नया सुरक्षा कानून लागू करने के बाद अब चीन की कम्युनिस्ट सरकार हांगकांग (Hong Kong) में बच्चों को निशाना बना रही है.
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बीजिंग: नया सुरक्षा कानून लागू करने के बाद अब चीन (China) की कम्युनिस्ट सरकार हांगकांग (Hong Kong) में बच्चों को निशाना बना रही है. बीजिंग हांगकांग में पाठ्यपुस्तकों को नए सिरे से लिख रहा है, ताकि बच्चों को यह समझाया जा सके कि चीन की उनका सबकुछ है.
2012 में भी चीन (China) ने ऐसा ही प्रयास किया था, लेकिन तब वह अपने मंसूबे में कामयाब नहीं हो पाया था. हांगकांग के लोगों ने यह कहते हुए ‘चीनी मॉडल’ पर केंद्रित पाठ्यपुस्तकों फाड़ दिया था कि ये बच्चों का ब्रेकवॉश करती हैं.
आठ साल पहले 90,000 माता-पिता और किशोरों ने चीन की चाल के खिलाफ मार्च निकाला था. हालांकि, 2020 में वह ऐसा नहीं कर सकते, क्योंकि नए सुरक्षा कानून के तहत विरोध-प्रदर्शनों पर पाबंदी है. अब यदि पेरेंट्स कहते हैं कि चीन द्वारा तैयार की जा रहीं टेक्स्ट बुक्स उनके बच्चे का ब्रेनवॉश करती हैं, तो उन्हें सलाखों के पीछे भेज दिया जाएगा. चीनी सरकार हांगकांग को पूरी तरह से बदल रही है. लेनन वॉल की तस्वीरों को हटा दिया गया है, जो अम्ब्रेला आंदोलन की प्रमुख कलाकृतियों में से एक थी.
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चीन हांगकांग में छोटे बच्चों को मुख्य रूप से तीन चीजें पढ़ाना चाहता है, चीन का डर, कानून का डर और विरोध का डर. चीन स्वीकार करता है कि वह चीनी पहचान को बहाल करने के लिए हांगकांग के स्कूलों को बदल रहा है. बीजिंग का कहना है कि पहले की पाठ्यपुस्तकों ने जोशुआ वोंग और नाथन लॉ जैसे कट्टरपंथियों को जन्म दिया है, इसलिए उनमें सुधार की आवश्यकता है.
हालांकि, चीन Apple Daily अखबार को अपने अनुसार ढालने में अब तक असफल रहा है. अखबार के मालिक जिमी लाई पर नए सुरक्षा कानून के तहत कानूनी घेरा कसा जा रहा है. लाई का मानना है कि चीन शहर की आखिरी बची हुई आजादी भी छीन रहा है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी लाई के रुख का समर्थन कर चुके हैं. लाई ने कम्युनिस्ट सरकार के खिलाफ लगातार मोर्चा खोला हुआ है. लिहाजा अब चीन चाहता है कि हांगकांग में कोई दूसरा लाई न पैदा हो, इसलिए बच्चों को वैसी शिक्षा उपलब्ध कराने पर तुल गया है, जो उसे लेकर खौफ पैदा करे. ताकि कोई चीन के खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत न दिखा सके.
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जिमी लाई का कहना है कि चीन पुस्तकालयों में पुस्तकों पर प्रतिबंध लगाने और स्कूली पाठ्यक्रम को फिर से लिखने के लिए स्टेट सेंसरशिप फैक्ट्री चला रहा है. हांगकांग में कुछ लोग चीन की तुलना नाजियों से कर रहे हैं. उनका कहना है कि जिस तरह एडॉल्फ हिटलर ने बच्चों-युवाओं का ब्रेनवॉश किया था, वैसे ही शी जिनपिंग करने में लगे हैं. नाज़ियों और माओ की तरह, चीन उन प्रोफेसरों और शिक्षकों को अपना शिकार कर रहा है, जो उसकी आज्ञा मानने को तैयार नहीं हैं.