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नई दिल्ली: भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका में हालात बहुत ज्यादा खराब हैं. वहां खाने-पीने की चीजों की किल्लत है और आर्थिक तंगी से परेशान लोग सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं. श्रीलंका में खाद्य महंगाई दर 30 फीसदी पहुंच गई है. ऐसे में आपको यह जानना भी जरूरी है कि सुंदर, समृद्ध जीवन जीने वाले श्रीलंकावासियों पर अचानक ये संकट का पहाड़ कैसे टूट पड़ा.
जानकारों का मानना है कि श्रीलंका के इस गंभीर संकट में फंसने की एक बड़ी वजह है चीन से लिया हुआ कर्ज. पहले श्रीलंका सरकार ने ऊंची ब्याज दर (High Interest Rate) पर कर्ज लेकर खूब निवेश किया लेकिन रिटर्न नहीं मिला. अब वही कर्ज श्रीलंका के संकट की बड़ी वजह है. ऐसे में यह भी जान लीजिए कि श्रीलंका ऐसा पहला देश नहीं है जो चीन की इस चाल में फंसा है. इससे पहले भी भारत के पड़ोसी पाकिस्तान, म्यांमार, मालदीव और बांग्लादेश से लेकर दुनिया के 165 देश ऐसे ही कर्ज में डूबे हैं.
रिसर्च लैब AID DATA की एक रिपोर्ट बताती है कि चीन ने दुनिया के 165 देशों के 13,427 प्रोजेक्ट्स में 843 अरब डॉलर का निवेश कर रखा है. जिसके लिए चीन के 300 से ज्यादा सरकारी फाइनेंस संस्थाओं (बैंक और फाइनेंस कंपनी) ने कर्ज दिया है. इसमें गौर करने वाली बात यह है कि चीन ने यह कर्ज सबसे ज्यादा गरीब देशों को ही दिया है. ऐसे 42 देश हैं, जिनका चीन से लिया हुआ कुल कर्ज, उनके GDP का 10 फीसदी से ज्यादा पहुंच चुका है.
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श्रीलंका का हाल भी कुछ ऐसा ही था. श्रीलंका की 2021 में GDP करीब 81 अरब डॉलर की रही. जबकि उस पर चीन का करीब 8 अरब डॉलर का कर्ज है. वहीं उस पर कुल देनदारी 45 अरब डॉलर की है. इस लिस्ट में पाकिस्तान, मालदीव, म्यांमार, लाओस, पापुआ न्यूगिनी, ब्रुनेई, कंबोडिया जैसे देश भी शामिल हैं.
IMF, World Bank के डेटा के अनुसार पाकिस्तान पर कुल विदेशी कर्ज में सिर्फ चीन का ही 27.1 फीसदी हिस्सा है. वहीं श्रीलंका पर 17.77 फीसदी, मालदीव पर 20 फीसदी, बांग्लादेश पर 6.81 फीसदी तो नेपाल पर विदेशी कर्जे का कुल 3.39 फीसदी हिस्सा सिर्फ चीन से है.
संकट के दौर से गुजर रहे श्रीलंका के सामने फिलहाल सबसे बड़ी समस्या यह है कि उसे चीन से मिले कर्ज पर कोई रियायत नहीं मिल रही है. चीन ने इस संकट में न केवल श्रीलंका का साथ छोड़ दिया है बल्कि कर्ज चुकाने में भी कोई राहत नहीं दे रहा है. ऐसे में महंगा कर्ज श्रीलंका के लिए बड़ी मुसीबत बन गया है. AID DATA की रिपोर्ट के अनुसार आमतौर पर चीन ने दूसरे देशों को 4.2 फीसदी के ऊंची ब्याज दर पर कर्ज दे रखा है. जबकि जापान, जर्मनी, फ्रांस ओईसीडी-एडीसी जैसे देश 1.1 फीसदी ब्याज पर कर्ज देते हैं. इसके अलावा कर्ज की अवधि भी चीन ने काफी कम रखी है. चीन ने ज्यादातर देशों को 10 साल की अवधि के लिए कर्ज दे रखे हैं. वहीं जापान, जर्मनी, फ्रांस,ओईसीडी-एडीसी जैसे देश 28 साल की अवधि पर कर्ज देते हैं.
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