रणजी ट्रॉफी में दिल्ली को हराकर विदर्भ बना पहली बार चैंपियन
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रणजी ट्रॉफी में दिल्ली को हराकर विदर्भ बना पहली बार चैंपियन

फाइनल में दिल्ली को 9 रन से हराकर खिताब पर कब्जा किया.

विदर्भ की टीम की जीत में बड़ा योगदान रजनीश गुरबाणी का रहा. फोटो : BCCI Domestic

इंदौर : विदर्भ ने साल के पहले ही दिन इतिहास रचते हुए रणजी ट्रॉफी का खिताब अपने नाम किया. फाइनल में सात बार के चैंपियन दिल्ली को नौ विकेट से हराकर पहली बार रणजी ट्राफी का खिताब अपने नाम किया. विदर्भ के सामने केवल 29 रन का लक्ष्य था और उसने एक विकेट पर 32 रन बनाकर आसान जीत दर्ज की. नौवीं बार रणजी फाइनल में खेल रहे मुंबई के पूर्व कप्तान वसीम जाफर ने चौका जड़कर अपने करियर में पहली बार खिताबी मुकाबले में विजयी रन बनाया. विदर्भ इस तरह से रणजी चैंपियन बनने वाली 17वीं टीम बन गयी है.

  1. वसीम जाफर ने बनाया विनिंग रन
  2. रजनीश गुरबानी बने मैन ऑफ द मैच
  3. पहली बार विदर्भ की टीम बनी चैंपियन

विदर्भ ने टास जीतकर दिल्ली को पहले बल्लेबाजी का न्यौता दिया और फिर उसकी टीम को 295 रन पर आउट कर दिया. रजनीश गुरबाणी ने छह विकेट लिये. इसके जवाब में विदर्भ ने अक्षय वालकर (133) के प्रथम श्रेणी मैचों में पहले शतक के दम पर 547 रन का विशाल स्कोर खड़ा किया. दिल्ली दूसरी पारी में 280 रन पर आउट हो गयी.

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विदर्भ ने सोमवार सुबह अपनी पहली पारी तीन विकेट पर 528 रन से आगे बढ़ायी, लेकिन दिल्ली ने उसके बाकी बचे तीन विकेट जल्द ही निकाल दिये. युवा तेज गेंदबाज नवदीप सैनी ने 135 रन देकर पांच विकेट लिये. दिल्ली को विदर्भ की पहली पारी में बायें हाथ के स्पिनर मनन शर्मा की कमी खली जो घुटने की चोट के कारण मैदान पर नहीं उतरे. उन्होंने हालांकि दूसरी पारी में बल्लेबाजी की.

दिल्ली की दूसरी पारी में ध्रुव शोरे (62) और नितीश राणा (64) ने अर्धशतक जमाये. शोरे ने पहली पारी में भी 145 रन बनाये थे.  दिल्ली ने पारी की हार तो बचा ली, लेकिन वह बड़ा स्कोर खड़ा करने में नाकाम रही. लगातार दूसरी बार फाइनल की मेजबानी कर रहे होलकर स्टेडियम में विदर्भ के सामने छोटा लक्ष्य था और उसने कप्तान फैज फजल का विकेट गंवाकर इसे हासिल कर दिया. जाफर 17 और संजय रामास्वामी नौ रन बनाकर नाबाद रहे. मुंबई के पूर्व कप्तान जाफर नौवीं बार रणजी फाइनल में खेल रहे थे और हर बार उनकी टीम चैंपियन रही.

इसी मैच में विदर्भ के तेज गेंदबाज रजनीश गुरबानी ने हैट्रिक लगाई थी. फाइनल में हैट्रिक लगाने वाले वह रणजी के इतिहास के दूसरे गेंदबाज बने. दिल्ली पहली पारी में 252 रन से पिछड़ गया था और ऐसे में उसकी दूसरी पारी की शुरूआत भी अच्छी नहीं रही. जब स्कोर केवल 32 रन था तब उसने कुणाल चंदेला (नौ) का विकेट गंवा दिया. सात बार के चैंपियन को सबसे बड़ा झटका तब लगा जब उसने अपने सबसे अनुभवी बल्लेबाज गौतम गंभीर का विकेट गंवाया. उन्हें गुरबाणी की गेंद पर पगबाधा आउट दे दिया, जबकि लग रहा था कि गेंद लेग स्टंप से बाहर जा रही थी. भारतीय टीम से बाहर चल रहे गंभीर अच्छी लय में दिख रहे थे. उन्होंने 37 गेंदों पर सात चौकों की मदद से 36 रन बनाये. वह टिके रहते तो दिल्ली अपनी पारी लंबी खींच सकता था.

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इसके बाद शोरे और राणा ने दूसरे विकेट के लिये 110 रन जोड़े.  दूसरे सत्र में इन दोनों ने अपने ड्राइव और फ्लिक का अच्छा नमूना पेश किया, लेकिन जब स्कोर 164 रन था तब दिल्ली ने शोरे का विकेट गंवा दिया. शोरे को इससे पहले जाफर ने पहली स्लिप में जीवनदान दिया था, लेकिन वह इसका फायदा नहीं उठा पाये. राणा भी उनके पीछे पवेलियन कूच कर गये. उन्होंने गुरबाणी की गेंद पर विकेटकीपर वाडकर को कैच थमाया. पहली पारी की तरह गुरबाणी ने अपनी जीजान लगायी और प्रभावशाली तरीके से गेंद को स्विंग किया.

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पहली पारी में अर्धशतक जमाने वाले हिम्मत सिंह खाता भी नहीं खोल पाये. आफ स्पिनर अक्षय वाखरे ने उन्हें बोल्ड किया. कप्तान ऋषभ पंत (32) ने ऐसे मौके पर सिद्धेष नेराल की गेंद पर गैर जिम्मेदाराना शाट खेलकर अपना विकेट गंवाया. इससे पहले ओवर में वाडकर ने उन्हें स्टंप आउट करने का मौका गंवाया था.

पंत के आउट होते ही दिल्ली की पारी सिमटने में देर नहीं लगी.  विकास मिश्रा ने 32 गेंदों पर तीन चौकों और दो छक्कों की मदद से 34 और आकाश सुदान ने 18 रन बनाये जिससे दिल्ली पारी की हार टाल पाया. विदर्भ की तरफ से अक्षय वाखरे ने 95 रन देकर चार, सरवटे ने 30 रन देकर तीन और गुरबाणी ने 92 रन देकर दो विकेट लिये. गुरबाणी को उनके शानदार प्रदर्शन के लिये मैन आफ द मैच चुना गया.

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