म्यांमार: रोहिंग्या मुसलमानों के शिविरों पर Corona का हमला, बेकाबू हो सकते हैं हालात
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म्यांमार: रोहिंग्या मुसलमानों के शिविरों पर Corona का हमला, बेकाबू हो सकते हैं हालात

म्यांमार (Myanmar) में रहने वाले रोहिंग्या मुसलमानों (Rohingya Muslim) की बस्ती पर कोरोना (CoronaVirus) का खतरा मंडरा रहा है. अब तक यहां कई मामले दर्ज किये जा चुके हैं.

फोटो: AFP

नेपिडॉ: म्यांमार (Myanmar) में रहने वाले रोहिंग्या मुसलमानों (Rohingya Muslim) की बस्ती पर कोरोना (CoronaVirus) का खतरा मंडरा रहा है. यहां अब तक कई मामले दर्ज किए जा चुके हैं. रखाइन राज्य के सितावे (Sittwe) शहर और उसके आसपास लगभग 130,000 रोहिंग्या शिविरों में रहते हैं, यदि कोरोना का प्रकोप बढ़ता है, तो घनी आबादी के चलते उसे नियंत्रित करना बेहद मुश्किल हो जाएगा.

  1. म्यांमार के बेहद बुरी स्थिति में रहते हैं रोहिंग्या मुसलमान
  2. रखाइन राज्य के सितावे शहर में लगाया नाइट कर्फ्यू
  3. घनी आबादी के चलते प्रकोप को नियंत्रित करना होगा मुश्किल
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शहर में पिछले सप्ताह 48 मामले दर्ज किए थे, जो म्यांमार में अब तक दर्ज लगभग 400 मामलों में से 10 प्रतिशत से अधिक हैं. इसे देखते हुए सरकार ने कर्फ्यू लगा दिया है और सभी स्कूलों को बंद कर दिया गया है. क्यॉ क्यॉ नामक रोहिंग्या ने न्यूज एजेंसी AFP को बताया कि हालात अच्छे नहीं है. हम बेहद चिंतित हैं, क्योंकि जिस स्थिति में हम रहते हैं वहां वायरस के प्रसार की आशंका ज्यादा है और यदि केस बढ़ते हैं तो उन्हें नियंत्रित करना आसान नहीं होगा.

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हाल ही में अधिकारियों की एक टीम ने थाए चुंग शिविर (Thae Chaung) का दौरा किया और लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग जैसी उपायों से अवगत कराया, लेकिन इसका पालन करना रोहिंग्या मुसलमानों के लिए लगभग नामुमकिन है, क्योंकि एक घर में कम से कम 10 परिवार रहते हैं. टीम ने शिविरों में सैनेटाइजर और मास्क भी वितरित किये.  

क्यॉ क्यॉ ने कहा, ‘यदि लॉकडाउन लंबे समय तक चलता है, तो हमें मदद की जरूरत होगी. फिलहाल हम सभी ने खुद को घरों में कैद कर लिया है’. सितावे में रात का कर्फ्यू लगाया गया है. साथ ही राजधानी में घरेलू उड़ानों सहित सभी सार्वजनिक परिवहन को निलंबित कर दिया गया है. 

रखाइन राज्य लंबे समय से जातीय और धार्मिक संघर्ष का केंद्र रहा है. पीढ़ियों से म्यांमार में रहने के बावजूद, रोहिंग्या मुस्लिमों को विदेशी ‘बंगलादेशी’ समझा जाता है. उनके पास नागरिकता अधिकारों का अभाव है और वे अपने हक के लिए आवाज भी नहीं उठा सकते. एक स्थानीय सांसद ने हाल ही में अपनी फेसबुक पोस्ट में कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के लिए रोहिंग्या को दोषी ठहराया था, हालांकि बाद में उस पोस्ट को हटा लिया गया. गौरतलब है कि 750,000 रोहिंग्या 2017 में सैन्य कार्रवाई के बाद पड़ोसी बांग्लादेश भाग गए थे. 

मराकु-यू क्षेत्र में इस सप्ताह तीन मामले सामने आये हैं. इसे देखते हुए शिविरों में रहने वाले मुसलमानों को डर है कि कहीं उन तक पहुंचने वाली खाद्य आपूर्ति बाधित न हो जाए. कैप के लीडर Hla Maung Oo ने AFP से कहा कि यदि वायरस तेजी से फैलता है, तो हम बहुत मुश्किल में पड़ जाएंगे, क्योंकि हमारे लिए अपने गांव लौटना भी संभव नहीं है.

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