Coronavirus: इस समय जब अधिकतर देश कोरोना वायरस की दूसरी लहर से संघर्ष कर रहे हैं, तब कुछ देश ऐसे भी हैं जिन्हें इस वायरस पर रोकथाम में कामयाबी मिली है.
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नई दिल्ली: इस समय जब अधिकतर देश कोरोना वायरस की दूसरी लहर से संघर्ष कर रहे हैं, तब कुछ देश ऐसे भी हैं जिन्हें इस वायरस पर रोकथाम में कामयाबी मिली है. इनमें इजरायल दुनिया का पहला ऐसा देश है, जहां पर मास्क लगाने की पाबंदी हटा दी गई है. यहां लोग मास्क हटाते हुए टिकटॉक वीडियो बना रहे हैं.
न्यूजीलैंड में लोगों को एक साल बाद आस्ट्रेलिया से आने जाने की छूट मिल गई है. पहले यहां सफर करने के बाद क्वारंटीन होना पड़ता था, इस कारण से लोग जाने से बचते थे. ये तस्वीरें एयरपोर्ट की हैं, जहां लंबे समय बाद एक दूसरे से लोग मिल रहे हैं.
ब्रिटेन में एक साल बाद लॉकडाउन हटा दिया गया है. यहां लोग रेस्टोरेंट में सेलिब्रेट कर रहे हैं और बच्चे अपने माता-पिता के साथ जू में घूम रहे हैं. इन देशों ने कोरोना वायरस के खिलाफ ये लड़ाई कैसे जीती. इसे इन तीन बातों से समझिए.
इजरायल ऐसा इसलिए कर पाया क्योंकि, उसने अपने यहां वैक्सीन अभियान बहुत तेजी से चलाया. इजरायल में 20 साल से ऊपर की 53 प्रतिशत आबादी को वैक्सीन के दोनों डोज लग चुके हैं. यानी इजराइल की ताकत वहां का वैक्सीनेशन है. हालांकि इज़रायल काफ़ी छोटा देश है और उसकी आबादी सिर्फ़ 93 लाख है. यहां एख बड़ी बात ये है कि इज़रायल में इस समय स्थायी सरकार नहीं है. इसके बावजूद उसे इस महामारी के खिलाफ सफलता मिली.
न्यूज़ीलैंड अपनी सीमा ऑस्ट्रेलिया के लिए इसलिए खोल पाया क्योंकि, यहां के लोगों ने सख्त अनुसाशन का पालन किया. लोगों ने मास्क लगाने की आदत नहीं छोड़ी और सोशल डिस्टेंसिंग को भी ध्यान में रखा.
कोरोना वायरस की महामारी से ब्रिटेन सबसे ज्यादा परेशान रहा, लेकिन यहां के लोगों ने सरकार का साथ नहीं छोड़ा. यहां तीन चरणों में 175 दिनों तक लॉकडाउन रहा, जिसका सख्ती से पालन हुआ. यानी हम कह सकते हैं कि ब्रिटेन के सख्त लॉकडाउन ने वहां की जनता के लिए एक रक्षा कवच के रूप में काम किया और यहां के लोग दुनिया के सबसे लंबे लॉकडाउन से उबे नहीं. उन्होंने जल्दीबाजी नहीं दिखाई. इसलिए आज ये देश फिर से खुल गया है. सख़्त लॉकडाउन के साथ वैक्सीनेशन भी ब्रिटेन की कामयाबी का एक कारण है. ब्रिटेन में 3 करोड़ 82 लाख लोगों को वैक्सीन की पहली डोज लग चुकी है.
एक बड़ी बात ये है कि इन देशों में कोरोना वायरस को लेकर कोई राजनीतिक नहीं हुई.
हालांकि इसमें हमारे देश से कहां भूल हुई आज ये समझना भी ज़रूरी है. आपने टेस्ट क्रिकेट में कई टीमों को फॉलो ऑन देते हुए देखा होगा फॉलो ऑन देने वाली टीम जीत की स्थिति में होती है और विरोधी टीम पर हार का ख़तरा होता है.
आज से दो महीने पहले भारत में कोरोना वायरस की स्थिति कुछ ऐसी ही थी. भारत के लोगों ने अनुशासन दिखाया और हमने कोरोना को फॉलो ऑन दे दिया. हालांकि इस दौरान हम भूल गए कि कोरोना अभी हारा नहीं है और यहीं हमसे भूल हुई. लोगों ने बहुत जल्दी अपनी जीत मान ली और अनुशासन को भुला दिया.
इसी का नतीजा हुआ कि भारत में फिर से कोरोना वायरस की दूसरी लहर आई और अब इससे लाखों लोग प्रभावित हो रहे हैं. इसे आप इन आंकड़ों से समझिए. 5 अप्रैल को पहली बार भारत में एक दिन में एक लाख से ज़्यादा नए मरीज मिले थे, लेकिन 1 लाख से 2 लाख 73 हज़ार मामलों तक हम सिर्फ़ 13 दिन में पहुंच गए.