कबड्डी खिलाड़ी बनना चाहते थे नीरज चोपड़ा, दोस्त की इस सलाह ने बदल दी लाइफ
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कबड्डी खिलाड़ी बनना चाहते थे नीरज चोपड़ा, दोस्त की इस सलाह ने बदल दी लाइफ

हरियाणा में पानीपत जिले के खंडरा गांव के रहने वाले नीरज के पिता सतीश चोपड़ा किसान हैं.

20 साल के नीरज ने तीसरे प्रयास में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया. (फाइल फोटो)

जकार्ता: नीरज चोपड़ा ने इंडोनेशिया में खेले जा रहे 18वें एशियन गेम्स में सोमवार को जेवलिन थ्रो में गोल्ड मेडल जीत लिया है. चोपड़ा एशियन गेम्स में यह मेडल जीतने वाले पहले भारतीय बन गए हैं. नीरज चोपड़ा को कबड्डी खेलने का शौक था. इसी बीच दोस्त ने नीरज को जेवलिन में आने की सलाह दी. इसके बाद नीरज के कदम उस ओर बढ़ते गए और आज उन्होंने एशियन गेम्स में गोल्ड हासिल कर लिया.

  1. 20 साल के नीरज ने तीसरे प्रयास में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया.
  2. 88.06 मीटर की दूरी पर भाला फेंककर अपने खुद के राष्ट्रीय रिकॉर्ड में भी सुधार किया.
  3. चोपड़ा का गोल्ड मेडल असल में एशियाई खेलों की भाला फेंक स्पर्धा में भारत का केवल दूसरा पदक है.
  4. उनसे पहले 1982 में नई दिल्ली में गुरतेज सिंह ने ब्रॉन्ज मेडल जीता था.

हरियाणा के पानीपत जिले में खंडरा गांव के रहने वाले नीरज के पिता सतीश चोपड़ा किसान हैं. उनका परिवार पूरी तरह से खेती पर निर्भर है. जेवलिन थ्रोअर नीरज पांच भाई-बहनों में सबसे बड़े हैं. सतीश चोपड़ा के इस बड़े बेटे को बचपन से कबड्डी खेलने का बड़ा शौक था. टूर्नामेंट में भाग लेने के लिए उन्होंने एक खिलाड़ी की तरह प्रैक्टिस करना भी शुरू कर दी थी.

जब लाइफ में आया टर्निंग पॉइंट
13 साल की उम्र में नीरज अपने गांव से कुछ ही दूर पानीपत के शिवाजी नगर स्टेडियम में कबड्डी की प्रैक्टिस करने जाने लगे. वहां उनका एक दोस्त जयवीर जेवलिन की प्रैक्टिस करने जाता था. इसी बीच एक दिन जयवीर ने नीरज को सलाह दी कि तुझे कबड्डी छोड़कर जेवलिन की प्रैक्टिस करनी चाहिए क्योंकि तेरी हाइट और फिटनेस अच्छी है. बस, यही सलाह नीरज चोपड़ा की लाइफ का टर्निंग पॉइंट बन गई.

दोस्त जयवीर तराश कर चमकाया हीरा
एथलीट नीरज चोपड़ा की जिंदगी में दोस्त जयवीर का बड़ा योगदान रहा. जेवलिन थ्रो के सीनियर जयवीर ने नीरज को इस खेल में आने की सलाह दी. इसके बाद जब भाला फेंकने में नीरज का वजन आड़े आने लगा तो जयवीर ने ही उनका हौसला बढ़ाया और खेल की बारीकियां सिखाईं. यही वजह रही कि 13-14 साल की उम्र में 80 किलोग्राम के नीरज चोपड़ा ने जुनून और मेहनत की दम पर महज दो माह के भीतर अपना 20 किलो भार कम कर लिया.

अब तक ये चैंपियनशिप जीत चुके
हरियाणा के नीरज दो साल के भीतर अंडर-20 वर्ल्ड चैंपियनशिप से लेकर कॉमनवेल्थ गेम्स तक भारत के लिए मेडल जीत चुके हैं. उन्होंने इसी साल अप्रैल में 86.47 मीटर के साथ गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीता था. दोहा में भी उन्होंने 85 मीटर की दूरी पार की और एशियाई खेलों में आने से पहले फ्रांस और फिनलैंड में क्रमश: 85.17 और 85.69 मीटर भाला फेंका था. इससे पहले वे 2016 में पोलैंड में अंडर-20 वर्ल्ड चैंपियनशिप में 86.48 मीटर की थ्रो के साथ चैंपियन बने थे. इसके अलावा एशियन चैंपियनशिप भी जीत चुके हैं.
 
572 खिलाड़ियों की अगुवाई
खास बात यह है कि इंडोनेशिया में एशियन गेम्स में पहुंचे भारतीय दल के खिलाड़ियों के नेतृत्व की जिम्मेदारी नीरज चोपड़ा को सौंपी गई थी. यही खिलाड़ी एशियाड के उद्घाटन समारोह में भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा अपने हाथों में थामे हुए नजर आए थे. इन खेलों की अगुवाई के लिए नीरज को इसलिए चुना गया क्योंकि उन्होंने इसी साल अप्रैल में ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में खेले गए कॉमवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीता था.

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