Weather Forecast Apps: घर से बाहर निकलने से पहले जानना है मौसम का मिजाज, इन ऐप्‍स को करें ट्राई
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Weather Forecast Apps: घर से बाहर निकलने से पहले जानना है मौसम का मिजाज, इन ऐप्‍स को करें ट्राई

मौसम की जानकारी लेने के अब आपको सिर्फ अपने स्मार्टफोन पर एक ऐप डाउनलोड करके जगह का नाम डालना है. इतना करते ही आपके सामने वहां की पूरी जानकारी खुलकर आ जाएगी. लेकिन आपके लिए सबसे ज्यादा उपयोगी कौन सी ऐप है क्या आप इस बारे में जानते हैं? 

फाइल फोटो.

नई दिल्ली: साल 2021 की शुरुआत में जब चक्रवात, तौकते और यास ने पश्चिमी-पूर्वी तटीय राज्यों में दस्तक दी तो 2 चक्रवातों के रास्ते में नहीं रहने वाले लोगों ने एक स्क्रीनशॉट साझा किया, जिसमें एक लिंक देखा जा सकता था, जो विंडीडॉटकॉम ऐप पर तेज हवा की धाराओं को प्रदर्शित करता नजर आ रहा था.

  1. स्मार्टफोन ऐप्स पर मिलेगी मौसम की स्टीक जानकारी
  2. अपनी जरूरत के हिसाब से चुनिए कौन सी ऐप है बेहतर
  3. हर ऐप का अलग होता है रडार इमेज दिखाने का तरीका

मौसम ऐप्स की वजह से आया अंतर

आसानी से समझ में आने वाली इमेजरी ने इसे वॉट्सऐप पर लगभग वायरल कर दिया, और युवा या बूढ़े समान रूप से लोग आश्चर्यचकित थे और चक्रवात की तीव्रता पर थरथरा रहे थे. स्मार्ट फोन ने वास्तव में कई लोगों के जीवन को बदल दिया है, लेकिन यह मौसम के ऐप्स हैं जो वास्तविक में लोगों के जीवन में अंतर ला रहे हैं.

ये ऐप्स देती हैं मौसम की जानकारी

मौसम से संबंधित बहुत सारे मोबाइल एप्लिकेशन उपयोग में हैं. उनमें से कुछ सरकार से हैं, और कुछ निजी कंपनियों से हैं. कुछ सबसे आम ऐप्स की सूची- भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD), मौसम (Mausam), 'दामिनी' (बिजली अलर्ट के लिए) और 'मेघदूत' (किसानों के लिए), स्काईमेट का 'स्काईमेट वेदर', 'मुंबई रेन' और 'केरल रेन', अक्कूवेदर, याहूवेदर, 'इंडियावेदर', 'वेदरबग', 'रेनअलार्म' और बीबीसी का 'बीबीसी वेदर' और फिर कुछ राज्य सरकार के हैं जिसमें महाराष्ट्र का 'महावेध' और तमिलनाडु का 'एन स्मार्ट' ऐप शामिल है.

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शहरों में काफी बढ़ गया ऐप्स का यूज

इन ऐप्स पर उपलब्ध लगभग सभी जानकारी मूल्यवान है. इससे संबंधित बहुत कुछ वेबसाइटों पर उपलब्ध है. लेकिन न केवल शहरी क्षेत्रों में, बल्कि पेरी-शहरी क्षेत्रों में भी स्मार्ट फोन के प्रसार के साथ, ऐप्स का उपयोग बढ़ गया है. दुर्भाग्य से, अधिकांश सरकारी ऐप डेटा से समृद्ध होने पर भी सौंदर्यशास्त्र की उपेक्षा करते हैं. आज की दुनिया में वेबसाइटों/ऐप्स की सफलता में सौंदर्यशास्त्र एक बहुत ही महत्वपूर्ण कंपोनेंट है.

आज एक क्लिक पर चाहिए जानकारी

एक वेबसाइट और एक ऐप 'चेन्नईरेन्स' चलाने वाले एक निजी ब्लॉगर श्रीकांत ने बताया, 'आदर्श रूप से, एक ऐप में पर्याप्त बैंडविड्थ और कई स्रोतों से समृद्ध डेटा होना चाहिए. इसके अलावा कुछ ऐसा होना चाहिए जो आसान समझ के लिए प्रस्तुत किया गया हो. स्मार्टफोन यूजर्स आज रुचि रखते हैं या देखते हैं कि वे एक निश्चित जानकारी तक जितनी जल्दी हो सके कैसे पहुंच सकते हैं. वे जो चाहते हैं उसे सर्च करते समय वे बहुत अधिक अनवांटेड जानकारी में रुचि नहीं रखते हैं. स्मार्ट फोन यूजर्स कुछ क्लिक से ज्यादा पसंद नहीं करते हैं. IMD ऐप्स अधिक अव्यवस्था जोड़ते हैं.'

रडार इमेज दिखाने का तरीका अलग

श्रीकांत और उनकी टीम आईएमडी - रडार, सैटेलाइट इमेज और मॉडल डेटा से डेटा लेते हैं. लेकिन, उनका दावा है कि जिस तरह से वे रडार इमेज को प्रस्तुत करते हैं और आईएमडी इसे करता है, उसमें अंतर है. वो कहते हैं, 'हमारा अखिल भारतीय रडार इमेज सेक्शन आईएमडी की अपनी रडार इमेज से सभी रडार इमेज का मोजेक है. जो समझने में बहुत आसान है, इसे गूगल मेप्स पर मढ़ा गया है, जिससे लोग इससे बेहतर तरीके से संबंधित हो सकें. लेकिन, आईएमडी के ऐप में यह सुविधा नहीं है हालांकि आईएमडी की वेबसाइट में है.'

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'IMD के ऐप ज्यादा बेहतर नहीं है'

2015 में चेन्नई रेन्स का पहला ऐप था और समय-समय पर बेहतर वर्जन लेकर आया है. उन्होंने बताया कि ऐप्स पर प्रसारित की जाने वाली जानकारी को इतना आसान बनाने की आवश्यकता है, इसका लक्ष्य होना चाहिए, अगर इसे ऐसा कहा जा सकता है, तो सबसे कम कॉमन डॉमिनेट यूजर है. इसलिए एक अच्छी वेबसाइट होने की गारंटी नहीं है कि उसी मालिक द्वारा ऐप अच्छा होगा. वो कहते हैं, 'मोबाइल ऐप्स एक पूरी तरह से अलग बॉल गेम हैं. यह सिर्फ एक वेबसाइट को ऐप में कॉपी नहीं कर रहा है. आईएमडी के साथ समस्या यह है कि इसके ऐप्स मोबाइल ऐप के रूप में नहीं बल्कि वेबसाइट के मोबाइल वर्जन के रूप में बनाए जाते हैं. यही कारण है कि आईएमडी के मोबाइल ऐप सौंदर्य की दृष्टि से आकर्षक नहीं हैं.'

यूजर्स को चाहिए कस्टमाइज्ड जानकारी

एक अन्य उदाहरण 'वेदरबग' नामक एक निजी ऐप है, जो नेटवर्क से डेटा लेता है और बिजली की चेतावनी देता है. आईएमडी के अपने बिजली के सेंसर हैं जो 'दामिनी' ऐप को फीड करते हैं. लेकिन अगर कोई दो ऐप्स को देखता है, तो किसी को प्रेजेंटेशन कैसे किया जाता है, इस कॉन्टेस्ट में जनरेशन गैप का एहसास होता है. स्मार्ट फोन का सबसे बड़ा फायदा यह है कि कंटेंट मिनटों में होता है. पुराने समय के विपरीत जब अलर्ट दिन में केवल दो या तीन बार आते थे. स्मार्ट फोन यूजर्स कस्टमाइज्ड जानकारी चाहता है न कि कुछ सामान्य. उदाहरण के लिए, एक राज्य में बारिश होगी.

स्काईमेट के पास बेहतर नोटिफिकेशन सिस्टम

एक प्रमुख प्राइवेट ऐप स्काईमेट के पास 10 मिनट से लेकर कभी-कभी एक घंटे पहले तक कहीं भी बारिश या बिजली गिरने की चेतावनी देने के लिए एक नोटिफिकेशन सिस्टम है. पूरे भारत में इसके अपने 6500-ऑफ वेदर स्टेशन हैं. यह देश भर में स्काईमेट के अपने इंस्ट्रमेंटेशन के आधार पर बारिश के पूवार्नुमान, प्रति घंटा, और नाउकास्ट (लोगों को यह बताने में मदद करता है कि अगले एक से तीन घंटों में क्या होने वाला है). लेकिन, स्काईमेट के पास जो कुछ भी है, स्काईमेट के संस्थापक और निदेशक जतिन सिंह ने कहा कि, 'क्या हमारे नक्शे, समाचार, वीडियो और अन्य दृष्टि कंटेंट जैसे रडार इमेजिंग आदि हैं. 'मुंबई रेन्स' में हाई रेजॉल्यूशन सैटेलाइट इमेज भी है.'

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दामिनी ऐप में इस सुधार की जरूरत

यह स्वीकार करते हुए कि उनकी वेबसाइट 'स्काईमेट वेदर' ऐप से अधिक लोकप्रिय है, स्काईमेट के जतिन सिंह ने कहा, 'दामिनी' एक अच्छा ऐप है. लेकिन स्थान के आधार पर चेतावनियों को खोजने के प्रावधान का अभाव है.' उदाहरण के लिए- दिल्ली में बैठकर, किसी को बिहार में जगह खोजने में सक्षम होना चाहिए. वर्मा ने कहा, 'जगह और कंटेंट महत्वपूर्ण हैं, लेकिन प्रेजेंटेशन ही मायने रखती है.' 

पॉपअप नोटिफिकेशन भी काफी मददगार

यह बताते हुए कि विजुअलाइजेशन को आसान आत्मसात (Assimilation) करने के लिए सौंदर्य आधारित होना चाहिए. यह आम लोगों की भाषा में होना चाहिए. क्लाइमेट रेजिलिएंट ऑब्जविर्ंग सिस्टम्स प्रमोशन काउंसिल (सीआरओपीसी) के अध्यक्ष कर्नल संजय वर्मा ने 'टीएन स्मार्ट' का उदाहरण दिया, न केवल अलर्ट को पुश दिया, वहां एक पॉपअप संदेश है. लेकिन इसमें एक आईवीआर (वॉयस अलर्ट) भी है. कुछ मामलों में एक या दो मिनट की चेतावनी आपदा से बचने के लिए पर्याप्त समय है.'

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इन दो ऐप में मजबूत अलार्म सिस्टम

दो अन्य ऐप जिनमें बहुत मजबूत अलार्म सिस्टम है, वे हैं 'वेदर बग' और 'रेन अलार्म', दोनों ही रडार आउटपुट पर आधारित हैं. सीआरओपीसी आईएमडी के साथ संयुक्त रूप से एक 'लाइटनिंग रेजिलिएंट इंडिया कैंपेन' चला रहा है. वर्मा ने बताया कि कैसे पहले से ही बहुमुखी (versatile) दामिनी ऐप आउटपुट को और अधिक रिफाइंड करने के लिए परिवर्तनों को शामिल कर सकता है. उन्होंने कहा, 'डॉपलर वेदर रडार (डीडब्ल्यूआर) और शॉर्ट-रेंज एक्स-बैंड रडार के संयोजन की आवश्यकता है जो एचएफ डिटेक्टरों और इलेक्ट्रिक फील्ड मीटर के साथ लगाए गए हैं. पूवार्नुमान को बेहतर ढंग से रिफाइंड किया जाएगा और सभी मापदंडों को कवर किया जाएगा. यही कारण है कि ओवरऑल सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट साइकिल में यूजर इंटरफेस टेस्ट भी एक बहुत ही महत्वपूर्ण कंपोनेंट है.'

IMD ग्लोबल मल्टी-हैजर्ड अलर्ट सिस्टम (GMHAS) को चेतावनी देता है, जिसके माध्यम से कोई भी इसका यूज कर सकता है. आईएमडी की वेबसाइट में आरएसएस/एपीआई फीड भी है, जिसका उपयोग कोई भी प्राइवेट यूजर्स कर सकता है. इसके अलावा, IMD ने अपने ऐप में और इसी तरह एप्पल के साथ आईएमडी से जेनरेटिंग वार्निंग्स को प्रसारित करने के लिए गूगल के साथ सहयोग किया है. IMD के डायरेक्टर जनरल (मौसम विज्ञान) डॉ. मृत्युंजय महापात्रा ने कहा कि, 'हम मुद्दों से अवगत हैं, और हम पहले से ही मौजूदा 'मौसम' और 'दामिनी' मोबाइल ऐप को बेहतर बनाने की योजना बना रहे हैं. आईएमडी ऐप्स के नए वर्जन छह महीने में आने की उम्मीद है.'

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