चीन के BRI का दम निकालेगा भारत! रूस होते हुए यूरोप से ईरान तक बना रहा 7200 किमी लंबी सड़क; अब क्या करेगा ड्रैगन?
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चीन के BRI का दम निकालेगा भारत! रूस होते हुए यूरोप से ईरान तक बना रहा 7200 किमी लंबी सड़क; अब क्या करेगा ड्रैगन?

India-Iran Chahbahar Port Project: अपने  BRI प्रोजेक्ट के बल पर एशिया का सरताज बनने की सोच रहे चीन को भारत जोरदार टक्कर देने जा रहा है. वह ईरान के साथ मिलकर 7200 किमी लंबी ऐसी सड़क बनाने जा रहा है, जो चीन को बाईपास कर मध्य एशिया, रूस और यूरोप को भारत से जोड़ देगी.

चीन के BRI का दम निकालेगा भारत! रूस होते हुए यूरोप से ईरान तक बना रहा 7200 किमी लंबी सड़क; अब क्या करेगा ड्रैगन?

India North-South Corridor Update: लाल सागर में पश्चिमी देशों और हूती विद्रोहियों के बीच बढ़ रही झड़प के बीच भारतीय विदेश मंत्री डॉक्टर एस जयशंकर दो दिवसीय यात्रा पर ईरान पहुंचे हुए हैं. सोमवार को उनकी ईरान के विदेश मंत्री के साथ ही वहां के शहरी विकास मंत्री मेहरदाद बजरपाश से भी मुलाकात हुई. इस मुलाकात में दोनों देशों में चाहबहार बंदरगाह के विकास पर फाइनल एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर हुए. यह नया लॉन्ग टर्म एग्रीमेंट चाहबहार पर मौजूदा समझौते की जगह लेगा. 

खत्म हो जाएंगे चीन के ख्वाब

इस समझौते के साथ ही वाया अफगानिस्तान, रूस होते हुए यूरोप तक माल पहुंचाने के लिए 7200 किमी लंबे उत्तर- दक्षिण गलियारे के निर्माण पर भारत शुरू कर सकेगा. साथ ही अपनी फैक्ट्रियों में बने माल को मध्य एशिया, रूस और यूरोप के देशों तक कम लागत और समय में पहुंचा सकेगा. इस सड़क को भारत की ओर से चीन के BRI का जोरदार जवाब माना जा रहा है. ऐसा होने पर एशिया में बादशाह बनने की सोच रहे चीन के ख्वाब को झटका लगना तय माना जा रहा है. 

भारत और ईरान के बीच चाहबहार पर नया समझौता

सूत्रों के मुताबिक नया लॉन्ग टर्म एग्रीमेंट 10 साल के लिए किया गया है और इसके बाद यह ऑटोमेटिकली अपने आप एक्सटेंड हो जाएगा. जबकि मौजूदा समझौते को हर साल रिन्युअल करने की जरूरत थी. . इस समझौते के साथ ही भारत का इंटरनेशनल नॉर्थ- साथ कॉरिडोर बनाने और वाया ईरान, अफगानिस्तान होते हुए अपना माल मध्य एशिया के देशों में भेजने का सपना भी पूरा हो सकेगा.  भारत अफगानिस्तान और मध्य एशिया में अपनी कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए इस प्रोजेक्ट पर वर्ष 2016 से ही जोर दे रहा है. उस दौरान भारत ने ईरान और अफगान सरकार के साथ चाहबहार बंदरगाह को विकसित करने का त्रिपक्षीय समझौता किया था. 

उत्तर- दक्षिण गलियारे पर तेज होगा काम

इस बंदरगाह को बाद में इंटरनेशल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (INSTC) सड़क के जरिए अफगानिस्तान, आर्मेनिया, अजबरबैजान, उज्बेकिस्तान, रूस, यूरोप समेत मध्य एशिया तक पहुंचाया जाना है, जिससे भारत और इन देशों के रीजनल ट्रेड को बढ़ावा मिलेगा. विदेश मंत्री डॉक्टर जयशंकर चाहबहार बंदरगाह और अफगानिस्तान को मेन रीजनल ट्रांजिट हब मानते हैं. 

7200 किमी है गलियारे की लंबाई

विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने भी नवंबर 2023 में ईरान के विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्ला के साथ मुलाकात चाहबहार बंदरगाह को विकसित करने और पश्चिम एशिया के मौजूदा हालात पर चर्चा की थी. चाहबहार पोर्ट को INSTC प्रोजेक्ट का मेन सेंटर यानी की- हब माना जा रहा है. यह 7200 किमी लंबा मल्टी मोड ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट है, जिसके जरिए भारत में बना उत्पाद मध्य एशिया के देशों में भेजा जाना है. भारत ने इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने के लिए 85 मिलियन डॉलर इनवेस्ट किए हैं. इसके साथ ही अपनी हैवी क्रेन और दूसरी मशीनरी भी प्रोजेक्ट्स में लगाई हैं. 

संयुक्त परिवहन समिति का होगा गठन

भारत और ईरान के विदेश मंत्रियों की सोमवार को हुई बैठक में ईरान के शहरी विकास मंत्री हरदाद बजरपाश ने प्रस्ताव रखा दोनों देशों के बीच प्रासंगिक सहयोग का विस्तार करने के लिए एक संयुक्त परिवहन समिति का गठन किया जाएगा. यह समिति समिति ईरान की पारगमन क्षमताओं को सक्रिय करेगी और साथ ही भारत इस उत्तर-दक्षिण गलियारे का उपयोग कर सकेगा. भारतीय विदेश मंत्री सुब्रमण्यम जयशंकर ने ईरान में पारगमन और परिवहन में नए निवेश के लिए भारत की तत्परता व्यक्त की. जयशंकर ने ईरानी सड़क मंत्री को भारत के दौरे के लिए भी आमंत्रित किया. 

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