चीन जिस 'मंदिर' को मानता है युद्ध का प्रतीक, जापानी PM ने वहां दान देकर सबको चौंकाया
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चीन जिस 'मंदिर' को मानता है युद्ध का प्रतीक, जापानी PM ने वहां दान देकर सबको चौंकाया

जापान में प्रधानमंत्री का पद संभालने के बाद फुमियो किशिदा ने पहली बार किसी धार्मिक स्थल को दान भेजा है. किशिदा ने जिस मंदिर को दान दिया है वो काफी विवादित जगह है. 

फुमियो किशिदा, जापान के नए प्रधानमंत्री (फाइल फोटो)

टोक्यो: जापान के नए प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा (Fumio Kishida) ने टोक्यो के एक धर्मिक स्थल में रविवार को दान दिया. किशिदा ने जिस मंदिर में दान दिया है उस जगह को चीनी और कोरियाई लोग जापानी युद्ध हमलों का प्रतीक मानते हैं. हालांकि, किशिदा ने व्यक्तिगत रूप से उस मंदिर में जाकर दर्शन नहीं किए. किशिदा ने यासूकुनी श्राइन (Yasukuni Shrine) के शरद उत्सव के मौके पर 'मासाकाकी' धार्मिक आभूषण दान स्वरूप भेजे हैं. 

  1. जापान के पीएम ने विवादित मंदिर में दिया दान
  2. उस मंदिर का दौरा करने से बचते हैं जापान के नेता
  3. चीन और कोरिया उस जगह को मानते हैं हमले का प्रतीक

जापानी प्रधानमंत्री के दान के निकाले जा रहे हैं कई मायने

आपको बता दें किशिदा ने 4 अक्टूबर को जापान के नए प्रधानमंत्री का पद संभाला था, जिसके बाद से उनकी यह पहली धार्मिक गतिविधि है. दरअसल बीसवीं सदी के पूर्वार्द्ध (First Half) में जापान द्वारा किए गए हमले से पीड़ित चीनी और कोरियाई लोग इस मंदिर को जापान के आक्रमण का प्रतीक मानते हैं. जापानी प्रधानमंत्री के इस कदम को उनके आलोचक, देश के युद्ध अत्याचारों को लेकर पश्चाताप नहीं होने के रूप में देखते हैं.

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पूर्व प्रधानमंत्री सुगा ने किया मंदिर का दौरा 

गौरतलब है कि किशिदा वीकेंड में उत्तरी जापान के 2011 की सुनामी में प्रभावित इलाकों का दौरा कर रहे थे और वह मंदिर नहीं गए. इससे पहले भी जापान के पूर्व प्रधानमंत्री योशिहिडे सुगा (Yoshihide Suga) ने भी अपने एक साल के कार्यकाल के दौरान केवल दान ही भेजा था लेकिन अब वह सितंबर में पद से हटने के बाद रविवार को मंदिर पहुंचे. सुगा ने कहा कि वह देश के लिए अपने बहुमूल्य जीवन न्योछावर करने वाले लोगों को श्रद्धांजलि देने और उनकी आत्माओं को शांति मिलने की प्रार्थना करने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री के तौर पर मंदिर गए थे.

इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे (Shinzo Abe) साल 2013 में यासूकुनी गए थे, जिसके बाद चीन और कोरिया ने प्रतिक्रिया व्यक्त की थी और उसके बाद से कोई जापानी नेता पद पर रहते हुए वहां जाने से बचते नजर आए हैं.

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