अपनी सरकार से ज्यादा Modi सरकार से खुश हैं चीन के लोग, ग्लोबल टाइम्स के सर्वेक्षण में खुलासा
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अपनी सरकार से ज्यादा Modi सरकार से खुश हैं चीन के लोग, ग्लोबल टाइम्स के सर्वेक्षण में खुलासा

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की लोकप्रियता केवल देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बढ़ती जा रही है. यहां तक कि चीन (China) में भी बड़ी संख्या में लोग उनके मुरीद हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)

बीजिंग: भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की लोकप्रियता केवल देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बढ़ती जा रही है. यहां तक कि चीन (China) में भी बड़ी संख्या में लोग उनके मुरीद हैं. लद्दाख हिंसा के तीन महीने बाद चीन के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स (Chinese mouthpiece, Global Times) द्वारा किये गए एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है कि अधिकांश चीनी अपने नेताओं से ज्यादा PM मोदी की कार्यप्रणाली से खुश हैं.  

  1. लद्दाख हिंसा के तीन महीने बाद चीन के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने किया सर्वेक्षण
  2. 51 फीसदी से ज्यादा चीनी नागरिकों ने मोदी सरकार की सराहना की
  3. 25 प्रतिशत के अनुसार, दोनों देशों के संबंध लंबे समय तक मजबूत बने रहेंगे

मोदी सरकार की सराहना
सर्वेक्षण के मुताबिक, लगभग 50 प्रतिशत चीनी नागरिक बीजिंग के अनुकूल प्रभाव रखते हैं, जबकि 50 फीसदी लोगों ने भारत की मोदी सरकार (Modi government) की सराहना की है. लगभग 70 फीसदी मानते हैं कि भारत में चीन विरोधी भावना काफी ज्यादा हो गई है. वहीं, 30 प्रतिशत से अधिक लोगों को लगता है कि दोनों देशों के संबंधों में सुधार होगा. सर्वेक्षण में शामिल नौ फीसदी लोगों का मानना है कि भारत-चीन के रिश्तों में सुधार अल्पावधि के लिए होगा,  जबकि 25 प्रतिशत के अनुसार, दोनों देशों के संबंध लंबे समय तक मजबूत बने रहेंगे.

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भारत को लुभाने में लगी हुआवेई
इस बीच, चीन की सबसे बड़ी टेक कंपनी हुआवेई (Huawei) भारत के सभी प्रमुख दैनिक समाचार पत्रों में बड़े-बड़े विज्ञापन प्रकाशित कर भारत को लुभाने की कोशिश कर रही है. Huawei द्वारा यह दर्शाने का प्रयास किया जा रहा है कि भारत के साथ उसका रिश्ता काफी पुराना है. वह पिछले 20 वर्षों से यहां कारोबार कर रही है और हमेशा भारत के हितों के लिए प्रतिबद्ध है. दरअसल, लद्दाख हिंसा के बाद से चीनी कंपनियां भारत सरकार की हिटलिस्ट में हैं. फाइनेंशियल टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत हुआवेई और अन्य चीनी कंपनियों से चरणबद्ध ढंग से रिश्ते खत्म करना चाहता है. औपचारिक प्रतिबंध के बजाय, भारत ने कथित तौर पर दूरसंचार कंपनियों को साफ कर दिया है कि चाइनीज गियर से दूर रहें.

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कई देशों में लगा प्रतिबंध 
हुआवेई पहले से ही संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और ऑस्ट्रेलिया में पूर्ण प्रतिबंध का सामना कर रहा है. न्यूजीलैंड में भी इसे आंशिक रूप से प्रतिबंधित किया गया है. हुआवेई के सीएफओ मेंग वानझोउ कनाडा में प्रत्यर्पण की कार्यवाही का सामना कर रहे हैं. अमेरिका ईरान प्रतिबंधों के कथित उल्लंघन पर उनकी हिरासत चाहता है. कनाडा और चीन एक कूटनीतिक युद्ध लड़ रहे हैं, वहीं हुआवेई क्रॉसफायर में फंस गई है. इसलिए वह विज्ञापनों के जरिये भारत में खुद को बचाने की कोशिशों में लगी है.  

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