Israel Lebanon Ceasefire: इजरायल और लेबनान के बीच संघर्ष विराम का ऐलान हो गया है. दुनियाभर के देशों ने इस फैसले का स्वागत किया है. हालांकि ऐलान के दौरान भी नेतन्याहू ने ऐसी बात कह दी जिससे गाजा समेत अन्य इलाकों में डर पैदा होना लाजमी है.
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Israel Lebanon Ceasefire: इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच जंगबंदी का ऐलान हो गया है. करीब एक साल तक चले संघर्ष के बाद यह समझौता लागू हुआ है. जंगबंदी समझौते को इजरायल के राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्रिमंडल ने मंगलवार रात को मंजूरी दी. दुनियाभर की निगाहें इस समझौते पर टिकी हैं. आखिर वह शर्ते कौन सी हैं जिन पर दोनों पक्ष राजी हुए. एक सवाल यह है कि क्या अब इलाके में शांति लौटने की उम्मीद की जा सकती है? इजरायली मीडिया के मुताबिक समझौता कथित तौर पर इजरायल को 60 दिनों का ट्रांजिशन पीरिडय प्रदान करेगा, इस दौरान आईडीएफ दक्षिणी लेबनान से अपनी फौज वापस ले लेगा, जबकि लेबनानी सेना लिटानी नदी के दक्षिण में लगभग 5,000 सैनिकों को तैनात करेगी, जिसमें इजरायल की सरहद पर 33 चौकियां भी शामिल हैं.
इजरायली पीएम ने कहा कि युद्ध विराम की अवधि 'लेबनान में क्या होता है इस पर निर्भर करेगी.' उन्होंने साफ कहा कि अगर हिजबुल्लाह ने दोबारा हथियारबंद होकर, सुरंग खोदकर, रॉकेट दागकर या इजरायली सरहद के नजदीक अपने बुनियादी ढांचे को फिर बनाकर समझौते का उल्लंघन किया तो इजरायल फिर से हमले शुरू कर देगा. प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्यूह ने समझौते को कबूल करने के पीछे तीन वजह बताई हैं. पहली- ईरानी खतरे पर ध्यान केंद्रित करना, दूसरी सुरक्षा बलों को राहत देना, हथियारों के स्टॉक को फिर से भरना और तीसरा ये कि मोर्चों को अलग कर हमास को अलग-थलग करना है.
राष्ट्रपति बाइडेन ने युद्ध विराम को बेहद महत्वपूर्ण बताया लेकिन इजरायल के आत्मरक्षा के अधिकार भी समर्थन किया. उन्होंने कहा,'मैं स्पष्ट कर दूं कि अगर हिजबुल्लाह या कोई और इस समझौते को तोड़ता है और इजरायल के लिए सीधा खतरा पैदा करता है, तो इजरायल का अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत आत्मरक्षा का अधिकार बरकरार रहेगा.' उन्होंने कहा,'हिजबुल्लाह और अन्य आतंकवादी संगठनों के बचे हुए लोगों को फिर से इजरायल की सुरक्षा के लिए खतरा बनने की इजाजत नहीं दी जाएगी.'
लेबनान के प्रधानमंत्री नजीब मिकाती ने मंगलवार को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ बातचीत के दौरान इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच संघर्ष विराम समझौते का स्वागत किया. पीएम मिकाती ने इस संबंध में एक्स पर कई पोस्ट किए. इनमें प्रस्ताव को लेबनान में शांति और स्थिरता बहाल करने, विस्थापित लोगों को उनके कस्बों, शहरों में लौटने में सक्षम बनाने की दिशा में एक मौलिक कदम बताया गया.
दूसरी तरफ हिजबुल्लाह के सबसे बड़े समर्थक ईरान ने भी समझौते का समर्थन किया. अलजजीरा के मुताबिक ईरानी विदेश मंत्रालय ने 'लेबनान के खिलाफ इजरायल की आक्रामकता' के अंत की 'खबर का स्वागत किया है.' हालांकि हिजबुल्लाह की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया.
इस बीच संयुक्त राष्ट्र ने समझौते के महत्व को स्वीकार किया लेकिन इसके जल्द लागू होने की बात पर जोर दिया. यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने सभी पक्षों से इस समझौते के तहत की गई अपनी प्रतिबद्धताओं का पूरी तरह से सम्मान करने और उन्हें तेजी से लागू करने की अपील की. यूएन प्रमुख ने अपने प्रवक्ता के जरिए जारी एक बयान में उम्मीद जताई कि यह समझौता 'उस हिंसा, विनाश और पीड़ा को समाप्त कर सकता है, जिसका सामना दोनों देशों के लोगों को करना पड़ रहा है.'