यूक्रेन संकट के बीच US ने भारत को दिया बड़ा ऑफर, क्या रूस से प्रभावित होंगे रिश्ते?
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यूक्रेन संकट के बीच US ने भारत को दिया बड़ा ऑफर, क्या रूस से प्रभावित होंगे रिश्ते?

अमेरिका का कहना है कि रक्षा आपूर्ति के लिए रूस पर भारत की निर्भरता को हम समझते हैं, लेकिन अब समय बदल गया है. हम और हमारे सहयोगी भारत के साथ रक्षा क्षेत्र में अधिक से अधिक सहयोग करने के लिए बहुत उत्सुक हैं.  

फाइल फोटो

वॉशिंगटन: यूक्रेन संकट (Ukraine Crisis) पर भारत (India) सीधे तौर पर रूस (Russia) की आलोचना से बचता रहा है. इसकी एक बड़ी वजह है सैन्य हथियारों को लेकर रूस पर निर्भरता. अमेरिका (America) भी इस बात को समझता है और अब उसने भारत को एक बड़ा ऑफर दिया है. यूएस ने रूसी हथियारों की आलोचना करते हुए कहा है कि वो भारत की रक्षा क्षेत्र में मदद करने के लिए तैयार है. अब देखने वाली बात ये होगी कि इस ऑफर के बाद क्या नई दिल्ली मॉस्को से दूरी बनाती है? 

  1. अमेरिका चाहते है रूस पर निर्भरता छोड़े भारत
  2. यूक्रेन मुद्दे पर भारत के रुख से नाराज है यूएस
  3. भारत ने अब तक नहीं की है रूस की आलोचना

यूएस ने रूस के हथियारों पर उठाया सवाल

राजनीतिक मामलों पर अमेरिका की विदेश सचिव विक्टोरिया नुलैंड ने बुधवार को ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ को दिए एक इंटरव्यू में कहा है कि भारत को ये सोचने की जरूरत है कि क्या हथियारों के लिए रूस पर उसकी निर्भरता ठीक है, क्योंकि रूस की लगभग 60 प्रतिशत मिसाइल काम करने की स्थिति में नहीं हैं. उन्होंने कहा कि भारत देखे कि रूस के हथियार (Russian Weapons) युद्ध के मैदान में कितना खराब प्रदर्शन कर रहे हैं.  

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रूस-चीन की बढ़ती दोस्ती का दिया हवाला

विक्टोरिया ने बताया कि रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) को लेकर उन्होंने भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर और विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला से बात की है. उन्होंने कहा कि अमेरिका भारत को रक्षा आपूर्ति के लिए रूस पर निर्भरता खत्म करने में मदद करने के लिए तैयार है. रूस-चीन संबंधों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यूक्रेन पर हमले के बीच रूस ने चीन से मदद की मांग की है. वो चीन से पैसों और हथियारों की मदद की मांग कर रहा है. इससे रूस और चीन के संबंध मजबूत हो रहे हैं जो कि न तो हमारे लिए सही है और न ही भारत के लिए. 

‘लोकतांत्रिक देशों को एकसाथ आना जरूरी’

अमेरिका की विदेश सचिव ने कहा कि रूस केमिकल और जैविक हथियारों के इस्तेमाल को लेकर गैर-जिम्मेदाराना बयान दे रहा है. ऐसे वक्त में जब अतिवादी ताकतें एक हो रही हैं, भारत और अमेरिका जैसे लोकतांत्रिक देशों के लिए जरूरी है कि वो साथ खड़े हों. विक्टोरिया नुलैंड ने कहा कि अमेरिका समझता है कि भारत-रूस के बीच ऐतिहासिक संबंध रहे हैं, लेकिन ये बात महत्वपूर्ण है कि यूक्रेन-रूस के मुद्दे पर हम एक साथ खड़े हों. रक्षा आपूर्ति के लिए रूस पर भारत की निर्भरता को भी हम समझते हैं. लेकिन अब समय बदल गया है. हम भारत के साथ रक्षा क्षेत्र में अधिक से अधिक सहयोग करने के लिए बहुत उत्सुक हैं. हमारे यूरोपीय सहयोगी और भागीदार भी ऐसा करने के लिए उत्सुक हैं.

क्या रूस के पास देने के लिए हथियार हैं?

अमेरिकी विदेश सचिव ने आगे कहा, 'हमने इस तथ्य के बारे में भी बात की कि क्या रूस वास्तव में भारत के लिए एक विश्वसनीय रक्षा आपूर्तिकर्ता है? देखें कि युद्ध के मैदान में रूसी हथियारों का प्रदर्शन कितना खराब है. उनकी सतह से हवा में मार करने वाली लगभग 60 प्रतिशत मिसाइलें भी चालू नहीं हैं. तो फिर सवाल उठता है कि क्या रूस के पास किसी को देने के लिए हथियार होंगे? अगर हम रूस से लड़ने के लिए यूक्रेन को हथियारों की सहायता दे सकते हैं तो भारत को क्यों नहीं दे सकते. क्या आप पुतिन जैसे इंसान पर निर्भर नहीं रहना चाहते होंगे? ऐसे में विकल्प के तौर पर हम आपका साथी बनने के लिए उत्सुक हैं.'

 

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