मुंबई: इस समय इंग्लैंड में चल रहे आईसीसी विश्व कप 2019 (World Cup 2019) के बारे में बात हो रही है, लेकिन इसी बीच टीम इंडिया के पूर्व धाकड़ बल्लेबाज युवराज सिंह (Yuvraj Singh) ने संन्यास की घोषणा कर दी. फौरन टीम इंडिया के पूर्व खिलाड़ियों से लेकर आईसीसी तक को युवराज सिंह का भारतीय क्रिकेट को योगदान याद आ गया. युवराज और उनके फैंस के लिए भी यह लम्हा काफी भावुक था. इस सूची में अब उनके पिता भी शामिल हो गए. युवी के पिता योगराज सिंह ने युवराज के क्रिकेट के बारे में बात करते हुए बताया कि वे अपने बेटे के प्रति काफी सख्त थे. 


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कठोर था, लेकिन गर्व है
 युवराज के पिता योगराज ने मंगलवार को स्वीकार किया कि वह कभी कभी अपने बेटे के प्रति कठोर थे क्योंकि वे कुछ साबित करना चाहते थे और उन्हें हमेशा अपने बेटे पर गर्व रहेगा. युवराज ने सोमवार को उतार चढ़ाव से भरे अपने अंतरराष्ट्रीय करियर का अंत किया. इस दौरान उनके करियर का सर्वश्रेष्ठ लम्हा 2011 विश्व कप में भारत की जीत में अहम भूमिका निभाना रहा. भारत के लिए एक टेस्ट और छह एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने वाले योगराज ने कहा, ‘‘मैं कृतज्ञ हूं कि मेरा उसके जैसा बेटा है. मैं अपने बेटे को धन्यवाद देता हूं और मैं हमेशा उसे (युवराज) कहता हूं कि मुझे उस पर गर्व है.’’


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पिता के जोर देने पर ही क्रिकेट चुना
योगराज के जोर देने पर ही युवराज ने क्रिकेट को करियर के रूप में चुना था. उन्होंने कहा, ‘‘अगर तुम्हें (युवराज) लगता है कि मैं तुम्हारे प्रति कठोर था, मैं लोगों को कुछ साबित करना चाहता था और मैं उम्मीद करता हूं कि तुम इसे समझ सकते हो.’’ युवराज के अपने पिता के साथ रिश्ते काफी अच्छे नहीं थे और बाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने कहा कि वह उसके लिए ‘ड्रैगन’ की तरह थे. योगराज भी अपने जमाने में क्रिकेटर रहे थे, लेकिन वे केवल एक टेस्ट मैच और छह वनडे मैच खेले थे. उन्होंने टीम में तेज गेंदबाज के तौर पर जगह पाई थी. 


संन्यास के साथ पिता से हुई सुलह
अंतरराष्ट्रीय और प्रथम श्रेणी क्रिकेट से संन्यास लेने से ठीक पहले हालांकि युवराज अपने पिता के साथ सुलह करने में सफल रहे. योगराज ने कहा कि शुरुआती दिनों में वह हमेशा चाहते थे कि युवराज ‘बंबई’ जाए और मुंबई में खेलने से यह आक्रामक आलराउंडर ‘अच्छे क्रिकेटर’ में बदलने में सफल रहा. तमाम निजी तल्खियों के बाद योगराज ने सार्वजनिक रूप से हमेशा ही युवाराज का पक्ष लिया. उल्लेखनीय है कि 2015 विश्व कप के लिए जब टीम इंडिया का चयन हुआ था, उस समय युवराज के टीम में न चुने जाने पर पिता योगराज ने धोनी की आलोचना की थी. इस पर युवाराज ने धोनी के बारे में कुछ भी नहीं कहा था.



इन लोगों का भी जताया आभार
उन्होंने अपने और अपने बेटे के करियर में मदद के लिए जाने माने लेखक मकरंद वायंगणकर का भी आभार जताया. युवराज को जब राष्ट्रीय टीम में जगह मिली तब चयनकर्ता की भूमिका निभा रहे पूर्व भारतीय बल्लेबाज चंदू बोर्डे ने इस क्रिकेटर को निडर व्यक्ति करार दिया जो अन्य लोगों के लिए प्रेरणा है. उन्होंने कहा, ‘‘प्रतिकूल शारीरिक समस्याओं के बावजूद उसने स्वयं को जिस तरह फिट रखा और उन समस्याओं से उबरा उसके लिए उसे सलाम है. उसने दूसरों को दिखाया कि कभी हार नहीं माननी चाहिए और अंत तक उसने संघर्ष जारी रखा. उसने देश और अपने राज्य के लिए जिस तरह का प्रदर्शन किया उस पर मुझे खुशी है.’’
(इनपुट भाषा)