भारत के इस स्टार हॉकी खिलाड़ी का हुआ निधन, ओलंपिक में दिलाया था टीम को गोल्ड मेडल
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भारत के इस स्टार हॉकी खिलाड़ी का हुआ निधन, ओलंपिक में दिलाया था टीम को गोल्ड मेडल

किसी समय भारतीय हॉकी दुनिया में नंबर एक थी, भारत ने हॉकी में 8 गोल्ड मेडल जीते हैं. 1964 टोक्यो ओलंपिक में भारत को गोल्ड मेडल दिलाने वाले चरणजीत सिंह का निधन हो गया है. 

File Photo

नई दिल्ली: हॉकी किसी समय भारत का नंबर एक खेल था, लेकिन समय के साथ सब बदल गया. भारत ने ओलंपिक में 8 गोल्ड मेडल जीते हैं. भारत की 1964 टोक्यो ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता हॉकी टीम के कप्तान रहे चरणजीत सिंह का हिमाचल प्रदेश के ऊना में उनके घर पर दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. वह लंबे समय से उम्र से जुड़ी बीमारियों से भी जूझ रहे थे. 

  1. इस हॉकी खिलाड़ी का हुआ निधन 
  2. भारत को दिलाया था ओलंपिक मेडल 
  3. खेल जगत ने जताया शोक 

चरणजीत सिंह का हुआ निधन 

चरणजीत सिंह अगले महीने अपना 91वां जन्मदिन मनाने वाले थे. उनके परिवार में दो बेटे और एक बेटी है. पांच साल पहले भी चरणजीत को स्ट्रोक हुआ था और तब से वह लकवाग्रस्त थे. उनके बेटे वी पी सिंह ने बताया, ‘ पांच साल पहले स्ट्रोक के बाद से वह लकवाग्रस्त थे. वह छड़ी से चलते थे, लेकिन पिछले दो महीने से उनकी हालत और खराब हो गई. उन्होंने सुबह अंतिम सांस ली.’ ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता टीम की कप्तानी के साथ वह 1960 रोम ओलंपिक की रजत पदक विजेता टीम में भी थे. इसके अलावा वह 1962 एशियाई खेलों की रजत पदक विजेता टीम के भी सदस्य थे. सिंह ने कहा, ‘ मेरी बहन के दिल्ली से आने के बाद उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा.’

पत्नी का हुआ था बाहर साल पहले निधन 

चरणजीत सिंह की पत्नी का 12 वर्ष पहले निधन हो गया था. उनका बड़ा बेटा कनाडा में डॉक्टर है और छोटा बेटा उनके साथ था. उनकी बेटी विवाह के बाद से दिल्ली में रहती है. दो बार के ओलंपियन चरणजीत भारतीय हॉकी के गौरवशाली दिनों के साक्षी थे. करिश्माई हाफ बैक चरणजीत की कप्तानी में भारत ने 1964 ओलंपिक के फाइनल में पाकिस्तान को हराकर खिताब जीता था. वह देहरादून के कर्नल ब्राउन कैम्ब्रिज स्कूल और पंजाब यूनिवर्सिटी से पढ़े. इंटरनेशनल हॉकी में सुनहरे कैरियर को अलविदा कहने के बाद वह शिमला में हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी में शारीरिक शिक्षा विभाग के निदेशक भी रहे.

1960 में जीता था मेडल 

वह 1960 ओलंपिक में भारत के शानदार प्रदर्शन के नायकों में से रहे, लेकिन चोट के कारण पाकिस्तान के खिलाफ फाइनल नहीं खेल सके जो भारत एक गोल से हार गया था. इसके चार साल बाद उनकी कप्तानी में टीम ने बदला चुकता करके पीला तमगा जीता. उन्होंने हॉकी इंडिया फ्लैशबैक सीरिज में कहा था, ‘ दोनों टीमें उस समय की सबसे मजबूत टीमें थी. ओलंपिक फाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ खेलना काफी तनावपूर्ण था और दोनों टीमों के सदस्यों का दिमाग ठंडा करने के लिए मैच कई बार रोका गया.’ उन्होंने कहा था, ‘ मैने अपने लड़कों से कहा कि उनसे बात करने की बजाय अपने खेल पर फोकस करो. हमारे सामने कठिन चुनौती थी लेकिन हम खरे उतरे और स्वर्ण पदक के साथ लौटे.’

खेल जगत ने जताया शोक 

हॉकी इंडिया ने चरणजीत के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि भारत ने एक महान खिलाड़ी खो दिया. हॉकी इंडिया अध्यक्ष ज्ञानेंद्रो निगोंबम ने कहा, ‘ हॉकी जगत के लिये यह दुखद दिन. उम्र के इस पड़ाव पर भी हॉकी का जिक्र आने पर उनकी आंखों में चमक आ जाती थी. उन्हें भारतीय हॉकी के उन गौरवशाली दिनों की हर याद ताजा थी जिनका वह हिस्सा रहे थे.’ उन्होंने कहा, ‘वह महान हाफबैक थे जिन्होंने खिलाड़ियों की पूरी एक पीढी को प्रेरित किया. वह शांतचित्त कप्तान थे और मैदान पर उन्हें उनके कौशल तथा मैदान के बाहर सज्जनता के लिये हमेशा याद रखा जाएगा.’

(इनपुट: भाषा)

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