Mauritius and Chagos Archipelago: चागोस द्वीपसमूह और आइल डी फ्रांस का हिस्सा बनने वाले अन्य सभी द्वीपों को 1810 में फ्रांस ने ब्रिटेन को सौंप दिया था. उसके बाद आइल डी फ्रांस का नाम बदलकर मॉरीशस कर दिया गया.
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India-Mauritius Relations: चागोस (Chagos Archipelago) हिंद महासागर में स्थित सात एटॉल का समूह जिसमें 58 द्वीप है. इस वक्त ये ब्रिटेन की ब्रिटिश इंडियन ओशियन टेरेटरी का हिस्सा है. इन्हीं द्वीपों में से एक डिएगो-गार्सिया आइलैंड (Diego Garcia Island) में अमेरिका का प्रमुख मिलिट्री बेस है. अमेरिका को ये द्वीप लीज पर 1960 के दशक में दिया गया था. इसलिए सामरिक और रणनीतिक रूप से हिंद महासागर में चागोस द्वीप समूह की स्थिति महत्वपूर्ण हो जाती है. भारत का पुराना मित्र मॉरीशस ऐतिहासिक रूप से चागोस पर अपना दावा करता रहा है और ये चर्चा इसलिए हो रही है क्योंकि भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने वहां की दो दिवसीय यात्रा के दौरान इस मुद्दे पर भारत का समर्थन मॉरीशस को दिया है.
जयशंकर ने मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद कुमार जगन्नाथ के साथ एक कार्यक्रम में कहा, 'जैसा कि हम अपने गहरे और स्थायी संबंधों को देखते हैं. मैं आज आपको फिर से आश्वस्त करना चाहूंगा कि चागोस के मुद्दे पर भारत उपनिवेशवाद के उन्मूलन और राष्ट्रों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए अपने मुख्य रुख के अनुरूप मॉरीशस को अपना निरंतर समर्थन जारी रखेगा.'
मॉरीशस के विदेश मंत्री मनीष गोबिन ने तुरंत इस भावना का समर्थन किया. कार्यक्रम के तुरंत बाद गोबिन ने कहा, 'हम डॉ. जयशंकर के प्रति अपनी गहरी कृतज्ञता व्यक्त करते हैं कि उन्होंने चागोस द्वीपसमूह के संबंध में मॉरीशस को लगातार समर्थन दिया है जो उपनिनेशवाद के अंत, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता पर भारत के सैद्धांतिक रुख के अनुरूप है.'
चागोस द्वीपसमूह
चागोस द्वीपसमूह 60 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला 58 द्वीपों से बना एक प्रवालद्वीप समूह है. जो मॉरीशस के मुख्य द्वीप से लगभग 2,200 किमी उत्तर-पूर्व में और तिरुवनंतपुरम से लगभग 1,700 किमी दक्षिण-पश्चिम में स्थित है.
मॉरीशस सरकार की वेबसाइट के अनुसार चागोस द्वीपसमूह कम से कम 18वीं शताब्दी से मॉरीशस गणराज्य का हिस्सा रहा है. जब यह एक फ्रांसीसी उपनिवेश था और इसे आइल डी फ्रांस के नाम से जाना जाता था. चागोस द्वीपसमूह और आइल डी फ्रांस का हिस्सा बनने वाले अन्य सभी द्वीपों को 1810 में फ्रांस ने ब्रिटेन को सौंप दिया था. उसके बाद आइल डी फ्रांस का नाम बदलकर मॉरीशस कर दिया गया. ब्रिटिश शासन की पूरी अवधि के दौरान चागोस द्वीपसमूह का प्रशासन मॉरीशस के हिस्से के रूप में जारी रहा. 1965 में इसे मॉरीशस से अवैध रूप से अलग कर दिया गया और इस वक्त इस पर ब्रिटेन का कब्जा है.
संयुक्त राष्ट्र का प्रस्ताव
मॉरीशस ने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर यह मुद्दा उठाया है. इस संबंध में संयुक्त राष्ट्र महासभा का 2019 का प्रस्ताव है जो पुष्टि करता है कि 'चागोस द्वीपसमूह मॉरीशस का एक अभिन्न अंग है.' वो प्रस्ताव ये भी मांग करता है कि ब्रिटेन छह महीने की अवधि के भीतर बिना शर्त चागोस द्वीपसमूह से अपना औपनिवेशिक प्रशासन वापस ले ले. हालांकि इस प्रस्ताव पर कभी अमल नहीं किया गया.