K2-18B Planet: ब्रह्मांड के बारे में समझने की कोशिश जारी है. इन सबके बीच नासा के वेब टेलीस्कोप ने खास जानकारी साझा की है. नासा के वेब टेलीस्कोप ने एक्सोप्लेनेट के2-18 बी की खोज की जिस पर रहने की संभावना के संकेत मिले हैं. नासा के मुताबिक इस एक्सोप्लेनेट पर महासागर के होने की संभावना है.
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K2-18B Exoplanet: जिस धरती पर हम रहते हैं क्या उससे इतर भी कोई और धरती है. इस संबंध में नासा के वैज्ञानिकों ने बड़ा दावा करते हुए बताया कि एक विशाल एक्सोप्लेनेट पर महासागर है जो मौजूदा धरती से कई प्रकाश वर्ष दूर है. खास बात यह कि जीवन की मौजूदगी की तरफ इशारा करने वाला केमिकल भी मिला है.नासा के वेब टेलीस्कोप ने यह जानकारी दी है. नासा के मुताबितक एक्सोप्लेनेट K2-18बी मौजूदा धरती से करीब 9 गुना बड़ा है. यही नहीं उस ग्रह के वातावरण में मीथेन गैस और कार्बन डाईआक्साइड से जुड़े अणु भी मिले हैं.
हाइसीन प्लेनेट
नासा के मुताबिक यह प्लेनेट हाइसीन हो सकता है इसका अर्थ यह हुआ कि वहां पर ना सिर्फ हाइड्रोजन की पर्याप्त मात्रा है बल्कि बड़े महासागर भी हो सकते हैं. नासा ने बताया कि हबल स्पेस टेलीस्कोप के जरिए इस एक्सोप्लेनेट के वायुमंडलीय गुणों के बारे में जानकारी मिली उसके बाद उनकी सोच में बड़ा बदलाव आया. K2-18B के बारे में नासा का कहना है कि यह K2-18 का परिक्रमा कर रहा है और धरती से इसकी दूरी 120 प्रकाश वर्ष है. इसका आकार पृथ्वी औरक नेप्चयून की साइज के करीब करीब बराबर है. यह सौरमंडल की दूसरी चीजों से थोड़ा अलग है.
डीएमएस अणु की मौजूदगी
कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के खगोलशास्त्री और इन परिणामों की घोषणा करने वाले पेपर के प्रमुख लेखक निक्कू मधुसूदन ने बताया कि हमारे निष्कर्ष अन्यत्र जीवन की खोज में विविध रहने योग्य वातावरण पर विचार करने के महत्वपूर्ण हैं. परंपरागत रूप से, एक्सोप्लैनेट पर जीवन की खोज मुख्य रूप से छोटे चट्टानी ग्रहों पर केंद्रित रही है लेकिन बड़े हाइसीन दुनिया वायुमंडलीय अवलोकनों के लिए काफी अनुकूल हैं. मीथेन और कार्बन डाइऑक्साइड की प्रचुरता और अमोनिया की कमी की जानकारी दी गई है. यह इस परिकल्पना का समर्थन करता है कि K2-18 b पर हाइड्रोजन-समृद्ध वातावरण के नीचे एक जल महासागर हो सकता है. वेब के प्रारंभिक अवलोकन डाइमिथाइल सल्फाइड (DMS)नामक अणु की उपस्थिति का भी संकेत देते हैं. पृथ्वी पर, डीएमएस मुख्य रूप से जीवन द्वारा निर्मित होता है जो मुख्य रूप से समुद्री फाइटोप्लांकटन से निकलता है.