Sunita Williams In Space: अंतरिक्ष में क्या खतरे में हैं सुनीता विलियम्स, क्यों उठा यह सवाल, NASA का क्या है कहना?
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Sunita Williams In Space: अंतरिक्ष में क्या खतरे में हैं सुनीता विलियम्स, क्यों उठा यह सवाल, NASA का क्या है कहना?

Sunita Williams News: नासा और बोइंग के स्टारलाइनर अंतरिक्ष यान को 5 जून को लॉन्च होने के बाद अपने मिशन के अप्रत्याशित एक्सटेंशन का सामना करना पड़ा है.

Sunita Williams In Space: अंतरिक्ष में क्या खतरे में हैं सुनीता विलियम्स, क्यों उठा यह सवाल, NASA का क्या है कहना?

Space Mission: अंतरिक्ष यात्री बैरी 'बुच' विल्मोर और सुनीता 'सुनी' विलियम्स को ले जाने वाले नासा और बोइंग के स्टारलाइनर अंतरिक्ष यान 5 जून को लॉन्च हुआ. अब इसे अप्रत्याशित एक्सटेंशन का सामना करना पड़ा है. शुरू में इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आईएसएस) के लिए एक सप्ताह की टेस्ट फ्लाइट के रूप में योजना बनाई गई थी, लेकिन अब कई तकनीकी मुद्दों के कारण मिशन अनिश्चित अवधि तक खिंच गया है.

मिशन का प्राथमिक उद्देश्य
बोइंग स्टारलाइनर मिशन का प्राइमरी ऑबजेक्टिव इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) के लिए क्रू द्वारा टेस्टिंग फ्लाइट का ऑपरेशन करना है. इस मिशन का मकसद वास्तविक दुनिया के वातावरण में अंतरिक्ष यान के प्रदर्शन, सुरक्षा और विश्वसनीयता को प्रमाणित करना है.

ऐसा करके, नासा और बोइंग नियमित क्रू मिशनों के लिए स्टारलाइनर को प्रमाणित करने का इरादा रखते हैं, जो एक मजबूत और टिकाऊ मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम को बनाए रखने के नासा के लक्ष्य में योगदान देता है.

इसमें यह सुनिश्चित करना शामिल है कि स्टारलाइनर अंतरिक्ष यात्रियों को ISS से सुरक्षित रूप से ले जा सके, जिससे स्पेस एक्सप्लोरेशन और रिसर्च के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका की क्षमताओं में वृद्धि हो सके.

क्या गलत हुआ?
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अंतरिक्ष में पहुंचने पर, स्टारलाइनर को हीलियम रिसाव और थ्रस्टर समस्याओं का सामना करना पड़ा. ये थ्रस्टर अंतरिक्ष यान को चलाने के लिए जरूरी हैं, और कोई भी खराबी महत्वपूर्ण जोखिम पैदा कर सकती है.

इन चुनौतियों के बावजूद, नासा और बोइंग इस बात पर जोर रहे हैं कि विल्मोर और विलियम्स फंसे नहीं हैं. वे अंतरिक्ष यान आपात स्थिति में पृथ्वी पर लौटने में सक्षम है. उनकी वापसी में देरी करने का फैसला इन तकनीकी मुद्दों की व्यापक समझ और समाधान सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लिया गया है.

नासा ने शुरू में अनुमान लगाया था कि अंतरिक्ष यान की बैटरी लाइफ के आधार पर स्टारलाइनर 45 दिनों तक अंतरिक्ष में रह सकता है. हालांकि, हाल के आकलनों से संकेत मिलता है कि बैटरियां उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं, जिससे नासा मिशन को 45 दिनों तक और बढ़ा सकता है. CNN की एक अन्य रिपोर्ट में दावा किया गया है कि नासा इसे और भी आगे बढ़ाकर 90 दिन करने पर विचार कर रहा है.

इंजीनियर समस्याओं का निदान करने के लिए टेस्टिंग और विश्लेषण कर रहे हैं. इसमें नासा की व्हाइट सैंड्स फैसिलिटी में अतिरिक्त परीक्षण शामिल हैं, जहां अंतरिक्ष की स्थितियों को दोहराने और खराबी को बेहतर ढंग से समझने के लिए एक परीक्षण थ्रस्टर को फायर किया जाएगा.

एक से ज़्यादा समस्याएं
इन तकनीकी चुनौतियों के बीच, क्रू को अपनी तत्परता की एक और परीक्षा का सामना करना पड़ा. एक रिटायर रूसी सैटेलाइट अचानक टूट गया, जिससे मलबा अंतरिक्ष में तेज़ी से फैल गया. एहतियात के तौर पर, विल्मोर और विलियम्स ने स्टारलाइनर के अंदर शरण ली, ताकि ज़रूरत पड़ने पर ISS से अलग हो सकें. सौभाग्य से, मलबे से तत्काल कोई खतरा नहीं था, और अंतरिक्ष यात्री लगभग एक घंटे के बाद अंतरिक्ष स्टेशन पर वापस लौटने में सक्षम थे.

अंतरिक्ष यात्रा अपने आप में जोखिम भरी है, लेकिन सुनीता विलियम्स के अंतरिक्ष में रहने के समय में लगातार बढ़ोतरी से मौजूदा मिशन की जटिलताएं उजागर हो रही हैं.

नासा और बोइंग विल्मोर और विलियम्स को सुरक्षित वापस लाने के लिए काम कर रहे हैं, वे मूल्यवान डाया भी इकट्ठा कर रहे हैं जो भविष्य की उड़ानों को सूचित और बेहतर बनाएगा.

इन मुद्दों का समाधान न केवल मौजूदा मिशन के लिए बल्कि नासा के मानव अंतरिक्ष उड़ान में स्टारलाइनर प्रोग्राम के भविष्य के लिए भी महत्वपूर्ण है.

स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियां
स्पेस और पृथ्वी के वातावरण में काफी अंतर होता है. वहां पर माइक्रोग्रैविटी, रेडिएशन का खतरा, स्पेस स्टेशन के सीमित क्वार्टर मानव स्वास्थ्य के लिए एक चुनौती है. अंतरिक्ष स्टेशन पर ज्यादा समय तक रुकना जोखिम भरा हो सकता है. अंतरिक्ष यात्रियों के लिए स्पेस में तात्कालिक परिवर्तनों में एक द्रव पुनर्वितरण है. ग्रेविटी न होने की वजह से शारीरिक तरल पदार्थ शरीर के ऊपर वाले भाग पहुंचने लगते हैं. इसकी वजह से चेहरे पर सूजन, नाक बंद होना और पैरों में तरल पदार्थ की कमी होने लगती है. इससे रक्त की मात्रा कम होने का खतरा रहता है और ब्लड प्रेशर में गड़बड़ी हो सकती है.

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