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नई दिल्ली: कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus Pandemic) के खिलाफ वैक्सीन को सबसे बड़ा हथियार माना जा रहा है और दुनियाभर के देश अपने नागरिकों को जल्द से जल्द टीका लगवाने का आग्रह कर रही है. कई देश अब वैक्सीन सर्टिफिकेट लेकर आ रहे हैं ताकि निगरानी की जा सके कि किसे टीका लगाया गया है और किसे अभी भी वैक्सीन शॉट लेने की जरूरत है, लेकिन इस बीच नकली वैक्सीन सर्टिफिकेट (Fake Covid-19 Vaccine Certificate) की समस्या तेजी से बढ़ती जा रही है.
कोरोना वैक्सीन सर्टिफिकेट पर कुख्यात काला बाजार अब अपनी पकड़ बना चुका है और जैसे-जैसे ज्यादा से ज्यादा देश वैक्सीन सर्टिफिकेट लेकर आ रहे हैं, फेक सर्टिफिकेट का बाजर बढ़ता जा रहा है. पिछले कुछ महीनों में नकली वैक्सीन सर्टिफिकेट (Fake Corona Vaccine Certificate) का काला बाजार दस गुना बढ़ गया है.
Zee News की सहयोगी वेबसाइट WION कि रिपोर्ट के अनुसार, एक सॉफ्टवेयर कंपनी चेक पॉइंट ने नकली कोविड वैक्सीन सर्टिफिकेट (Fake Covid-19 Vaccine Certificate) के लिए काले बाजार का निरीक्षण करने के लिए एक अध्ययन किया और पाया कि दुनिया भर के 29 देशों में यह तेजी से बढ़ता जा रहा है. इनमें से नौ प्रमुख देश नए हैं. इसमें ऑस्ट्रिया, ब्राजील, लातविया, लिथुआनिया, माल्टा, पुर्तगाल, सिंगापुर, थाईलैंड और संयुक्त अरब अमीरात हैं.
चेक पॉइंट रिसर्च (CPR) के विशेषज्ञों का दावा है कि मैसेजिंग ऐप टेलीग्राम पर 10 अगस्त को नकली कोविड वैक्सीन सर्टिफिकेट के लगभग एक हजार वेंडर थे. हालांकि यह संख्या अब 10 हजार से अधिक हो गई है और यह 10 गुना वृद्धि के संकेत है. इसके साथ ही टेलीग्राम पर ग्रुप के सदस्यों की संख्या में भी वृद्धि हुई है, जो पिछले कुछ महीनों में 30 हजार से बढ़कर 3 लाख हो गई है.
पहले ये फेक कोविड वैक्सीन सर्टिफिकेट टेलीग्राम (Fake Covid Vaccine Certificate on Telegram) पर 85 अमेरिकी डॉलर यानी करीब 6272 रुपये में उपलब्ध थे. हालांकि, जब से अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन (Joe Biden) ने वैक्सीन जनादेश की घोषणा की, 'रजिस्टर्ड' सीडीसी वैक्सीन सर्टिफिकेट की कीमत अब बढ़कर 200 यूएस डॉलर यानी करीब 14,759 रुपये हो गई है.
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