China के खिलाफ वैज्ञानिकों को मिला सबसे बड़ा सबूत, सामने आई Coronavirus के उत्पत्ति की सच्चाई!
Advertisement
trendingNow1909762

China के खिलाफ वैज्ञानिकों को मिला सबसे बड़ा सबूत, सामने आई Coronavirus के उत्पत्ति की सच्चाई!

नई स्टडी में ये दावा किया गया है कि कोरोना वायरस चीन की वुहान लैब में ही तैयार किया गया था. वैज्ञानिकों ने इसे रिवर्स-इंजीनियरिंग वर्जन से बदलने की कोशिश की, ताकि ऐसा लगे कि ये वायरस चमगादड़ से विकसित हुआ है.

China के खिलाफ वैज्ञानिकों को मिला सबसे बड़ा सबूत, सामने आई Coronavirus के उत्पत्ति की सच्चाई!

नई दिल्ली: चीन के वैज्ञानिकों ने वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (Wuhan Institute of Virology) की बायो सेफ्टी लेवल-4 (B.S.L 4) लैब में ही कोरोना वायरस (Coronavirus) को तैयार किया है. एक नई स्टडी में वैज्ञानिकों को मिले पुख्ता सबूत के आधार पर ये सनसनीखेज दावा किया गया है. 

'चमगादड़ से नहीं फैला कोरोना'

स्टडी में कहा गया कि चीनी वैज्ञानिकों ने वायरस को तैयार करने के बाद इसे रिवर्स-इंजीनियरिंग वर्जन से बदलने की कोशिश की, ताकि ऐसा लगे कि ये वायरस चमगादड़ से विकसित हुआ है. डेली मेल की खबर के मुताबिक, इस स्टडी को ब्रिटिश प्रोफेसर एंगस डल्गलिश (Angus Dalgleish) और नॉवे के वैज्ञानिक डॉ. बिर्गर सोरेनसेन (Birger Sorensen) ने किया है. 

ये भी पढ़ें:- Paytm से किसी अनजान को कर दिए हैं पैसे ट्रांसफर! जानिए कैसे ले सकते हैं वापस

चीन में वायरस पर रेट्रो-इंजीनियरिंग के सबूत

वैज्ञानिकों ने लिखा है कि उनके पास पिछले एक साल से भी अधिक समय से चीन में वायरस पर रेट्रो-इंजीनियरिंग के सबूत हैं. लेकिन शिक्षाविदों और प्रमुख मैगजीन ने इसे नजरअंदाज कर दिया. आपको बताते चलें कि प्रोफेसर डल्गलिश लंदन में सेंट जॉर्ज यूनिवर्सिटी में कैंसर विज्ञान के प्रोफेसर हैं. वहीं, डॉ सोरेनसेन एक वायरोलॉजिस्ट और इम्यूनोर नामक कंपनी के अध्यक्ष हैं, जो कोरोना की वैक्सीन तैयार कर रही है.

ये भी पढ़ें:- घर में रखे फ्रिज और प्याज से भी हो सकता है Black Fungus! एक्सपर्ट्स ने कही ये बात

कोविड सैंपल की जांच में मिला 'खास फिंगरप्रिंट'

इस स्टडी में कहा गया है कि, 'वुहान लैब (Wuhan Lab) में जानबूझकर डाटा को नष्ट किया गया. इसे छिपाया गया और गायब करने का प्रयास किया गया. जिन वैज्ञानिकों ने इसे लेकर अपनी आवाज उठाई, उन्हें चीन ने या तो चुप करा दिया या फिर गायब कर दिया गया. जब हम दोनों वैक्सीन बनाने के लिए कोरोना के सैंपल्स का अध्ययन कर रहे थे, तो उन्होंने वायरस में एक ‘खास फिंगरप्रिंट’ को खोजा, जिसे लेकर उनका कहना है कि ऐसा लैब में वायरस के साथ छेड़छाड़ करने के बाद ही संभव है.'

LIVE TV

Trending news