टीम इंडिया (Team India) को अपना अगला मैच 31 अक्टूबर को न्यूजीलैंड (New Zealand) के खिलाफ दुबई इंटरनेशनल स्टेडियम (Dubai International Stadium) में खेलना है, ऐसे में विराट कोहली को मुकाबले के दौरान कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.
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नई दिल्ली: आईसीसी टी-20 वर्ल्ड कप 2021 (ICC T20 World Cup 2021) में टीम इंडिया (Team India) को सुपर 12 (Super 12) के अपने पहले मैच पाकिस्तान (Pakistan) के खिलाफ 10 विकेट की करारी शिकस्त मिली. अब आगे के मैचों में 'विराट सेना' के लिए गलती की कोई गुंजाइश नहीं बची है.
टीम इंडिया (Team India) के कप्तान विराट कोहली को न सिर्फ अपनी प्लेइंग के सेलेक्शन, विरोधी टीम और उनके खिलाड़ियों का विश्लेषण करना होगा बल्कि टॉस, ओस और पिच की हालत पर भी नजर बनाए रखनी होगी वरना 14 साल बाद भारत के ट्रॉफी ख्वाब टूट सकता है.
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इस टी20 वर्ल्ड कप में टॉस और ओस हर गेम पर असर डाल रहा है. टूर्नामेंट के सुपर 12 में अब तक 10 में से 9 विजेता टीमों ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी करते हुए मैच को अपने नाम किया है. इसलिए यहां हर मैच में टॉस जीतना एक अहम बात साबित हो रही है. इसे देखते हुए, टॉस जीतने वाले कप्तान बिना किसी झिझक के पहले फील्डिंग का चुनाव कर रहे हैं.
यूएई में कप्तानों के लिए मैच जीतने का एक ही फॉर्मूला है, टॉस जीतो, पहले गेंदबाजी करो और लक्ष्य का पीछा करके मैच पर कब्जा कर लो. हालांकि, इस टूर्नामेंट में एक मैच ऐसा भी अपवाद देखने को मिला जब टॉस जीतकर अफगानिस्तान की टीम ने पहले बल्लेबाजी करते हुए स्कॉटलैंड को 130 रनों का लक्ष्य दिया और इस मैच में जीत भी दर्ज की थी.
ऐसा क्रिकेट के खेल में पहली या आखिरी बार नहीं हो रहा है. टी20 वर्ल्ड कप के पिछले सीजनों में भी टॉस और ओस एक अहम फैक्टर रहा है. हाल ही में हुए यूएई की 3 जगहों पर आईपीएल मैचों के दौरान ये साफ तौर से देखने को मिला था, जिसमें टॉस जीतकर टारगेट का पीछा करने वाली टीम 20 मैचों में से 15 में जीत हासिल की थी. विराट कोहली टॉस जीतने के मामले में काफी अनलकी रहे हैं.
अब ये देखना भी अहम है कि इसे लेकर तमाम कप्तानों का क्या कहना हैं. पाकिस्तान के खिलाफ टीम इंडिया की 10 विकेट की करारी हार के बाद, विराट कोहली ने माना था कि टॉस जीतकर लक्ष्य का पीछा करने वाली टीम को ओस के कारण फायदा मिलेगा. यही वजह रही है कि पाकिस्तान ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी करते हुए अपने दोनों मैच जीते और निश्चित रूप से भारत और न्यूजीलैंड के खिलाफ दोनों मैचों में उनकी जीत में ओस ने एक अहम रोल अदा किया.
कोहली ने कहा, हां, इस टूर्नामेंट में निश्चित रूप से टॉस एक अहम फैक्टर है. खासकर, अगर खेल के बीच में ओस गिरती है तो आपको पहले हाफ में ज्यादा से ज्यादा रन बनाने होंगे. कोहली ने आगे बताया कि जब उन्होंने बल्लेबाजी की तो पिच पर खेलना इतना आसान नहीं था, लेकिन दूसरे हाफ में पाकिस्तान टीम बल्लेबाजी के लिए आई तो पिच पर खेलना बिल्कुल आसान हो गया। इसलिए पाक के सलामी बल्लेबाज मोहम्मद रिजवान और बाबर आजम को भारतीय गेंदबाजों को खेलने में मुश्किल नहीं हुई.
विराट कोहली ने कहा, 'ओस पाकिस्तान की दूसरी पारी में गिरनी शुरु हुई जब 10 ओवर हो चुके थे. इस दौरान हमें डॉट बॉल भी नहीं मिल सकीं क्योंकि पिच साफ रूप से बल्लेबाजों की मदद कर रही थी. वहीं गेंद पकड़ में न आने के कारण धीमी गेंद भी डालना मुश्किल हो गया था.
क्रिकेट में ओस एक अहम फैक्टर है जो खेल के दौरान रात में गिरनी शुरू होती है. इसके कारण गेंद पर पकड़ बनाना और कंट्रोल करना हमेशा मुश्किल होता है, इसे गेंदबाजों को गेंद करने में परेशानी होती है तो वहीं, बल्लेबाजों के लिए खेलना आसान हो जाता है.
ओस पिच की हालत में बदलाव का कारण बनती है. इससे पिच बहुत प्लेट हो जाती है और इससे सतह की दरारें चौड़ी नहीं हो पाती। इस कारण बल्लेबाजों को स्पिन और स्विंग गेंदों को खेलने में आसानी हो जाती हैं।
फील्डर्स को भी ओस से प्रभावित करती है क्योंकि गीली गेंद को पकड़ना या फेंकना मुश्किल हो जाता है. यहां तक कि दुनिया के बेस्ट फील्डर भी फील्डिंग करते वक्त अपना 100 फीसदी नहीं दे पाते.
अब सवाल ये है कि आगे का प्लान क्या होना चाहिए? भारतीय टीम न्यूजीलैंड के खिलाफ होने वाले मैच में ओस फैक्टर से निपटने के लिए 3 अलग-अलग चीजें आजमा सकती है.
मैच से पहले टीम के गेंदबाजों को अभ्यास के दौरान गीली गेंद का उपयोग करना होगा, ताकि खिलाड़ी मैच में गीली गेंद से स्थिति को देखते हुए गेंदबाजी कर सकें.
भारतीय गेंदबाजों को कीवी टीम के खिलाफ सही लेंथ पर गेंदबाजी करना होगा, क्योंकि गीली गेंद से गेंदबाज अपने मुताबिक गेंदबाजी करने में सक्षम नहीं होता, इसलिए सही लेंथ पर गेंदबाजी करना बेहद जरूरी होगा. जो गेंदबाज ये करने में सफल हो जाता है वह मैच के आखिरी में सफल गेंदबाज बन जाएगा.
भारत के लिए न्यूजीलैंड के खिलाफ ओस वाली स्थिति में गेंद गीली होने पर रिस्ट स्पिनर, फिंगर स्पिनर की तुलना में ज्यादा सफल हो सकता है. खास तौर से, राहुल चाहर इस समय भारतीय टीम में इकलौते रिस्ट स्पिनर मौजूद हैं. रविचंद्रन अश्विन और रवींद्र जडेजा दोनों ही फिंगर स्पिनर हैं. वहीं, स्पिन विभाग में वरुण चक्रवर्ती एक मिस्ट्री के रूप में जुड़े हुए हैं.