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Atal Bihari Vajpayee: अगर आप इतिहास और राजनीति में दिलचस्पी रखते हैं तो बेशक आपने देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को कई बार सुना होगा. उनके देर तक चलने वाले लंबे भाषण हमेशा सुनने वालों को कम ही लगते थे. अटल जी जब बोलना शुरू करते थे, तो बड़ी से बड़ी शख्सियत उन्हें सुनती रहती थी. राजनीति के पुरोधा अटल जी के चाहने वालों की कमी नहीं थी. उनके जैसा न कोई हुआ और न होगा.. क्योंकि विरोधी भी उनका सम्मान करते थे. अटल जी भले ही हमारे बीच नहीं हैं.. लेकिन उनकी आवाज आज भी अमर है.
सहज व्यक्तित्व के धनी अटल
'भारत रत्न' पंडित अटल बिहारी वाजपेयी को न जाने कितनी उपाधियों से नवाजा गया. अटल जी को भारत मां का सच्चा सपूत, राष्ट्र मार्गदर्शक, सच्चे देशभक्त, राष्ट्र पुरुष और भी कई उपनामों से हमेशा संबोधित किया जाता रहा है. उनका सहज व्यक्तित्व ऐसा था कि बच्चे, युवा, महिला, बुजर्ग सभी उन्हें सम्मान और प्यार देते थे.
...और गिर गई अटल सरकार
उनके भाषण आज भी सियासत के उस दौर की याद दिलाते हैं जब अटल जी ने अकेले ही देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस को पस्त कर दिया था. अगर आपको याद हो तो 16 मई 1996 को अटल बिहारी वाजपेयी ने पहली बार भारत के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी. लेकिन, 13 दिन बाद ही वाजपेयी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार विश्वास मत हार गई. प्रधानमंत्री के रूप में वाजपेयी का पहला कार्यकाल शुरू होने के बमुश्किल दो सप्ताह बाद ही समाप्त हो गया.
सदन में उड़ा दी कांग्रेस की धज्जी
लेकिन इससे पहले कि वाजपेयी सरकार गिरती, दिवंगत प्रधानमंत्री ने सदन में विश्वास प्रस्ताव से पहले बोलते हुए कांग्रेस पर उनकी सरकार को उखाड़ फेंकने की कोशिश करने का आरोप लगाया. शांत स्वभाव के वाजपेयी जी ने उस दिन जोश और जुनून से भरा भाषण दिया.
अटल को सुनते ही रहे सब
उन्होंने अपने भाषण में जाति और धर्म के आधार पर भारत के ध्रुवीकरण से बचने की जरूरत के बारे में बात की और विपक्ष पर जमकर हमला किया. उन्होंने कहा कि हमें हटाने के बाद यदि आप सरकार बनाना चाहते हैं, तो आप बना सकते हैं, लेकिन मुझे उम्मीद नहीं है कि यह टिकेगी. सदन में अपने एक घंटे के जवाब में, वाजपेयी जी ने कांग्रेस पर उनकी सरकार को हटाने के लिए 'भयानक' कदम उठाने का आरोप लगाया.
..राजनीति मुझे नहीं छोड़ती
उन्होंने कहा कि विपक्ष के कई सदस्य जो कांग्रेस के साथ एकजुट हो गए हैं, वे हमेशा के लिए कांग्रेस आलाकमान को जवाब देते रहेंगे. अब आपको अटल जी के भाषण के उस अंश के बारे में बताते हैं जिसने विपक्ष की घिग्घी बांध थी. अटल जी ने का था.. जहां तक सत्ता का सवाल है, मैं राजनीति छोड़ना चाहता हूं लेकिन राजनीति मुझे नहीं छोड़ती. आइये अटल जी के पुण्यतिथि (16 अगस्त) पर उन्हें याद करते हैं और उनका यादगार भाषण सुनते हैं.
यहां सुनें अटलजी का जोशीला भाषण