वाली पीठ ने जल संसाधन मंत्रालय, भारतीय क्रिकेट बोर्ड और उन नौ राज्यों को नोटिस दिये हैं जहां मैच होने हैं.
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नई दिल्ली : इंडियन प्रीमियर लीग मैचों के दौरान रोजाना लाखों लीटर पानी की बर्बादी की वजह से टूर्नामेंट पर प्रतिबंध लगाने की याचिका पर राष्ट्रीय हरित अधिकरण ( एनजीटी) ने केंद्र, बीसीसीआई और अन्य से जवाब मांगा है. जस्टिस जावेद रहीम की अध्यक्षता वाली पीठ ने जल संसाधन मंत्रालय, भारतीय क्रिकेट बोर्ड और उन नौ राज्यों को नोटिस दिये हैं जहां मैच होने हैं. सभी पक्षों को दो सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा गया है. मामले की अगली सुनवाई 28 अप्रैल को है.
अलवर के एक युवा हैदर अली ने आईपीएल के दौरान पानी की बेतहाशा बर्बादी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर याचिका दायर की है. इसमें कहा गया, ‘संबंधित अधिकारियों को व्यावसायिक उद्देश्यों से इस टूर्नामेंट के आयोजन से रोका जाये जो नौ स्थानों पर होना है.’
2016 में भी उठा था पानी की बर्बादी का मुद्दा
इससे पहले 2016 में भी आईपीएल शुरू होने से पहले भी पानी की बर्बादी का मुद्दा उठा था. उस समय बीसीसीआई और महाराष्ट्र में उसके सहयोगियों को बॉम्बे हाईकोर्ट ने झटका देते हुए कहा था कि आईपीएल के मैच महाराष्ट्र में अभूतपूर्व जल संकट को देखते हुए यहां से बाहर किए जाने चाहिए. न्यायमूर्ति वी.एम. कानाडे और न्यायमूर्ति एम.एस.कार्निक की खंडपीठ ने सख्ती से कहा, "आप पानी कैसे बर्बाद कर सकते हैं? आपके लिए मैच ज्यादा महत्वपूर्ण हैं या लोग? जब बीसीसीआई की पानी की सप्लाई काट दी जाएगी तब आपको पता चलेगा."
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कोर्ट ने यह बात स्वयंसेवी संस्था लोकसत्ता मूवमेंट की जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान कही थी. याचिका में महाराष्ट्र में खेले जाने वाले आईपीएल मैचों पर यह कहते हुए सवाल उठाए गए हैं कि इससे पानी की बर्बादी होगी और राज्य में इस समय पहले से ही पानी की काफी समस्या है. खंडपीठ ने कहा, "आप इतने लापरवाह कैसे हो सकते हैं? कौन इस तरह पानी की बर्बादी कर सकता है. आपको मैच उस राज्य में स्थानांतरित करने चाहिए, जहां पानी अधिक मात्रा में हो."