कोरोना वायरस से निपटने के लिए चीन में आखिर कैसे तैयार हुआ 10 दिनों में अस्पताल?
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कोरोना वायरस से निपटने के लिए चीन में आखिर कैसे तैयार हुआ 10 दिनों में अस्पताल?

चीन नोवेल कोरोनावायरस के प्रकोप से त्रस्त है.

कोरोना वायरस से निपटने के लिए चीन में आखिर कैसे तैयार हुआ 10 दिनों में अस्पताल?

बीजिंग: चीन नोवेल कोरोनावायरस के प्रकोप से त्रस्त है. अपने नागरिकों को महामारी का रूप लेते इस वायरस से बचाने के लिए चीन की कोशिशों की चहुंओर सराहना हो रही है. खासकर एक हजार बिस्तरों वाले हुओशेंसन अस्पताल की हर ओर चर्चा है, जोकि महज 10 दिनों में बनाकर तैयार कर दिया गया. चाइना डेली की रिपोर्ट के अनुसार, यह अस्पताल 33,900 वर्ग मीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है, जिसमें 1,000 बिस्तरों की क्षमता है. यह अस्पताल आधिकारिक तौर पर चार फरवरी से शुरू किया गया, जहां कोरोनावायरस से संक्रमित रोगियों का इलाज प्रारंभ हुआ.

वायरस के केंद्र वुहान शहर में इतनी तेजी से एक बड़े अस्पताल का निर्माण करके चीन ने एक बार फिर लाखों विदेशियों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है. इसकी चर्चा सोशल मीडिया पर भी खूब हो रही है. एक यूजर ने चीन की इस गति का प्रशंसा करते हुए ट्विटर पर लिखा, "भगवान ने सात दिनों में ब्रह्मांड बनाया. मुझे लगता है कि भगवान चीनी थे."

इसे काफी लोग चमत्कार भी बता रहे हैं. मगर यह चमत्कार चीन के मेहनती लोगों का ही परिणाम है, जिन्होंने दिन-रात परिश्रम कर इसे सच कर दिखाया है.

चाइना डेली की रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने 2003 में फैले वायरस एसएआरएस के लिए बीजिंग में अपनाए गए मॉडल को दोहराया. इसी मॉडल के साथ सैकड़ों कर्मचारी काम पर जुट गए. अस्पताल को निर्धारित समय पर बनाने के लिए 260 बिजलीकर्मी दिन रात लगे रहे. इसके अलावा यहां 36 घंटों के अंदर ही 5-जी सुविधा प्रदान की गई.

चूंकि यह अस्पताल एक संक्रमित वायरस के मरीजों को ठीक करने व इसके प्रसार को रोकने के लिए बनाया जा रहा था, इसलिए यहां एक दिन में ही एक ऐसी सुपर मार्केट तैयार की गई, जहां कोई भी व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति से संपर्क में आए बिना अपने सामान का भुगतान कर सकता है.

अस्पताल में 5931 शौचालय बनाए गए. अस्पताल के विभिन्न वार्डों को तैयार करने के लिए यहां 100 प्रबंधक और 500 कर्मचारी काम पर लगे रहे. काम को तेजी से करने के लिए कंप्यूटर व आईटी विशेषज्ञों की एक पूरी टीम को लगाया गया.

अस्पताल में आने वाले मरीजों की जांच में किसी प्रकार की दिक्कत न हो, इसके लिए दो हजार इलेक्ट्रिक थर्मामीटर और 700 नब्ज नापने के यंत्र स्थापित किए गए. इसके साथ ही मेडिकल रोबोट को भी तैनात किया गया.

अस्पताल के तेजी से निर्माण के लिए पूरे देश से इंजीनियरों को बुलाया गया था. इस इमारत को पूर्व निर्मित स्ट्रक्चर से तैयार किया गया. साथ ही इलाज की सभी आधुनिक सुविधाएं और उपकरण जुटाए गए. कुछ को अस्पताल में इंस्टॉल कर दिया और कुछ उपकरण बाहर से मंगाए गए. इसके लिए सीधे फैक्ट्रियों और दूसरे शहरों के अस्पताल से संपर्क साधा गया.

(इनपुट: एजेंसी आईएएनएस)

 

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