Mahabharat Serial Unknown Facts: महाभारत सीरियल का प्रसारण 1988 में हुआ जिसे लोगों ने खूब चाव से देखा. उस वक्त लोगों के बीच ये इतना लोकप्रिय हुआ कि उनकी भावनाएं तक इससे जुड़ गई थीं. लोग शो में होने वाली हर चीज को सत्य मानने लगे थे.
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Mahabharat Show: भारत में टीवी के इतिहास की बात होगी तो रामायण के साथ-साथ महाभारत का जिक्र भी खूब आएगा. एक ऐसा शो जो ऐतिहासिक बन गया. 1988 में इसका प्रसारण शुरू हुआ था और जब लोगों ने इसे देखना शुरू किया तो वो इसके साथ अपनी आत्मा से जुड़ गए. दर्शक उस वक्त इस शो में होने वाली हर चीज को वैसा ही सच मानने लगे थे. लिहाजा शो के नेगेटिव किरदारों और कुछ भी गलत करने वाले किरदार से नफरत करने लगते. ऐसा ही कुछ हुआ था शो में युधिष्ठिर बने गजेंद्र चौहान (Gajender Chauhan) के साथ.
जब दर्शकों ने दिया युधिष्ठिर को ताना
महाभारत सीरियल में हर किरदार का चयन काफी सोच समझ कर किया गया था. युधिष्ठिर का रोल निभाया था अभिनेता गजेंद्र चौहान ने. जो इस किरदार में पूरी तरह परफेक्ट दिखे. जब द कपिल शर्मा शो में शो की पूरी कास्ट पहुंची थी तब गजेंद्र चौहान ने इस मजेदार किस्से के बारे में बताया था कि उस दौर में लोग कितना इसे लेकर सीरियस थे. उन्होंने बताया कि जब द्रौपदी को जुए में हारने वाला एपिसोड टेलीकास्ट हुआ था तो उसके बाद वो बेटे को ट्यूशन से लेने गए थे. तब वो रेडलाइट पर अपनी कार में थे. तभी उनके बगल में रेड लाइट पर एक कार आकर रुकी. जिसमें कुछ लोग बैठे थे. तब उन लोगों ने गजेंद्र को कहा कि युधिष्ठिर सब कुछ तो जुएं में हार गया तो गाड़ी क्या द्रौपदी की लेकर आया है.
किस्सा सुनाते हुए खूब हंसे गजेंद्र
हालांकि ये किस्सा सुनाते हुए गजेंद्र चौहान खूब हंसे तो सेट पर मौजूद कोई भी अपनी हंसी नहीं रोक पाया लेकिन इससे पता चलता है कि उस वक्त लोग महाभारत सीरियल और इसके किरदारों को लेकर कितना सीरियस थे. यहां तक कि सारी कास्ट को खाने पर इनवाइट करने के बाद इकलौते पुनीत इस्सर को खाना नहीं परोसा गया था क्योंकि वो शो में दुर्योधन बने थे और उन्हें दुष्ट आदमी समझा जाता था.
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