WW-II Era Bomb: पश्चिम बंगाल में अंग्रेजों के जमाने का बम मिला तो हड़कंप मच गया. सेना के अधिकारियों के मुताबिक ये बम दूसरे विश्व युद्ध के दौरान बना था. जिसे लेकर एयरफोर्स ने फौरन एक्शन लिया.
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World War 2 Bomb: भारतीय वायु सेना (Indian Air Force) के अधिकारियों ने द्वितीय विश्व युद्ध के समय के एक बम को नष्ट (Bomb Disposed) कर दिया. यह घातक बम 29 जून को ग्रामीणों को तब मिला जब वो एक खेत की खुदाई कर रहे थे. जिला प्रशासन ने सबसे पुलिस को खबर की तो आपराधिक जांच विभाग (CID) ने संज्ञान लिया. फौरन पुलिस के बम निरोधक दस्ते वहां पहुंचा. उनकी रिपोर्ट के बाद इसे डिस्पोज करने के लिए सेना के पास भेजने का फैसला लिया गया. फौरन राज्य सरकार ने भारतीय वायु सेना से संपर्क किया तो एक्सपर्ट्स की टीम पश्चिमी मिदनापुर जिले के कलाईकुंडा हवाई अड्डे से पहुंची.
ऐसे निष्क्रिय हुआ 85 साल पुराना जिंदा बम
एचटी की रिपोर्ट के मुताबिक दूसरे वर्ल्ड वार के दौरान यानी करीब 1939 के आस-पास बना ये हैवी बम झारग्राम जिले के गोपीबल्लवपुर सामुदायिक ब्लॉक में स्थित, भूलानपुर गांव में सुवर्णरेखा नदी के किनारे मिला था. एयरफोर्स की टीम से इस बम को डिफ्यूज करने से पहले इसे एक लोकेशन पर रखा. फिर उन्होंने इसके चारो ओर एक बफर दीवार बनाने के लिए रेत की करीब 1000 से ज्यादा बोरियां खड़ी कर दीं. वहीं एहतियासी सुरक्षा उपाय के तौर पर धमाके से पहले इलाके के सभी घरों को खाली करा लिया गया था.
सीएम ममता बनर्जी ने जताई खुशी
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक्स पर ऑपरेशन की एक तस्वीर साझा करते हुए लिखा, 'बम को सुरक्षित और सफलतापूर्वक निष्क्रिय कर दिया गया. मैं इसमें शामिल सभी लोगों को अच्छे काम के लिए धन्यवाद देता हूं.'
आपको बताते चलें कि द्वितीय विश्व युद्ध में लगभग 70 देशों की थल-जल-वायु सेनाएं शामिल थीं. यह पहला मौका नहीं है कि जब द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान गिराए गए बम को जिंदा बरामद किया गया है. 1990 के दशक में जब आबादी बढ़ी तो इंसानी जरूरतों को पूरा करने के लिए और जगह की जरूरत महसूस हुई. इसके बाद बीते 35 सालों में कई बार इस राज्य में अलग-अलग जिलों में बम मिल चुके हैं.
भारतीय नौसेना भी डिफ्यूज़ कर चुकी है ऐसे बम
करीब 6 साल पहले कोलकाता के नेताजी सुभाष चंद्र बोस बंदरगाह के पास हुगली नदी में की जा रही ड्रेजिंग (गाद हटाने का काम) के दौरान शुक्रवार को दूसरे विश्वयुद्ध के समय का एक विशालकाय बम मिलने से हड़कंप मच गया था. वो बम अमेरिकी सेना द्वारा निर्मित था और करीब 450 किलोग्राम का था. 1942 से 1945 के बीच चीन-बर्मा (वर्तमान में म्यांमार)-भारत के युद्धक्षेत्र में अमेरिकी सेना ने इसी तरह के बमों का प्रयोग किया था. विशेषज्ञों का कहना है कि इसके फटने से करीब आधा किलोमीटर के दायरे में मौजूद लोगों की जान जा सकती थी. कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट के कर्मचारियों को पहले लगा कि यह टोरपीडो है. उन्होंने कोलकाता स्थित भारतीय नौसेना के बेस से संपर्क किया. बाद में बम को निष्क्रिय करने के लिए सेना से सहयोग मांगा गया था.