DNA ANALYSIS: जानिए जापान में क्‍यों शुरू किया गया अकेलापन दूर करने वाला मंत्रालय?
Advertisement
trendingNow1855159

DNA ANALYSIS: जानिए जापान में क्‍यों शुरू किया गया अकेलापन दूर करने वाला मंत्रालय?

जापान की जनसंख्या साढ़े बारह करोड़ है. इसमें करीब 63 लाख बुजुर्ग हैं और 6 करोड़ से ज्यादा युवा. यानी कुल जनसंख्या का 5 प्रतिशत बुजुर्ग और 50 प्रतिशत युवा हैं. 

DNA ANALYSIS: जानिए जापान में क्‍यों शुरू किया गया अकेलापन दूर करने वाला मंत्रालय?

नई दिल्‍ली:  आज हम आपके साथ दुनिया की ऐसी समस्या का विश्लेषण करेंगे जिसमें इंसान अपने विनाश की टूलकिट खुद तैयार करता है.  वो जीवन की जगह मृत्यु के बारे में सोचता है. ये ऐसी बीमारी है जिसमें मरीज डॉक्टर से ठीक होने की दवा नही मांगता, बल्कि अपनी मौत की तारीख पूछता है.  ये ऐसी बीमारी है जिसका पता किसी ब्‍लड टेस्‍ट, एक्‍स रे  या स्‍कैन से नहीं चल सकता है.  इसे वही आदमी जानता है जो अकेलपन का मरीज है. ये अकेलापन अवसाद की ओर बढ़ता है और आत्महत्या पर जाकर खत्म होता है. 

युवाओं की मौत की तीसरी सबसे बड़ी वजह सुसाइड 

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, दुनियाभर में युवाओं की मौत की तीसरी सबसे बड़ी वजह सुसाइड है और इसका सबसे बड़ा कारण अकेलापन है. 

इस समस्या से अपने नागरिकों बचाने के लिए जापान ने एक मंत्रालय की शुरुआत की है. इसका नाम- Ministry of Loneliness है. यूं तो जापान के लोग पूरी दुनिया में काम के प्रति अपनी ईमानदारी और मेहनत के लिए प्रसिद्ध हैं लेकिन उनके समाज को भीतर ही भीतर अकेलापन कैसे खोखला कर रहा है ये किसी को नहीं पता था. 

बात करने के लिए रोबोट डॉग और रोबोट फ्रेंड रखते हैं लोग 

जापान की जनसंख्या साढ़े बारह करोड़ है. इसमें करीब 63 लाख बुजुर्ग हैं और 6 करोड़ से ज्यादा युवा.  यानी कुल जनसंख्या का 5 प्रतिशत बुजुर्ग और 50 प्रतिशत युवा हैं. ये बुजुर्ग ही जापान की सबसे बड़ी चिंता हैं क्योंकि, इनके पास कोई ऐसा नहीं होता जो अकेलेपन से लड़ने में इनकी मदद करे. हालात इतने खराब हैं कि लोग अपने घरों में रोबोट डॉग और रोबोट फ्रेंड रखते हैं और उनसे बात करते हैं. 

आत्‍महत्‍या के आंकड़ों से बढ़ी चिंता 

जापान में वर्ष 2020 में जब आत्महत्या के आंकड़े आए, तो सरकार की चिंता बढ़ गई.  2019 की अपेक्षा सुसाइड के मामले करीब 4 प्रतिशत ज्यादा थे. वर्ष 2019 में 20,169 लोगों ने सुसाइड किया था. जबकि वर्ष 2020 में 20,919 ने सुसाइड किया यानी साढ़े सात सौ केस बढ़ गए. हर 1 लाख नागरिकों में से 16 आत्महत्या कर रहे थे. जांच की गई तो पता चला कि इसकी सबसे बड़ी वजह अकेलापन है. 

तब जापान की सरकार ने Ministry of Loneliness को बनाने का फैसला लिया. ये मंत्रालय जापान में अकेलेपन की समस्या को दूर करने के लिए काम करेगा. ये देश के स्कूल, क्लब, कॉलेज और मंत्रालयों के साथ मिलकर अकेलेपन के लक्षणों की पहचान करेगा और फिर उन्हें दूर करने की योजना बनाएगा. 

अकेलेपन की पहचान कैसे करें?

ये सब सुनने के बाद आप शायद आप सोच रहे होंगे कि अकेलेपन की पहचान कैसे करें, तो इसमें हम आपकी कुछ मदद करेंगे. 

अकेलेपन से पीड़ित व्यक्ति को लगता है कि कोई उसके साथ नहीं है. वो किसी पर विश्वास नहीं कर सकता है. उसे अपनी जिंदगी का कोई उद्देश्य नजर नहीं आता है. किसी काम में उसका मन नहीं लगता है. उसे किसी भी चीज की जरूरत समझ में नहीं आती है.  हर रिश्ते और भावना से उसका विश्वास खत्म हो जाता है. 

पर समस्या ये है कि इन लक्षणों को किसी लैब में टेस्ट नहीं किया जा सकता है. कोई डॉक्टर नब्ज पकड़ कर भी इनके बारे में नहीं जान सकता है. जब हम बीमार होते हैं, तो डाक्टर के पास जाते हैं, टेस्‍ट कराते हैं, डॉक्टर से अपने ठीक होने का समय और तरीका पूछते हैं, उसकी सलाह पर मेडिसिन लेते हैं, धीरे-धीरे ठीक होते हैं.  और हमें इसका अहसास भी होता है. पर अकेलेपन का शिकार व्यक्ति ऐसा कुछ भी नहीं करता है. वो डॉक्टर से अपने अंत की तारीख पूछता है और लगातार नकारात्‍मक सोच में डूबता जाता है. यहां एक बात बहुत ध्यान देने वाली है और वो ये कि अकेलेपन की समस्या  बैचलर्स की अपेक्षा शादीशुदा लोगों में 60 प्रतिशत ज्‍यादा रहती है. 

तेजी से घटती है उम्र

अकेलापन कितना खतरनाक है, यह आप हार्वर्ड बिजनेस रिव्‍यू की एक रिसर्च से समझ सकते हैं. अकेलेपन की वजह से आदमी की उम्र तेजी से घटती है और ये उतना ही नुकसान पहुंचाता है, जितना एक दिन में 15 सिगरेट पीने से होता है. 

अब शायद आप ये सोच रहे हों कि क्या मंत्रालय बनाने से अकेलेपन की समस्या दूर हो सकती है, तो इसका जवाब जानने के लिए भी हमने थोड़ी रिसर्च की है.

इंग्‍लैंड में भी बनाया गया था अकेलापन दूर करने वाला मंत्रालय

वर्ष 2018 में इंग्‍लैंड ने भी दुनिया में सबसे पहले अकेलेपन को दूर करने का मंत्रालय बनाया था.  दो साल बाद इंग्लैंड के लोग यह मानते हैं कि उन्हें इस मंत्रालय से कोई फायदा नहीं हुआ. मंत्रालय बनाया तो गया पर उन लोगों तक नहीं पहुंच सका, जिन्हें इसकी जरूरत थी. 

अकेलेपन की समस्या ये है कि इससे पीड़ित व्यक्ति खुद को लोगों से अलग कर लेता है और फिर लोग उसको भूल जाते हैं.  दुनिया के बड़े अपराधियों और तानाशाहों को भी अकेलेपन की बीमारी से पीड़ित माना जाता है. ये लोग अपनी समझ को ही अंतिम मान लेते हैं और दूसरों से संवाद की गुंजाइश खत्म कर देते हैं.

बढ़ने लगती है असुरक्षा की भावना 

दुनिया में जब जब बड़ी महामारी या युद्ध होते हैं हमारी जिंदगी में अकेले होने की असुरक्षा बढ़ने लगती है. कोरोना के दौरान हम सबने इस भावना को महसूस किया है. लॉकडाउन के दौरान हम जब किसी से मिल नहीं सकते थे, तो हमारे व्यवहार में कई तरह के बदलाव भी आने लगे थे. गुस्सा, निराशा और घुटन बढ़ गई थी. सोचिए, अगर यही भावना वक्त के साथ खत्म न होती तो हम सब अकेलेपन के अंधेरे में खो सकते थे. 

अकेलेपन और एकांत में फर्क

पर यहां एक बात गौर करने की है कि अकेलेपन और एकांत में बहुत फर्क है. अकेलापन मन के भीतर की वो अवस्था है जो मानसिक बीमारी है जबकि एकांत व्यक्ति का आध्यात्मिक विकास है.  ऋषि-मुनि एकांत में साधना करते हैं.  वो अकेले होते हैं पर अकेलेपन में नहीं होते हैं. साहित्यकार, कलाकार अक्सर अपनी रचना के लिए एकांत की तलाश में रहते हैं. यानी एकांत सृजन की जरूरत है और अकेलापन विनाश की. जैसे योग की चरम अवस्था में जिस एकांत का अनुभव होता है वो व्यक्ति को योगी बना देता है, तो अगर हमें इस अकेलेपन की समस्या से बचना है तो अपनी आत्मा का विकास करना होगा.  यहां एक सर इकबाल का एक शेर याद आ रहा है जो अकेलेपन से लड़ने में हम सबकी मदद कर सकता है.

ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले
ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है

Trending news