कंधार की कुछ तस्वीरें सामने आई हैं, जहां से तालिबान ने अफगानिस्तान की सेना को उखाड़ फेंका है. कंधार से काबुल की दूरी लगभग 500 किलोमीटर है, लेकिन तालिबान पहले ही काबुल से 70 किलोमीटर दूरी पर पहुंच चुका है.
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नई दिल्ली: अफगानिस्तान में तालिबान तख़्तापलट के लिए क्रूरता की सारी हदें पार कर रहा है और इसे आप एक वीडियो से समझ सकते हैं. इस वीडियो में तालिबान के आतंकवादी, अफगानिस्तान के 22 निहत्थे सैनिकों को गोलियों से भूनते हुए नजर आ रहे हैं.
ये सैनिक वहां सरेंडर करने के लिए तैयार थे, लेकिन इसके बावजूद तालिबान ने बड़ी ही क्रूरता से इन सभी सैनिकों को मार दिया. ये वीडियो 16 जून का बताया जा रहा है.
तालिबान अब जम्मू कश्मीर से सिर्फ 400 किलोमीटर दूर है और आने वाले दिनों में तालिबान इस स्थिति में आ जाएगा कि वो जम्मू कश्मीर में आतंकवाद एक्सपोर्ट कर सकेगा.
अमेरिका और तालिबान के बीच हुए दोहा समझौते के बाद से अफगानिस्तान में युद्ध जैसी स्थितियां हैं और इस समझौते के तहत 90 प्रतिशत अमेरिकी सैनिक अफगानिस्तान को छोड़ कर जा चुके हैं और तालिबान धीरे-धीरे पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा करने की दिशा में बढ़ रहा है.
कंधार की कुछ तस्वीरें सामने आई हैं, जहां से तालिबान ने अफगानिस्तान की सेना को उखाड़ फेंका है. कंधार से काबुल की दूरी लगभग 500 किलोमीटर है, लेकिन तालिबान पहले ही काबुल से 70 किलोमीटर दूरी पर पहुंच चुका है और अब उसने कंधार पर भी कब्जा कर लिया है. कंधार पर उसके नियंत्रण का मतलब है कि अफगानिस्तान की अशरफ गनी सरकार अब जाने वाली है.
अफगानिस्तान में कुल 407 जिले हैं. इनमें से 212 जिलों पर तालिबान ने पूरी तरह कब्जा कर लिया है. 119 जिलों में तालिबान और अफगानिस्तान के बीच कब्जे के लिए संघर्ष चल रहा है और केवल 76 जिलों पर अफगानिस्तान की सरकार का नियंत्रण है.
हालांकि तालिबान का दावा है कि सरकार का नियंत्रण कुछ ही जिलों में रह गया है और 85 प्रतिशत इलाकों पर अब उसकी पकड़ है. यानी इस हिसाब से देखें तो आने वाले कुछ दिनों में अफगानिस्तान में तालिबान का शासन होगा.
भारत के लिए इसमें चिंता की बात ये है कि इस बार तालिबान मध्य अफगानिस्तान की जगह दूसरे देशों से लगने वाले सीमाई इलाकों पर कब्जा कर रहा है.
तालिबान ने ईरान, तुर्कमेनिस्तान, ताजिकिस्तान, पाकिस्तान और उज्बेकिस्तान की सीमा से लगने वाले जिलों को अपने नियंत्रण में ले लिया है और इस बार तालिबान की रणनीति साफ है कि वो सीमाई इलाकों पर खुद को मजबूत करेगा ताकि वहां उसकी सरकार आने पर पड़ोसी देश उस पर दबाव नहीं बना पाएं और वो एक बार फिर से अफगानिस्तान में अपना क्रूर शासन चला सके.
तालिबान, जम्मू कश्मीर में लाइन ऑफ कंट्रोल से सिर्फ 400 किलोमीटर दूर है. तालिबान ने अफगानिस्तान के बदख़्शां प्रांत पर कब्जा कर लिया है, जो पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से लगता है. अब अगर तालिबान अफगानिस्तान के सभी जिलों पर कब्जा करके अपनी सरकार स्थापित कर लेता है तो वो आसानी से जम्मू कश्मीर में अपने आतंकवादी भेज सकेगा और पाकिस्तान की मदद करेगा. यही वजह है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान तालिबान के मजबूत होने से इतना खुश हो रहे हैं.
पाकिस्तान के अलावा चीन भी भारत के लिए चुनौती बन सकता है. वो इसलिए क्योंकि, पाकिस्तान का जहां तालिबान पर प्रभाव है, तो वहीं चीन, अफगानिस्तान के लिए इस समय सबसे बड़ा इंवेस्टर है. इस समय अफगानिस्तान में चीन के बड़े-बड़े प्रोजेक्ट चल रहे हैं और तालिबान जानता है कि अगर उसे अपनी स्थिति को मजबूत रखना है तो उसे चीन के पैसों की सबसे ज्यादा जरूरत पड़ेगी.
इसी वजह से तालिबान ने ऐलान किया है कि वो अफगानिस्तान में चीन के प्रोजेक्ट्स को हाथ भी नहीं लगाएगा जबकि तालिबान भारत के निवेश को अफगानिस्तान में नुकसान पहुंचा रहा है और भारत इस बात से भी चिंतित है कि आने वाले समय में उसके 500 प्रोजेक्ट्स और उन पर खर्च हुए 2200 करोड़ रुपये मिट्टी में मिल जाएंगे.
ये भी एक विडम्बना है कि पश्चिमी देशों के जो थिंक टैंक और संयुक्त राष्ट्र मानव अधिकारों को लेकर पूरी दुनिया को लेक्चर देते हैं, वो अफगानिस्तान की मौजूदा स्थिति को लेकर ज्यादा सक्रिय नहीं हैं. वो भी तब, जब ये बात सब जानते हैं कि अफगानिस्तान में तालिबान का शासन मानव अधिकारों को कुचल कर रख देगा, जैसा उसने वर्ष 2001 से पहले किया था.
उस समय तालिबान ने शरिया कानून को सख्ती से लागू किया था और इसके तहत उसने पुरुषों के दाढ़ी रखने और महिलाओं को पूरा शरीर ढक कर रखने के लिए तालिबानी फरमान जारी किया था, जिसका उल्लंघन करने पर सरेआम मौत की सजा दी जाती थी.
इसके अलावा उस समय संगीत, सिनेमा और टेलीविजन देखने पर भी वहां प्रतिबंध था और 10 साल से ज्यादा उम्र की लड़कियों को स्कूल जाने की इजाजत नहीं थी. सरल शब्दों में कहें तो तालिबान अगर फिर से अफगानिस्तान में आया तो वहां फिर से वही होगा, जो पहले हुआ था.