लंदन के मशहूर टॉवर ब्रिज में आई तकनीकी दिक्कत, हवा में अटके रहे पुल के दोनों हिस्से
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लंदन के मशहूर टॉवर ब्रिज में आई तकनीकी दिक्कत, हवा में अटके रहे पुल के दोनों हिस्से

ब्रिटेन की शान माना जाने वाला लंदन का ब्रिज टॉवर (Bridge Tower) तकनीकी समस्या की वजह से लोगों के लिए मुसीबत बन गया और पूरा शहर लगभग जाम हो गया.

और हवा में झूलते रहे क्लॉक टॉवर के पुल के दोनों पाट (तस्वीर-एएफपी)

लंदन: ब्रिटेन की शान माना जाने वाला लंदन का टॉवर ब्रिज (Tower Bridge) तकनीकी समस्या की वजह से लोगों के लिए मुसीबत बन गया और पूरा शहर लगभग जाम हो गया. दरअसल ये तकनीकी खराबी टॉवर ब्रिज के ड्रॉब्रिज (Drawbridge) (दो पाटों वाले पुल) के खुलते समय आई, जिसके बाद पुल के दोनों हिस्से हवा में ही रह गए और वहीं पर जाम हो गए. जानकारी के मुताबिक पुल के हाइड्रोलिक सिस्टम (Hydrolic System) में खराबी आ गई थी.

  1. लंदन का मशहूर ब्रिज टॉवर चर्चा में आया
  2. पुल के पाट खुलते समय आई तकनीकी दिक्कत, सड़क काफी देर तक रही बंद
  3. पुल के नीचे से हर साल गुजरते हैं पानी के सैकड़ों मालवाहक जहाज

इस ब्रिज टॉवर की खासियत इसमें दोनों तरफ से उठाए जाने वाले हिस्से हैं, जिनके खुलने के बाद ही पुल के नीचे से पानी के जहाज गुजर पाते हैं. इस तरह से हर साल करीब 800 बार ये पुल खुलता है और जहाज निकलते हैं. इस दौरान ट्रैफिक रोक दिया जाता है, लेकिन शनिवार को तकनीकी दिक्कतों की वजह से ट्रैफिक कई घंटों तक रुका रहा.

टॉवर ब्रिज के ट्विटर हैंडल के मुताबिक ये पुल करीब 240 मीटर लंबा है और शनिवार को तकनीकी खराबी की वजह से काफी देर तक बंद रहा. हालांकि बाद में पैदल चलने वालों के लिए स्थिति सामान्य हो गई, लेकिन गाड़ियों को निकलने में काफी वक्त लगा. और करीब करीब पूरे लंदन शहर पर इसका असर देखा गया.

दरअसल, टॉवर ब्रिज के नीचे से कुछ ही समय पहले एक पानी का जहाज गुजरा था, जिसे रास्ता देने के लिए ब्रिज टॉवर के पुल के दोनों हिस्सों को उठाया गया था, लेकिन पुल के दोनों हिस्से बाद में जुड़ ही नहीं पाए. ये स्थिति काफी देर तक बनी रही, जिसके बाद पुलिस ने लोगों से अपील की कि वो किसी दूसरे रास्ते का इस्तेमाल करें. हालांकि बाद में ब्रिज टॉवर के ट्विटर हैंडल पर ही जानकारी दी गई कि पुल में आई तकनीकी खराबी को दूर कर लिया गया है.

लंदन की शान माने जाने वाले ब्रिज टॉवर का निर्माण 1886 में शुरू हुआ था और ये 1894 में बनकर तैयार हुआ था. इस पुल के हाइड्रोलिक सिस्टम साल 1976 तक कोयले के इंजन से चलते थे, लेकिन बाद में ये तेल और बिजली की मशीनों से चलने लगे.

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