अयोध्या के हनुमानगढ़ी (Hanuman Garhi) में हनुमान जी का विशाल मंदिर स्थित है. माना जाता है कि अयोध्या (Ayodhya) आने पर सबसे पहले हनुमानगढ़ी मंदिर (Hanuman Garhi Temple) में जाकर हनुमान जी का आशीर्वाद जरूर लेना चाहिए और फिर आगे अन्य मंदिरों में जाना चाहिए. इसलिए आप जब भी अयोध्या जाएं (Ayodhya Trip) तो सबसे पहले हनुमानगढ़ी मंदिर जाकर हनुमान जी के दर्शन जरूर करें.
अयोध्या (Ayodhya) आने पर कनक भवन (Kanak Bhavan) जाना न भूलें. कनक भवन बेहद विशाल और भव्य है. कहा जाता है कि रानी कैकयी ने कनक भवन को माता सीता (Mata Sita) को मुंह दिखाई में दिया था. कनक भवन में स्थित राम-जानकी की मूर्ति श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करती है.
अयोध्या (Ayodhya) में राजा दशरथ (King Dashrath) का भव्य महल स्थित है. यहां पर श्रद्धालु काफी संख्या में भजन-कीर्तन करते हैं. राजा दशरथ के महल (Dashrath Mahal) को देखकर आप राम भक्ति (Ram Bhakti) में लीन हो जाएंगे.
अयोध्या (Ayodhya) में हर कोई भगवान श्रीराम (Lord Rama) की जन्मभूमि (Ram Janmabhoomi) को देखने की इच्छा लेकर जाता है. श्रीराम के जन्म स्थान पर अभी भव्य राम मंदिर (Ram Mandir) का निर्माण चल रहा है. यहां पर रामलला की मूर्ति विराजमान है, जिसके आप दर्शन कर सकते हैं.
हनुमानगढ़ी मंदिर (Hanuman Garhi Temple) के पास ही दंतधावन कुंड (Dantdhavan Kund) स्थित है. इस जगह को राम दतौन भी कहा जाता है. माना जाता है कि भगवान श्रीराम (Lord Rama) इसी कुंड के पानी से दांतों की सफाई करते थे. अयोध्या यात्रा (Ayodhya Trip) के दौरान इस कुंड पर जरूर जाएं.
सरयू नदी (Sarayu River) के दर्शन और इसमें नहाने के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं. माना जाता है कि सरयू नदी में स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और भगवान श्रीराम (Lord Rama) का आशीर्वाद प्राप्त होता है. इसलिए अयोध्या (Ayodhya) जाने पर सरयू नदी में स्नान करना न भूलें.
जैन धर्म (Jain Religion) के लोगों के लिए भी अयोध्या (Ayodhya) पवित्र स्थल है. यहां पर दिगंबर जैन मंदिर स्थित है. मान्यता है कि जैन धर्म के पहले तीर्थंकर ऋषभदेव (Rishabhdev) का जन्म अयोध्या में ही हुआ था. इस जैन मंदिर में ऋषभदेव की भव्य मूर्ति विराजमान है. यहां आकर आपको सुकून और शांति का अहसास होगा.
बाबरी मस्जिद (Babri Masjid) का निर्माण बादशाह बाबर (Babar) ने 1527 ई. में करवाया था. मीर बाकी ने बाद में इस मस्जिद का नाम बाबरी मस्जिद रखा था. 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद को ढहा दिया गया था.
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