Election 2023 News: केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को शिवपुरी से चुनाव लड़ने से रोकने के लिए कांग्रेस ने खास प्लान बनाया था, लेकिन बीजेपी ने आखिरी समय में अपनी रणनीति बदल दी और सिंधिया शिवपुरी से चुनावी मैदान में नहीं उतारने का फैसला किया.
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Congress plan for Jyotiraditya Scindia: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए 17 नवंबर को मतदान होना है. बीजेपी (BJP) ने केंद्रीय मंत्रियों समेत कई सांसदों को चुनावी मैदान में उतारा है, लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया को टिकट नहीं दिया गया. बताया जा रहा है कि पार्टी ने सिंधिया के नाम को लेकर मंथन किया था, लेकिन आखिरी समय में उम्मीदवारों की लिस्ट से उनका नाम हटा दिया गया. अब इस पर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने चुटकी ली है और कहा है कि वो डरकर भाग गए.
शिवपुरी से सिंधिया के चुनाव लड़ने की थी चर्चा
बता दें कि केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के गृह क्षेत्र शिवपुरी से चुनाव लड़ने की चर्चा थी. ज्योतिरादित्य सिंधिया की बुआ और मध्यप्रदेश सरकार में राज्य मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने भी अपने खराब स्वास्थ्य का हवाला दिया और इस बार चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया. यशोधरा राजे शिवपुरी से मौजूदा भाजपा विधायक हैं. हालांकि, पार्टी ने अब ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी चुनावी मैदान में नहीं उतारा है और देवेंद्र कुमार जैन को टिकट दिया है.
सिंधिया को रोकने के लिए कांग्रेस का प्लान?
कांग्रेस ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के गृह क्षेत्र शिवपुरी से पिछोर के मौजूदा विधायक केपी सिंह को मैदान में उतारा है. केपी सिंह पिछोर सीट से 6 बार के विधायक हैं और उन्हें खास प्लान के तहत शिवपुरी से उतारा गया है. केपी सिंह को शिवपुरी से उतारे जाने को लेकर दिग्विजय सिंह ने बड़ा बयान दिया है और सवाल का जवाब देते हुए कहा कि केपी सिंह उनकी पार्टी के सहयोगी, एक लोकप्रिय नेता है और उनके रिश्तेदार भी हैं. यह पूछे जाने पर कि क्या ऐसा ज्योतिरादित्य सिंधिया को भाजपा के टिकट पर शिवपुरी से चुनाव लड़ने से रोकने के लिए किया गया था? इस पर दिग्विजय सिंह ने कहा, 'निश्चित रूप से. वह (सिंधिया) डरकर भाग गए (केपी सिंह का सामना करने के लिए).'
साल 2020 में बीजेपी में शामिल हो गए थे सिंधिया
साल 2018 में हुए मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 230 में से 114 सीटें जीत हासिल की थी, जबकि भाजपा सिर्फ 109 सीटों पर जीत हासिल कर पाई थी. इसके बाद कांग्रेस ने सत्ता पर कब्जा किया था और कमलनाथ मुख्यमंत्री बने थे. लेकिन, मार्च 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने कुछ वफादार विधायकों के साथ बीजेपी में शामिल हो गए थे. सिंधिया और अन्य विधायकों के विद्रोह के बाद कमलनाथ सरकार गिर गई और चौथी बार मुख्यमंत्री के रूप में शिवराज सिंह चौहान की वापसी का रास्ता साफ हो गया.
कमलनाथ चाहते थे सपा के साथ गठबंधन: दिग्विजय सिंह
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि कमलनाथ विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी (SP) के साथ पूरी ईमानदारी के साथ गठबंधन करना चाहते हैं, लेकिन पता नहीं विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया ’ के दोनों घटकों के बीच इस मुद्दे को लेकर बातचीत कैसे पटरी से उतर गई. दिग्विजय सिंह ने अखिलेश यादव की उनके नेतृत्व के गुणों के लिए तारीफ की. इसके साथही उन्होंने मध्य प्रदेश कांग्रेस प्रमुख कमलनाथ द्वारा उनके लिए शब्दों के चयन पर असहमति भी जताई. दिग्विजय सिंह ने कहा कि उन्होंने कमलनाथ को सपा के लिए चार विधानसभा सीटें छोड़ने का सुझाव दिया था, जबकि सपा आधा दर्जन सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारना चाहती थी.
क्या बीजेपी के साथ जाएंगे अखिलेश यादव?
दिग्विजय सिंह ने कहा कि उन्होंने कांग्रेस और सपा के बीच सीटों की लड़ाई को कम करने की कोशिश की. उन्होंने कहा कि यह ठीक है... गठबंधन सहयोगियों के बीच दोस्ताना झगड़े होते रहते हैं, लेकिन मैं जानता हूं कि सपा और अखिलेश कभी भी भाजपा के साथ नहीं जाएंगे. इसके साथ ही दिग्विजय सिंह ने कमलनाथ के उस बयान पर भी अपनी बात रखी, जिसमें उन्होंने कहा था, 'छोड़िए अखिलेश वखिलेश'. इस पर दिग्विजय ने कहा कि मुझे नहीं पता कि उन्होंने (कमलनाथ ने) ऐसा कैसे कहा. इंडिया’ गठबंधन के किसी नेता के बारे में ऐसी प्रतिक्रियाओं से बचना चाहिए.'
(इनपुट- न्यूज़ एजेंसी भाषा)