Space Junk: पिछले 30 साल में स्पेस में सैटेलाइट्स की तादाद काफी बढ़ गई है. यही सैटेलाइट्स बेकार होकर धरती पर गिर रही हैं. एक नई स्टडी के अनुसार भविष्य में अंतरिक्ष से रॉकेट्स, उनके हिस्से और पुराने सैटेलाइट्स (कचरा) गिरने की घटनाएं बढ़ जाएंगी.
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Pollution In Space: जरा सोचिए की आप आराम से शाम की चाय पी रहे हैं और तभी धड़ाम से आकर एक पुराने रॉकेट का मलबा आकर आपकी छत पर आ गिरता है. घर को भारी नुकसान पहुंचता है. लेकिन क्या ऐसी घटना होना मुमकिन है? क्या अंतरिक्ष के कचरे से लोगों को आने वाले समय में नुकसान पहुंच सकता है? क्या आपको इस बात का अंदाजा है कि हर मिनट अंतरिक्ष से धरती पर कचरा गिरता ही रहता है लेकिन वो इतना छोटा होता है कि हमारी आखें उन्हें देख नहीं पाती हैं. लगभग हर साल 40 हजार टन धूल धरती पर अंतरिक्ष से आ गिरती है. कई बार ऐसा भी हुआ है कि अंतरिक्ष से कचरा गिरने की वजह से इमारतें गिरी हैं लेकिन अभी तक अंतरिक्ष से धरती पर कचरा गिरने से किसी की भी मौत की खबर तो सामने नहीं आई है. लेकिन क्या ऐसा हो सकता है, ये बड़ा सवाल है.
वैज्ञानिकों की माने तो स्पेस में Human Made कचरें की मात्रा बढ़ती जा रही है. ये इसलिए हो रहा है क्योंकि पिछले कुछ सालों में बहुत सारे नये रॉकेट्स को अंतरिक्ष में भेजा गया है. पिछले 30 साल में स्पेस में सैटेलाइट्स की तादाद काफी बढ़ गई है. यही सैटेलाइट्स बेकार होकर धरती पर गिर रही हैं. Nature Astronomy जर्नल में एक नई स्टडी प्रकाशित हुई है जिसमें बताया गया है कि अंतरिक्ष से रॉकेट्स, उनके हिस्से और पुराने सैटेलाइट्स (कचरा) गिरने की घटनाएं बढ़ जाएगी और भविष्य में धरती पर स्पेस से कचरा गिरने की घटनाएं सामान्य हो जाएंगी, जिनसे लोगों की मौत भी हो सकती है.
स्टडी में ये भी सामने आया है कि जकार्ता, ढाका, लागोस, न्यूयॉर्क, बीजिंग और मॉस्को में ऐसी घटनाएं होने का सबसे ज्यादा खतरा है. आने वाले दस साल में स्पेस से गिरने वाले रॉकेट से 10 प्रतिशत लोगों की मौत होने की आंशका है. अभी फिलहाल में ऐसी कोई स्थिति नहीं हैं लेकिन अगले दस साल में ऐसी स्थिति बन सकती है.
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