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सिडनी: ऑस्ट्रेलिया (Australia) और चीन (China) एक बार फिर आमने-सामने आ गए हैं. चीन द्वारा वाइन (Wine) पर बढ़ाए गए आयात शुल्क को लेकर ऑस्ट्रेलिया ने वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन (WTO) में जाने की चेतावनी दी है. ऑस्ट्रेलिया के ट्रेड मिनिस्टर डैन तेहन (Dan Tehan) ने कहा कि चीन द्वारा पांच सालों के लिए इम्पोर्ट ड्यूटी बढ़ाना पूरी तरह से अनुचित है और हम इसके खिलाफ WTO में शिकायत करेंगे. बता दें कि दोनों देशों के संबंध पिछले कुछ समय से तनावपूर्ण हो गए हैं. खासकर, वीगर मुस्लिमों के शोषण और कोरोना वायरस को लेकर ऑस्ट्रेलिया की बयानबाजी से बीजिंग नाराज है.
हमारी सहयोगी वेबसाइट WION के अनुसार, डैन तेहन (Dan Tehan) ने पूरे मामले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, ‘हम अगले कदम की तैयारी कर रहे हैं और यह चीन के अनुचित फैसले को विश्व व्यापार संगठन में चुनौती देना है’. दोनों देशों में बढ़ते तनाव के बीच चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने ऑस्ट्रेलियाई वाइन के आयात पर 116.2 से 218.4 प्रतिशत तक लेवी लगाने की घोषणा की है. जिस पर ऑस्ट्रेलिया का कहना है कि इससे उसकी वाइन निर्माता कंपनियों के लिए परेशानी खड़ी हो जाएगी.
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ऑस्ट्रलियाई ट्रेड मिनिस्टर ने कहा कि बढ़े हुए ट्रैरिफ का मतलब है कि चीनी बाजार में हमारी कंपनियों के लिए प्रस्तिपर्धा करना असंभव हो जाएगा. उन्होंने आगे कहा, ‘चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने जो निर्णय लिया है, वो बेहद निराशाजनक और पूरी तरह से अनुचित है. हम इसके खिलाफ WTO में शिकायत करेंगे’. वहीं, चीन के वाणिज्य मंत्रालय का कहना है कि जांच में यह सामने आया है कि ऑस्ट्रेलिया से आयात होने वाली वाइन को यहां डंप किया जा रहा है और उस पर दी जाने वाली सब्सिडी से चीनी कंपनियों को नुकसान हो रहा है. इसी को ध्यान में रखते हुए इम्पोर्ट ड्यूटी बढ़ाई गई है.
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ऑस्ट्रेलियाई सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, चीन में वाइन का निर्यात 2019 में रिकॉर्ड 900 मिलियन अमेरिकी डॉलर रहा था. पिछले साल के अंत में भी ऑस्ट्रेलिया ने चीन की दादागिरी के खिलाफ WTO का दरवाजा खटखटाया था. ऑस्ट्रेलिया का कहना था कि बीजिंग जानबूझकर उसकी कंपनियों को नुकसान पहुंचाने के लिए बार-बार आयात शुल्क बढ़ा रहा है. वहीं, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन (Scott Morrison) ने कहा कि चीन प्रतिशोध की कार्रवाई के लिए टैरिफ को बतौर हथियार इस्तेमाल कर रहा है. उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलिया शिनजियांग प्रांत में अल्पसंख्यकों पर हो रहे शोषण के खिलाफ ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के साथ खड़ा था, चीनी सरकार उसी का गुस्सा निकाल रही है.