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तेहरान: ईरान (Iran) में शुक्रवार (18 जून) को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में कट्टर मौलवी इब्राहिम रायसी (Ebrahim Raisi) की जीत लगभग तय मानी जा रही है. रायसी को ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामनेई (Ayatollah Ali Khamenei) का पसंदीदा माना जाता है. संसद के अनुसंधान केंद्र के प्रमुख अलीरेजा जकानी के राष्ट्रपति पद की दौड़ से हटने के बाद इब्राहिम रायसी की दावेदारी और भी मजबूत हो गई है. रायसी को बेहद क्रूर कहा जाता है, ऐसे में इसकी पूरी संभावना है कि मौजूदा राष्ट्रपति हसन रूहानी (Hassan Rouhani) की कुर्सी पर बैठने के बाद वह और भी ज्यादा क्रूर हो जाएं.
‘द सन’ की रिपोर्ट के अनुसार, कट्टरपंथी मौलवी इब्राहिम रायसी (Ebrahim Raisi) ने कुछ साल पहले कथित तौर पर गर्भवती महिलाओं को यातना देने का आदेश दिया था. इतना ही नहीं उसके आदेश पर कैदियों को पहाड़ों से फेंक दिया गया था और मासूम लोगों की बिजली की तारों से पिटाई भी की गई थी. रायसी 1988 में सामूहिक नरसंहार के फैसले से भी जुड़े रहे हैं.
न्यायपालिका के प्रमुख रहे इब्राहिम रायसी ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामनेई के करीबी माने जाते हैं. यही वजह है कि ईरान में उनका काफी दबदबा है. हालांकि, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का मानना है कि रायसी के देश का राष्ट्रपति बनने से स्थिति और भी खराब हो जाएगी. 1988 के सामूहिक नरसंहार में रायसी ने अहम भूमिका निभाई थी. 1980 में महज 20 साल की उम्र में रायसी को तेहरान के पश्चिम में करज की क्रांतिकारी अदालत का अभियोजक नियुक्त किया गया था और 1988 में उन्हें प्रमोट करके Deputy Prosecutor बना दिया गया.
इसके बाद उन्हें चार सदस्यों की उस समिति का हिस्सा बनाया गया, जिसे ईरान पीपुल्स मुजाहिदीन संगठन (People’s Mojahedin Organization of Iran- PMOI) के कैद कार्यकर्ताओं की हत्या का जिम्मा सौंपा गया था. जिसके तहत ईरान की जेलों में बंद करीब 30 हजार लोगों को कुछ ही महीनों के अंतराल में गोलियों से भून दिया गया था, इसमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे. बता दें कि इस नरसंहार को लेकर ईरान को पूरी दुनिया की आलोचना का सामना करना पड़ा था.
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फरीद गौदरज़ी (Farideh Goudarzi) उन लोगों में शामिल हैं, जिन्हें इब्राहिम रायसी की क्रूरता का शिकार होना पड़ा. जब फरीद आठ महीने की गर्भवती थीं तब ईरान के अधिकारियों ने उन्हें PMOI के समर्थन के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था और कई दिनों तक यातनाएं दी थीं. फरीद गौदरज़ी ने ‘द सन’ को बताया कि 21 साल की उम्र में उन्हें गिरफ्तार किया गया था. उन्होंने पहली बार इब्राहिम रायसी को तब देखा जब उन्हें घसीटते हुए कोर्ट में पेश किया गया था.
फरीद ने बताया कि उन्हें अदालत के बेसमेंट में बने टॉर्चर रूम में ले जाया गया, जहां चारों तरफ खून बिखरा हुआ था. यहां उन्हें हर रोज यातनाएं दी जाती थीं, यह जानते हुए भी कि वह गर्भवती हैं. फरीद के पति और भाई को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था, जिन्हें बाद में फांसी पर लटका दिया गया. फरीद गौदरज़ी इब्राहिम रायसी को कसाई कहती हैं. उन्हें लगता है कि यदि रायसी राष्ट्रपति की कुर्सी पर बैठ जाते हैं तो ईरान में मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों में तेजी आएगी.