घरेलू सत्र में टेस्ट की मेजबानी नहीं मिलने से डीडीसीए नाखुश
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घरेलू सत्र में टेस्ट की मेजबानी नहीं मिलने से डीडीसीए नाखुश

डीडीसीए उपाध्यक्ष और पूर्व टेस्ट सलामी बल्लेबाज चेतन चौहान नाखुश हैं कि 13 टेस्ट के लंबे घरेलू सत्र के बावजूद फिरोजशाह कोटला जैसे स्टेडियम को टेस्ट मैच की मेजबानी नहीं सौंपी गई।

नई दिल्ली : डीडीसीए उपाध्यक्ष और पूर्व टेस्ट सलामी बल्लेबाज चेतन चौहान नाखुश हैं कि 13 टेस्ट के लंबे घरेलू सत्र के बावजूद फिरोजशाह कोटला जैसे स्टेडियम को टेस्ट मैच की मेजबानी नहीं सौंपी गई।

चौहान ने कहा, ‘अगर दो नहीं तो हमें कम से कम एक टेस्ट की मेजबानी मिलनी चाहिए थी। यह लंबा सत्र है और दिल्ली स्थायी टेस्ट केंद्रों में से एक है। मुझे लगता है कि 50 साल से अधिक समय से टेस्ट मैचों की मेजबानी कर रहे स्थलों (जैसे दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता) को प्रत्येक सत्र में टेस्ट की मेजबानी मिलनी चाहिए।’ 

खेलों के आवंटन के लिए बीसीसीआई रोटेशन नीति का पालन करता है लेकिन डीडीसीए अधिकारियों का मानना है कि हमेशा इस नीति का कड़ाई से पालन नहीं होता है। कोटला ने पिछले टेस्ट की मेजबानी पिछले साल दिसंबर में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ की थी। यह उस श्रृंखला का एकमात्र मैच था जो पांच दिन चला था। स्टेडियम को हालांकि अगले महीने न्यूजीलैंड के खिलाफ एकदिवसीय मैच की मेजबानी सौंपी गई है।

चौहान ने साथ ही मेहमान टीमों के खिलाफ पूरी तरह से स्पिन की अनुकूल पिच बनाने की प्रवृत्ति पर भी सवाल उठाए जिसके कारण मैच तीन दिन से कम में खत्म हो रहे हैं। कोटला का उदाहरण देते हुए क्रिकेट से प्रशासक बने चौहान ने कहा कि ‘अच्छे’ विकेट तैयार करके ही टेस्ट मैचों में दर्शकों को वापस लाया जा सकता है।

चौहान ने कहा, ‘पहले ही दिन से गेंद टर्न नहीं होनी चाहिए। यह गेंद और बल्ले के बीच अच्छा मुकाबला होना चाहिए। ठीक है कि आप तीसरे दिन के बाद से घरेलू हालात का फायदा उठाओ लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए कि पहले ही दिन से गेंद काफी टर्न कर रही हो। यह टेस्ट क्रिकेट के लिए अच्छा उदाहरण नहीं है जिससे पहले ही टी20 से कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।’

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