Bangladesh Crisis in Hindi: बांग्लादेश में इस वक्त 3 स्टूडेंट्स लीडर की खासी चर्चा हो रही है, जिन्होंने शेख हसीना का तख्तापलट कर उन्हें देश निकाला तक दे दिया. आखिर वे लीडर कौन हैं.
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Main leaders of Bangladesh Student Protest: बांग्लादेश में तख्तापलट हो चुका है और शेख हसीना देश छोड़कर भारत आ चुकी हैं. आरक्षण के मुद्दे पर शुरू हुआ आंदोलन अब एक GLOBAL ISSUE बन गया है. दो महीने पहले छात्रों का सैलाब सड़कों पर उतरा, उसे रोकने के लिए सेना और पुलिस को पीएम हाउस से FREE HAND दिया गया..और फिर बांग्लादेश की सड़कों पर वो हुआ..जिसने बांग्लादेश में एक और तख्तापलट की SCRIPT तैयार कर दी. अब कहा जा रहा है कि 3 छात्रों ने मिलकर बांग्लादेश की हसीना सरकार की सत्ता को जड़ से उखाड़ फेंका. कौन हैं ये तीन लड़के.
कौन हैं 3 लीडर्स, जिनकी हो रही चर्चा?
मुद्दा आरक्षण का, आंदोलन छात्रों का और निशाने पर शेख हसीना की सरकार. लाखों की भीड़ लेकिन सामने से ना कोई संगठन का बैनर था और ना ही किसी सियासी दल का कोई चेहरा. तो फिर आखिर ऐसा क्या हुआ कि आरक्षण के खिलाफ शुरू हुआ आंदोलन देखते ही देखते तख्तापलट तक पहुंच गया. सवाल है कि कौन से ऐसे 3 स्टूडेंट लीडर हैं, जिनकी चर्चा ढाका की गलियों से निकालकर अब ROUND THE GLOBE हो रही है.
पहला नाम- नाहिद इस्लाम. ढाका यूनिवर्सिटी का स्टूडेंट और आंदोलन का सबसे बड़ा चेहरा. दूसरा नाम- आसिफ महमूद...ढाका यूनिवर्सिटी में लैंग्वेज स्टडीज का स्टूडेंट. तीसरा नाम- अबु बकर मजूमदार...ढाका यूनिवर्सिटी में जियोग्राफी का स्टूडेंट. कहा जा रहा है कि यही वो तीन चेहरे हैं, जिन्होंने शेख हसीना सरकार की जड़ हिलाने का काम किया.
छात्र आंदोलन का सबसे बड़ा चेहरा
नाहिद इस्लाम को छात्र आंदोलन का सबसे बड़ा चेहरा बताया जा रहा है. आरोप है कि 20 जुलाई की सुबह पुलिस ने उसे अगवा किया और 24 घंटों के बाद नाहिद एक पुल के नीचे बेहोशी की हालत में मिला. 6 दिनों बाद नाहिद को दोबारा डिटेक्टिव ब्रांच ने उठाया. पुलिस की पिटाई से घायल नाहिद के चेहरे ने प्रदर्शनकारियों को भड़का दिया. इसी वजह से आरक्षण पर फैसला वापस होने के बाद भी छात्र हिंसक होकर सड़क पर उतर गए.
आंदोलन का दूसरा चेहरा है आसिफ महमूद. 26 जुलाई को डिटेक्टिव ब्रांच की तरफ से हिरासत में लिए लोगों में आसिफ महमूद भी शामिल था. उसे भी बाकी लोगों की तरह इलाज के दौरान अस्पताल से हिरासत में लिया गया था. रिहाई से पहले आसिफ ने विरोध प्रदर्शनों को वापस लेने की बात कही थी. रिपोर्ट्स के मुताबिक पुलिस ने मारपीट कर जबरन वीडियो बनवाया था.
मार्शल लॉ नहीं करेंगे कबूल- आरिफ
शेख हसीना के बांग्लादेश छोड़ने के बाद आसिफ महमूद ने देश में मार्शल लॉ को स्वीकार नहीं करने की बात कही है. आंदोलन का तीसरा चेहरा है अबु बकर मजूमदार. जो सिविल राइट्स और ह्यूमन राइट्स को लेकर लगातार एक्टिव रहता है. अबू को 19 जुलाई की शाम धानमंडी इलाके से कुछ लोग अपने साथ ले गए. बाद में अबू ने पुलिस पर आंदोलन वापस लेने के लिए दबाव बनाने का आरोप लगाया.
दरअसल इन तीनों की रिहाई और आरक्षण पर फैसला वापसी के बाद आरक्षण की आग ठंडी पड़ने लगी थी. शेख हसीना सरकार ने इंटरनेट सेवा को बहाल कर दिया था. जिसके बाद इन तीनों ही छात्रों के साथ हुए अत्याचार की पूरी दास्तां पूरे बांग्लादेश के छात्रों तक तेजी से पहुंचने लगी और इसके हफ्ते भर के भीतर ही बांग्लादेश में ठंडी होती आग तख्तापलट की ज्वालामुखी बनकर फट गई.
छात्रों को कैंपस में घुसकर मारी गई गोलियां
दरअसल आरक्षण को लेकर छात्रों के आंदोलन को रोकने के लिए पुलिस और सेना ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी. विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में हेलीकॉप्टर से कमांडोज़ को उतारा गया. आरोप है कि शेख हसीना के आदेश पर EDUCATIONAL INSTITUTES में घुसकर छात्रों को गोली तक मारी गई.
जुन और जुलाई के महीने में ऐसे कई वीडियो वायरल हुए. जिसमें छात्रों के साथ कुछ ऐसा बर्ताव किया जा रहा था...कहा गया कि सेना और पुलिस ने छात्रों को मारकर उनके शव को जहां तहां फेंक दिया. इस आंदोलन के दौरान अबु सईद नाम के एक छात्र को प्वाइंट ब्लैंक रेंज से गोली मारने का भी वीडियो वायरल हुआ था. जिसके बाद बांग्लादेश के छात्रों ने कलम छोड़कर आंदोलन की तलवार उठा ली.