Kukur Puja festival: हर देश में अपना अलग-अलग त्योहार मानाया जाता है. सभी देशों में वहां के रहने वालों की अलग मान्यताएं भी होती हैं. जैसे भारत में दिवाली के दौरान गणेश-लक्ष्मी की पूजा की गई, ठीक इसी तरह नेपाल में कुत्तों की पूजा की जाती है. जिसे कुकुर तिहार या कुकुर पूजा कहते हैं.
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Kukur Puja: नेपाल में कुकुर तिहार को 'कुकुर पूजा' के नाम से भी जाना जाता है. इसे हर साल दिवाली के दूसरे दिन मनाया जाता है. यह त्योहार विशेष रूप से कुत्तों के प्रति श्रद्धा और प्रेम का प्रतीक है. इस दिन लोग अपने पालतू कुत्तों को फूलों की मालाओं से सजाते हैं और उन्हें विशेष भोजन परोसते हैं. कुत्तों को यमराज के दूत माना जाता है, जो अपने स्वामी की रक्षा करते हैं. कुकुर तिहार केवल पालतू कुत्तों के लिए नहीं, बल्कि सड़कों पर रहने वाले कुत्तों के प्रति भी दया और संवेदनशीलता का संदेश देता है. नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने दीपावली के पांच दिवसीय उत्सव के तहत गुरुवार को ‘कुकुर तिहार’ मनाया और इस दौरान कई महिला फुटबॉल खिलाड़ियों से बातचीत की और उन्हें ‘नेपाली फुटबॉल की लक्ष्मी’ करार दिया.
कुकुर पूजा का क्या है मतलब?
कुकुर तिहार या कुकुर पूजा का शाब्दिक अर्थ है कुत्तों की पूजा. यह रोशनी के त्योहार दिवाली के एक बड़े हिंदू उत्सव के भीतर एक छोटा त्योहार है. कुकर पूजा में कुत्ते को उसके गले में एक फूल की माला या "मल्ला" पहनाया जाता है. माथे पर "टिक्का" लगाया जाता है, जो लाल पाउडर, चावल और दही से बना पेस्ट होता है. कुकुर पूजा वैसे तो कई जगहों पर मनाया जाता है. लेकिन नेपाल में इसकी विशेष मान्यता है.
कुकुर पूजा की देखें वीडियो:-
All houses in Nepal decked up for 5 day long Tihar celebration
The five-day Tihar celebration commenced from Yamapanchak on Wednesday. Today people celebrated Kukkur Tihar, celebrating human-dog companionship and appreciating dog’s loyalty and benevolence. Kukkur Tihar is second… pic.twitter.com/bMmqMBNfvS
— DD News (@DDNewslive) October 31, 2024
कुकुर तिहार पर नेपाल में लोगों को किया गया सम्मानित
नेपाल पुलिस ने ‘कुकुर तिहार’ के अवसर पर काठमांडू में महाराजगंज स्थित अपने कार्यालय में तीन श्वानों को विभिन्न क्षेत्रों में उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए सम्मानित किया. हिंदू और बौद्ध, रोशनी के इस त्योहार को पूरे उत्साह के साथ मना रहे हैं.
नेपाल में कौवे की भी होती है पूजा
यह उत्सव बुधवार को शुरू हुआ और इसके तहत पांच दिन तक नेपाल वासी जानवरों और पक्षियों की पूजा करते हैं. बुधवार को त्योहार का पहला दिन काग पूजा या कौवे की पूजा के रूप में मनाया गया. इस उत्सव पर लोग सोने और चांदी के सिक्के भी खरीदते हैं और धन एवं खुशहाली की कामना करते हैं. दूसरे दिन, बृहस्पतिवार को कुकुर तिहार मनाया गया, जिसमें श्वानों को यमराज के दूत और मनुष्यों के मित्र के रूप में पूजा जाता है.
गायों की पूजा
शुक्रवार को कई लोग धन की देवी लक्ष्मी की पूजा करेंगे. इस दिन लक्ष्मी की प्रतीक गायों की भी पूजा की जाती है और उन्हें भोजन दिया जाता है. चौथा दिन गोवर्धन पूजा का है, जो पौराणिक कथा के अनुसार उस दिन की याद में मनाया जाता है जब भगवान कृष्ण ने लोगों को विनाशकारी बारिश से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को उठाया था. पांचवें और अंतिम दिन ‘भाई टीका’ मनाया जाता है जिसमें भाई-बहन एक-दूसरे को उपहार देते हैं.