Corona Cases in England: इंग्लैंड में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए जहां कुछ वैज्ञानिक लोगों से फेस मास्क पहनने की अपील कर रहे हैं तो दूसरी तरफ कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि अनावश्यक डर फैलाने से बचने की जरूरत है.
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Coronavirus England News: वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना वायरस की वजह से एक बार फिर हम सबको फेस मास्क लगाने के लिए तैयार रहना चाहिए. कोरोना वायरस के नए रूप को बीए.6 कहा जा रहा है लेकिन अभी उसे आधिकारिक नाम नहीं दिया गया है. इन सबके बीच वैश्विक स्तर पर यह सलाह दी जा रही है कि पूरी दुनिया को मास्क पहनने के लिए तैयार रहना चाहिए. हालांकि कुछ लोगों का यह भी मानना है कि अनावश्यक डर का माहौल नहीं बनाया जाना चाहिए. महामारी के दौर में जो प्रतिबंध लगाए गए थे अब उसकी जरूरत नहीं पड़ेगी. अगर बात इंग्लैंड की करें तो कोविड की वजह से अस्पतालों में मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. ब्रिटेन के स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि नए वैरिएंट को एरिस उपनाम दिया गया है और हर सात में से एक मरीज में इसके लक्षण देखे गए हैं.
खुद को छिपाने का आया समय
एक ट्वीट में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल विशेषज्ञ डॉ त्रिशा ग्रीनहाल का कहना है कि इस समय उनके भी व्हाट्सएप समूह पर इस तरह की खबरें आ रही हैं. इस बीच, यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन की गणितज्ञ प्रोफेसर क्रिस्टीना पगेल का कहना है कि वो विस्तार से कम समझ पा रहे हैं. लेकिन ऐसा लगता है कि यह एक बार फिर से खुद को छिपाने का समय है. इस कोरोनोवायरस वैरिएंट में बहुत सारे नए बदलाव हैं जो इसे अलग बनाते हैं. यही नहीं संभाविक बड़ी लहर के लिए अधिक सक्षम है.इस स्ट्रेन को मूल रूप से ऑनलाइन कोविड वैरिएंट ट्रैकर रयान हिस्नर ने उजागर किया था.
इंग्लैंड में हर सात में से एक में कोरोना
विशेषज्ञों ने अनुमान लगाया है कि खराब मौसम और बार्बेनहाइमर प्रभाव का जिक्र करते हुए कहा कि संक्रमण में वृद्धि के साथ-साथ प्रतिरक्षा में कमी भी हो सकता है.ऐसे कोई संकेत नहीं हैं कि नया खोजा गया संस्करण जो एरिस से अलग है अपने पूर्वज ओमीक्रॉन सहित अन्य की तुलना में अधिक खतरा पैदा करता है. वायरस ट्रैकर्स का कहना है कि इसे डेनमार्क और इजराइल में पहले ही देखा जा चुका है, जिससे पता चलता है कि इसका प्रसार शुरू हो गया हा. विशेषज्ञों का मानना है कि इस वैरिएंट के स्पाइक प्रोटीन में 30 से अधिक उत्परिवर्तन हैं. वायरस का वह हिस्सा जो मानव कोशिकाओं में चिपक जाता है और संक्रमण की वजह बनता है. इस वर्ष के अंत में 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों और कमजोर लोगों को बूस्टर टीके लगाए जाएंगे.