कुछ क्षेत्रों में बच्चों में गेमिंग की लत काफी ज्यादा है. कई ऐसे मामले सामने आए हैं जहां माता-पिता रात के समय इंटरनेट बंद कर दें तो बच्चे वाई-फाई कनेक्शन की तलाश में आधी रात को घर से बाहर निकल जाते हैं.
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ऑनलाइन गेमिंग का क्रेज बच्चों के बीच बढ़ता जा रहा है, लेकिन माता-पिता के लिए यह टेंशन बन गया है. कहते हैं न... 'अति हर चीज की बुरी होती है.' ठीक ऐसा ही गेमिंग के लिए हो रहा है. बच्चे अब गेम का आनंद नहीं ले रहे, बल्कि उनको गेमिंग की लत हो गई है. एक्सपर्ट्स की मानें तो कुछ क्षेत्रों में बच्चों में गेमिंग की लत काफी ज्यादा है. कई ऐसे मामले सामने आए हैं जहां माता-पिता रात के समय इंटरनेट बंद कर दें तो बच्चे वाई-फाई कनेक्शन की तलाश में आधी रात को घर से बाहर निकल जाते हैं.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स?
नेशनल सेंटर फॉर गेमिंग डिसऑर्डर के निदेशक हेनरीएटा बोडेन-जोन्स ने इस पर खुलकर बात की है. उन्होंने ब्रिटेन में बच्चे में गेमिंग की लत के इलाज के लिए एक क्लिनिक ओपन किया है. उन्होंने द गार्जियन के आर्टिकल में लिखा, उनके क्लीनिक में कई हैरान और चिंता बढ़ाने वाले मामले सामने आए हैं. नेशनल सेंटर फॉर गेमिंग डिसऑर्डर की शुरुआत 2020 में हुई थी. उस वक्त इतने ज्यादा मामले सामने नहीं आते थे. अब करीब 800 रेफरल हैं.
माता-पिता की चिंता चरम पर
उन्होंने लिखा, 'गेमिंग से होने वाले नुकसान से उनके बच्चों को होने वाले नुकसान को दूर करने की कोशिश कर रहे परिवारों की हताशा चरम पर है. कई परिवार अपने बच्चों को वीडियो गेम के आदी होने से रोकने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. वीडियो गेम के आदी बच्चों को स्कूल जाने से इनकार करना, घर के भीतर हिंसा करना और अन्य समस्याएं पैदा करना शुरू हो जाती हैं.'
16 से 17 साल के युवा पुरुष ज्यादा
उन्होंने आगे लिखा- अधिकांश मरीज 16 से 17 वर्ष के युवा पुरुष हैं जिनका ऑनलाइन जीवन एक 'सपोर्ट स्ट्रक्चर' बन जाता है. जैसे ही ये बच्चे अपने ऑनलाइन माध्यमों के माध्यम से जुड़ जाते हैं, वे अपने परिवार और दोस्तों से दूरी बढ़ाने लगते हैं और अपने घर में अधिक समय वीडियो गेम खेलने में बिताने लगते हैं.
जोन्स का कहना है, 'स्कूल के दोस्तों और परिवार के सदस्यों से दूरी अत्यधिक हो सकती है और हम ऐसे कई लोगों से मिले हैं जो अब अपने माता-पिता के साथ खाना नहीं खाते हैं और न ही वे गतिविधियां करते हैं जिनका वे पहले एक साथ आनंद लेते थे.'