India Canada Conflict: ग्लोबल पॉलिटिक्स और वर्ल्ड ऑर्डर में भारत का जलवा देख दुनिया हैरान है. सुपरपावर अमेरिका और यूरोपियन यूनियन के नेता भी भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दोस्ती और उनके तेज दिमाग और विजन के मुरीद हैं. इस कड़ी में भारत ने कनाडा को फालतू की बयानबाजी करने के बजाए, भारत पर लगाए गए आरोपों के सबूत सौंपने के साथ-साथ भारत विरोधी खालिस्तानियों के पेंच कसने को कहा है. भारत ने कहा कि प्रधानमंत्री ट्रूडो के बयान और जांच एजेंसी के आरोप दो अलग-अलग बाते हैं. वो राजनीति लाभ के लिए अपनी एजेंसी का इस्तेमाल कर रहे हैं. भारत ने कहा कि मुख्य मुद्दा यह है कनाडा अपनी धरती पर मौजूद खालिस्तानी आतंकियों को भारत को सौंप दे. आपको बताते चलें कि 11 अक्टूबर को आसियान सम्मेलन के इतर पीएम मोदी और जस्टिन ट्रूडो का वर्किंग लंच के समय आमना-सामना हुआ था. उसे लेकर कनाडा की सरकारी मीडिया ने दोनों के बीच मुलाकात का दावा किया था, लेकिन भारत ने उनके दावे से इंकार किया है. 


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कनाडा को फटकार


आपको बता दें कि 18 जून 2023 को निज्जर की हत्या के बाद से ही दोनों देशों के संबंध काफी तनावपूर्ण बने हुए हैं. इस बीच भारत ने कनाडा को दो टूक नियम-कानून समझाते हुए ये बता दिया है कि प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो बिना कोई सबूत पेश किए आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के लिए मोदी सरकार के खिलाफ निराधार आरोप नहीं लगा सकते हैं और ना ही वो तथाकथित दोषियों को पकड़ने के लिए अपनी जांच एजेंसियों को राजनीतिक निर्देश नहीं दे सकते हैं. भारत ने शनिवार को ट्रूडो सरकार के शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों और एंबैसडर्स को भारत के रुख से भली भांति अवगत करा दिया गया है. भारत ने खालिस्तानी आतंकी की हत्या की जांच कर रहे अफसरों को लगातार दिए जा रहे राजनीतिक दिशा-निर्देश को गलत बताते हुए उस पर चिंता जताई है.


कनाडा को समझा दिया


भारत और कनाडा के वार्ताकारों की ये बैठक मोदी और ट्रूडो की संक्षिप्त मुलाकात के बाद हुई बयानबाजी को लेकर हुई. गौरतलब है कि 11 अक्टूबर को आसियान शिखर सम्मेलन में लाउंज से लंच जोन की ओर जाते समय दोनों नेताओं का आमना सामना हुआ था. 


भारत ने कनाडा को ये भी समझा दिया है कि भले ही अगले साल कनाडा के चुनावों के लेकर कनाडा के कुछ सियासी दल खालिस्तानियों का समर्थन लेने के लिए उनके आगे बिछे जा रहे हैं, लेकिन किसी देश पर आरोप लगाने को लेकर सावधानी बरतनी चाहिए. इस दौरान बेबुनियाद और  गुमराह करने वाले बयान नहीं दिये जाने चाहिए. कनाडा में अगले साल चुनाव होने जा रहे हैं. ऐसे में कनाडा में बड़ी संख्या में सिखों की मौजूदगी के कारण ट्रूडो को अक्सर खालिस्तानियों का समर्थन करते हुए देखा जा सकता है. इसी कड़ी में ट्रूडो की पार्टी के नेता एक सुर में निज्जर-निज्जर की रट लगाए हुए हैं.


दोनों देशों के अधिकारियों की मुलाकात के बाद भारत ने एक विस्तृत बयान जारी कर कहा कि कोई ठोस चर्चा नहीं हुई थी. गौरतलब है कि ट्रूडो ने 16 अक्टूबर को संघीय चुनावी प्रक्रियाओं और लोकतांत्रिक संस्थानों में विदेशी हस्तक्षेप की सार्वजनिक जांच से पहले उनकी उपस्थिति को ध्यान में रखते हुए जानबूझकर भारत पर निशाना साधा था. कनाडाई विदेश मंत्री मेलानी जोली पहले ही तथाकथित आयोग के सामने पेश हो चुकी हैं. कनाडा के नेताओं के इन फैसलों से साफ है कि वो किसी भी कीमत पर भारत सरकार को घेरने के एजेंडे पर काम कर रहे हैं.