कहां गए ISIS के हजारों विदेशी लड़ाके? सीरिया एवं इराक में 2014 में किया था 'खिलाफत' का ऐलान
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कहां गए ISIS के हजारों विदेशी लड़ाके? सीरिया एवं इराक में 2014 में किया था 'खिलाफत' का ऐलान

एक अनुमान के मुताबिक, दुनियाभर से करीब 40,000 लोगों ने आईएस में शामिल होने के लिए हथियार उठाए थे.

माना जाता है कि सौ-दो सौ लड़ाके अब भी आईएस को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं. (फाइल फोटो)

वॉशिंगटन: आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) ने 2014 में जब सीरिया एवं इराक के क्षेत्रों पर कब्जा किया था और खिलाफत की घोषणा की थी, उस वक्त, एक अनुमान के मुताबिक, दुनियाभर से करीब 40,000 लोगों ने आईएस में शामिल होने के लिए हथियार उठाए थे. माना जाता है कि सौ-दो सौ लड़ाके अब भी आईएस को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं, जबकि वे अपने कब्जे में में लिए गए ज्यादातर क्षेत्र पश्चिमी देशों के समर्थन वाली सीरिया एवं इराकी गठबंधन सेनाओं के हाथों हार चुके हैं.

लेकिन बाकी लड़ाकों का क्या हुआ ? घमासान लड़ाई में आईएस के हजारों लड़ाके मारे जा चुके हैं, लेकिन अमेरिकी विशेषज्ञों का मानना है कि अनेक लड़ाकों की जान बच गई है, जिनसे भविष्य में खतरा हो सकता है. रैंड कॉर्पोरेशन में अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा एवं रक्षा नीति केंद्र के निदेशक सेठ जोंस ने कहा, ‘‘मुद्दा यह है कि कितने मारे गए हैं ? कितने अब भी वहां हैं और लड़ना चाह रहे हैं ? कितने लोग लड़ने के लिए कहीं और गए हैं?’’

उन्होंने कहा, ‘‘कितने लोगों ने लड़ाई से तौबा कर ली है ? मैं नहीं समझता कि हमारे पास कोई अच्छा जवाब है.’’ अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद रोधी संगठन इन सवालों के जवाब देने के लिए काफी कोशिशें कर रहे हैं और आईएस लड़ाकों का नाम जानने, उनकी गिनती करने और आईएस के विदेशी लड़ाकों का पता लगाने के लिए काफी मेहनत कर रहे हैं. 

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उल्लेखनीय है कि इराक के प्रधानमंत्री हैदर अल-आबदी ने यहां से जिहादी संगठन इस्लामिक स्टेट को खदेड़ने के लिए तीन साल से चल रहे युद्ध में शनिवार (9 दिसंबर) को जीत की घोषणा की थी. चश्मदीदों ने बताया कि इराकी सेना की इकाइयों ने मध्य बगदाद के मुख्य चौराहे पर मार्च किया और उनके ऊपर हेलीकॉप्टर एवं लड़ाकू विमान उड़ान भर रहे थे. परेड का सीधा प्रसारण नहीं किया गया और सिर्फ सरकारी मीडिया को इसमें हिस्सा लेने की इजाजत थी.

आबदी ने जीत की घोषणा के बाद रविवार (10 दिसंबर) को सार्वजनिक अवकाश की घोषणा कर दी थी. उन्होंने कहा कि इराक ने ‘अपनी एकता एवं हमारे समर्पण’ से जिहादियों को मात दे दी. आईएस के आतंकवादियों ने 2014 में इराक के बड़े हिस्से और पड़ोसी सीरिया को अपने नियंत्रण में ले लिया था और एक सीमा पार ‘खिलाफत’ की घोषणा कर डाली थी. इस संगठन ने लोगों पर कई जुल्म ढाए थे.

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इस बीच, लंदन में ब्रिटिश प्रधानमंत्री टेरीजा मे ने इराक को चेताया है कि इस्लामिक स्टेट अब भी बड़ा खतरा बना हुआ है. टेरीजा ने इस्लामिक स्टेट के खिलाफ युद्ध की आधिकारिक घोषणा पर आबदी और सभी इराकियों को इस ‘ऐतिहासिक क्षण’ के लिए बधाई दी और कहा कि यह एक ज्यादा शांतिपूर्ण एवं समृद्ध देश बनाने की दिशा में एक नया अध्याय है. हालांकि, उन्होंने चेतावनी दी कि अभी काफी कुछ करने की जरूरत है. उन्होंने 9 दिसंबर को एक बयान में कहा, ‘हमें एक चीज साफ-साफ समझ लेनी चाहिए कि आईएसआईएस विफल जरूर हो रहा है, लेकिन वह अभी हारा नहीं है. वह अब भी सीरियाई सीमा सहित पूरे इराक के लिए बड़ा खतरा है.’

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