China vs Taiwan: चीन और ताइवान में हुई जंग तो कौन पड़ेगा भारी, जानें दोनों की मिलिट्री, टैंक और लड़ाकू विमानों के बारे में सबकुछ
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China vs Taiwan: चीन और ताइवान में हुई जंग तो कौन पड़ेगा भारी, जानें दोनों की मिलिट्री, टैंक और लड़ाकू विमानों के बारे में सबकुछ

China Taiwan Tension: चीन ताइवान पर अपने क्षेत्र के रूप में दावा करता है. बीजिंग का कहना है कि वह एक दिन ताइवान को चीन में मिला लेगा भले ही इसके लिए ताकत का उपयोग करना पड़े.

China vs Taiwan: चीन और ताइवान में हुई जंग तो कौन पड़ेगा भारी, जानें दोनों की मिलिट्री, टैंक और लड़ाकू विमानों के बारे में सबकुछ

China Taiwan Military Strength Comparison: चीन और ताइवान के संबंध बेहद तनावपूर्ण स्थिति में पहुंच गए हैं. चीनी सेनाओं ने स्वशासित द्वीप को चारों तरफ से घेरकर एक बड़ा युद्धाभ्यास किया. यह अभ्यास ताइवान के नए राष्ट्रपति लाई चिंग-ते की टिप्पणी के जवाब में किया गया. चिंग ते ने ताइवान पर चीन की संप्रभुता के दावों को खारिज कर दिया था.

चीन ने स्पष्ट किया है कि उसकी जमीनी सेना, नौसेना, वायु सेना और रॉकेट बलों की संयुक्त सेनाओं ने दो दिवसीय अभ्यास के समापन के दिन क्षेत्र पर नियंत्रण और कब्जे के अभ्यास पर ध्यान केंद्रित किया.

चीन बताता है ताइवान को अपना क्षेत्र
गौरतलब है कि चीन ताइवान पर अपने क्षेत्र के रूप में दावा करता है. बीजिंग का कहना है कि वह एक दिन ताइवान को चीन में मिला लेगा भले ही इसके लिए ताकत का उपयोग करना पड़े.

चीन को दुनिया में एक महाशक्ति के रूप में देखा जाता है. ऐसे में सवाल उठता है कि अगर चीन और ताइवन के बीच सैन्य संघर्ष हुआ तो दोनों देशों देश कहां खड़ा हैं. दोनों की सैन्य क्षमताएं कितनी है.

मैन पावर
चीन की सेना, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) 20 लाख सदस्यों के साथ दुनिया की सबसे बड़ी स्थायी सेना है. इसकी तुलना ताइवान से करें, जिसकी आबादी ही सिर्फ 23 मिलियन है और सेना में 1,69,000 सक्रिय सेवा कर्मी हैं.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हालांकि ताइवान चीन के मुकाबले मिलिट्री रिजर्व के मामले में आगे है. उसके पास सैन्य रिजर्व में 1,500,000 लोग हैं. रिजर्व फोर्स के मामले में ताइवान पहले नंबर पर है, जबकि चीन छठे नंबर पर है.

 

रक्षा बजट
संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद चीन रक्षा पर दूसरा सबसे बड़ा खर्च करने वाला देश है, जिसने अपनी सेना के लिए 230 अरब डॉलर आवंटित किए हैं. दूसरी ओर, ताइपे ने 2023 में घोषणा की थी कि उसकी अपने रक्षा बजट को 19.1 बिलियन डॉलर तक बढ़ाने की योजना है, जो उसके सकल घरेलू उत्पाद के 2.6 प्रतिशत के बराबर है.

ताइवान की पूर्व राष्ट्रपति, त्साई इंग-वेन ने अपने कार्यकाल के दौरान लगातार सात बार बढ़ोतरी करते हुए रक्षा बजट को लगभग दोगुना कर दिया. उन्होंने अनिवार्य सैन्य सेवा को भी चार महीने से बढ़ाकर एक साल कर दिया.

लैंड पावर
मीडिया रिपोट्स के मुतबिक चीन के शस्त्रागार में 5,000 टैंक हैं. दूसरी ओर, ताइवान के पास 1,010 टैंक हैं. चीन यह भी दावा करता है कि उसके पास 35,000 बख्तरबंद गाड़ियां हैं जबकि ताइवान के पास केवल 3,472 हैं. जब टो और मोबाइल रॉकेट प्रोजेक्टर की बात आती है, तो चीन ताइवान से आगे निकल जाता है.

वायु शक्ति
आसमान में वायुशक्ति के मामले में भी, उन्नत J-20 सहित 3,304 विमानों के साथ चीन ताइवान से कहीं आगे है. बताया जाता है कि ताइपे के पास 750 विमान हैं.

चीन के शस्त्रागार में 3,304 विमानों में से 1,207 लड़ाकू युद्धक विमान हैं. वहीं, ताइवान के पास केवल 286 युद्धक विमान हैं. चीन के पास 450 विशेषज्ञ बमवर्षक विमान और 286 परिवहन विमान भी हैं, जबकि ताइपे के पास केवल 19 परिवहन विमान हैं और कोई बमवर्षक नहीं है.

समुद्र पर कौन है ताकतवर
नौसैनिक ताकत के मामले में चीन ताइवान से कहीं आगे है. बीजिंग के बेड़े में 730 जहाज हैं, जबकि ताइपे के पास 93 जहाज हैं. चीनी 49 विध्वंसक और 42 फ्रिगेट तैनात कर सकते हैं, जबकि ताइवान के पास ये क्रमशः चार और 22 हैं.

परमाणु शक्ति 
चीन ने यह खुलासा नहीं किया है कि उसके पास कितने परमाणु हथियार हैं. इसको लेकर अलग-अलग अनुमान लगाए जाते रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक किसी आकलन में संख्या 200 के आसपास बताई गई है तो किसी में 350. ऐसा भी कहा जाता है कि चीन 2030 तक 1000 परमाणु हथियार अपने पास रखने का इरादा रखता है. 

ताइवान के सामने विकल्प
स्पष्ट है कि मिलिट्री ताकत के मामले में ताइवान चीन के सामने कहीं नहीं ठहरता है. किसी भी तरह का सैनिक टकराव ताइवान के लिए बड़ा नुकसान साबित हो सकता है. कूटनीतिक प्रयास, राजनयिक संवाद, चीन के साथ बातचीत के साथ-साथ विश्व जनमत को अपने पक्ष में करने की कोशिशें ही ताइवान के लिए ज्यादा बेहतर विकल्प हैं.

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