मक्का में 'मौत वाला रास्ता', जो गया मर ही गया? जानें कैसे सऊदी में 1300 हज यात्रियों की चली गई जान
Advertisement
trendingNow12308649

मक्का में 'मौत वाला रास्ता', जो गया मर ही गया? जानें कैसे सऊदी में 1300 हज यात्रियों की चली गई जान

Hajj Pilgrims Death: हज यात्रा के दौरान मरने वालों का आंकड़ा 1300 के पार पहुंच चुका है, जिसमें 98 भारतीय शामिल हैं. सऊदी में इतने सारे लोगों की मौत कैसे हो गई, इसपर खूब सारे सवाल उठ रहे और नए खुलासे हो रहे है.

मक्का में 'मौत वाला रास्ता', जो गया मर ही गया? जानें कैसे सऊदी में 1300 हज यात्रियों की चली गई जान

Hajj Pilgrims Death: सऊदी अरब में इस साल भीषण गर्मी कहर बनकर आई है. इस बार हज यात्रा करने पहुंचे 1300 से अधिक लोगों की इस चिलचिलाती गर्मी के कारण मौत हो चुकी है. हर दिन मौत का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है. सऊदी अरब के स्वास्थ्य मंत्री फहद बिन अब्दुर्रहमान अल-जलाजेल ने कहा कि 1301 मौतों में से 83 फीसद बिना पंजीकृत के आए तीर्थयात्री थे, जो पवित्र शहर मक्का और उसके आसपास हज की रस्में निभाने के लिए भीषण गर्मी में लंबी दूरी तय करते थे. इसी बीच इन मौतों पर खूब खुलासे हो रहे हैं. 

दलालों की वजह से मौत
अरब टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक सऊदी अरब में हज के दौरान हुई मौतों में अवैध ट्रैवल एजेंटों और दलालों के गठजोड़ का भी मामला है. जो दुनिया भर में अपने धार्मिक दायित्वों को पूरा करने के लिए हताश मुसलमानों का शोषण कर रहे हैं. सऊदी अधिकारियों के अनुसार, इस साल हज पर याने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या 1.8 मिलियन से ज़्यादा हो गई है. जहाँ एक तरफ हर कोई मौतों पर दुख जता रहा है. वहीं दूसरी तरफ हज के दौरान हुई मौतों ने हज तीर्थयात्रा पर सवाल उठा दिए हैं. एमएस एजुकेशन अकादमी सऊदी अरब के अधिकारियों के अनुसार, 2024 हज सीज़न (1445 एएच) के दौरान तीर्थयात्रियों में 83% मौतें हुईं हैं. जिसमें 4 लाख लोगों ने अवैध रूप से हज करने का प्रयास किया. 

4 लाख लोगों की अवैध तौर पर यात्रा
समाचार एजेंसी एएफपी के अनुसार, एक वरिष्ठ सऊदी अधिकारी ने कहा कि इस साल लगभग 4,00,000 व्यक्तियों ने हज करने का गलत तरीका अपनाया. अधिकारियों से बचने के लिए इन लोगों ने गलत रास्ते यात्रा की. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक दस्तावेज़ों के बिना तीर्थयात्री अक्सर अधिकारियों से बचते हैं, जब उन्हें जरूरत होती है तो वह मदद नहीं मांग पाते, उन्हें पकड़े जाने का डर होता है. मक्का से लगभग 20 किलोमीटर (12 मील) दक्षिण-पूर्व में स्थित एक ग्रेनाइटोराइट पहाड़ी वाले रास्ते में सबसे अधिक मौते हुई हैं. इसी पहाड़ी पर अराफात अनुष्ठान होता है.

जानें सबसे अधिक किस देशों के लोगों की हुई मौत
एपी टैली के अनुसार, कुल 660 मिस्रवासी, इंडोनेशिया से 165, भारत से 98 और जॉर्डन, ट्यूनीशिया, मोरक्को, अल्जीरिया और मलेशिया से दर्जनों और अमेरिका से दो लोग भीषण गर्मी और तनाव की वजह से मारे गए हैं. पाकिस्तान, सेनेगल, सूडान और इराक के स्वायत्त कुर्दिस्तान क्षेत्र जैसे अन्य देशों ने भी मौतों की पुष्टि की है।

सऊदी सरकार का विरोध
सऊदी सरकार को बुजुर्गों और महिलाओं सहित तीर्थयात्रियों की सामूहिक मौतों पर अपनी देरी से कार्रवाई करने के लिए विरोध का सामना करना पड़ा है, मक्का के चारों ओर नियमों और सुरक्षा घेरे को लागू करने के बावजूद कई लोग इस तरह कैसे यात्रा कर रहे हैं, यह सवाल उठ रहा है.

जिनके पास कागज, वही जिंदा बच रहे
रिपोर्टों के अनुसार, बिना दस्तावेज़ वाले तीर्थयात्रियों को खुद को खुद की देखभाल करने के लिए छोड़ दिया गया था, अक्सर उन्हें चिलचिलाती गर्मी में मीलों तक चलने के लिए मजबूर होना पड़ता था, जबकि पंजीकृत तीर्थयात्रियों को वातानुकूलित बसों और टेंटों तक उनकी पहुँच नहीं थी.

पैदल चल-चल के मौत
सीएनएन को दिए गए प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हज यात्रियों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त चिकित्सा या बुनियादी सुविधाएँ नहीं थीं. एक तीर्थयात्री प्रतिदिन कम से कम 15 किलोमीटर पैदल चलता था और पानी की कमी, हीटस्ट्रोक और थकान ने थकावट को और बढ़ा दिया, जिसके बाद इन लोगों की मौत हो गई. ये तीर्थयात्री बेईमान ऑपरेटरों के शिकार हो गए थे, जिन्होंने उन्हें सस्ते पैकेज का वादा करके लुभाया था. और उन्हें उनके हाल पर मरने के लिए छोड़ दिया. 

क्यों हो रही हैं मौतें?
हज के दौरान यात्रियों को करीब 15 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है. हज यात्री पहले एहराम बांधकर मक्का जाते हैं. काब की परिक्रमा करते हैं. फिर सफा और मरवा पहाड़ियों के बीच 7 चक्कर लगाते हैं. उसके बाद मिना में रात बिताते हैं और अगली सुबह अराफात में बिताते हैं. फिर मिना में शैतान को कंकड़ मारते हैं और कुर्बानी देते हैं. इसके बाद बाल कटवाते हैं और हज यात्रा के लिए पहना एहराम उतारते हैं. तवाफ के लिए काबा वापस आते हैं. फिर मिना में शैतान को कंकड़ मारते हैं. आखिरी तवाफ के साथ हज यात्रा पूरी होती है. कुल मिलाकर यह बहुत परिश्रम का काम है.

सऊदी अरब क्या कह रहा है?
सऊदी अरब सरकार के मुताबिक इस साल 18 लाख लोगों ने हज यात्रा के लिए रजिस्टर करवाया था. जिन हज यात्रियों की मौत हुई, उनमें से आधे से ज्यादा बगैर रजिस्ट्रेशन के थे और ट्रैवल एजेंट्स के जरिये अवैध तरीके से मक्का-मदीना तक पहुंचे. चूंकि उनका रजिस्ट्रेशन नहीं था, इसलिये सऊदी सरकार द्वारा मिलने वाली एयर कंडीशन टेंट या बसों की सुविधा नहीं मिल पाई. अवैध यात्रियों को खुले में भीषण धूप में रहना पड़ा. बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक जो यात्री अवैध तरीके से बगैर रजिस्ट्रेशन के आए हैं, उन्हें ट्रैवल एजेंट्स चोरी-छिपे ऐसी जगह ठहरा रहे हैं, जहां बिजली पानी तक की व्यवस्था नहीं है. एसी तो दूर, पंखा भी नहीं है. ऐसे में गर्मी उनके लिए जानलेवा साबित हो रही है.

हज के दौरान मृत्यु होने पर ‘भारतीय हज समिति’ की गाइडलाइन क्या है?
अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली भारतीय हज समिति हर साल हज के लिए इच्छुक यात्रियों से आवेदन आमंत्रित करती है और तीर्थ-यात्रियों का चयन करती है. हज और इससे संबंधित मामलों में मुस्लिम तीर्थ-यात्रियों हेतु के लिए व्यवस्था करने की जिम्मेदारी इस समिति की है. हज यात्रा से पहले यह समिति एक गाइडलाइन जारी करती है, जिसमें आवेदन करने से लेकर सऊदी अरब में रहने की व्यवस्था के बारे में बताया जाता है. इसी गाइडलाइन में यह भी बताया जाता है कि हज यात्रा के दौरान, किसी कारण मौत होने पर क्या होगा.

हज पर मौत, फिर....
गाइडलाइन के मुताबिक, ‘प्राकृतिक कारणों या दुर्घटना के कारण किसी तीर्थयात्री की हज अवधि के दौरान मृत्यु होने पर, उस व्यक्ति को सऊदी अरब में प्रचलित प्रथा के अनुसार दफन किया जाएगा. हज सीज़न के पूरा होने के बाद, भारत के महावाणिज्य दूतावास की तरफ से मृत्यु प्रमाण पत्र सीधे मृत व्यक्ति के परिजनों को भेजा जाएगा.

आवेदन फॉर्म में पहले ही करनी होती है घोषणा
सऊदी अरब के हज कानून में भी साफ तौर पर कहा गया है कि अगर कोई शख्स हज करते हुए जान गंवाता है तो उसकी लाश उसके देश नहीं भेजी जाएगी बल्कि उनको सऊदी अरब में ही दफन किया जाएगा. हर हज यात्री सऊदी अरब आने से पहले एक आवेदन फॉर्म भरता है, जिसमें वो नियम को मानने की सहमति जताता है. वह इस बात की घोषणा करता/करती है कि परिवार की ओर से आपत्ति जताई जाती है तो उसे नहीं माना जाएगा. मुस्लिम समाज के बीच मक्का और मदीना को लेकर मान्यता है कि यहां की मिट्टी में दफन होना उनके लिए सौभाग्य जैसा है.

TAGS

Trending news