नवाज़ शरीफ़ ने जिंदल से मुलाकात को बताया पर्दे के पीछे की 'कूटनीति', पाक सेना को लिया भरोसे में
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नवाज़ शरीफ़ ने जिंदल से मुलाकात को बताया पर्दे के पीछे की 'कूटनीति', पाक सेना को लिया भरोसे में

बीबीसी उर्दू के अनुसार शरीफ ने पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा को जिंदल के साथ मुलाकात को लेकर भरोसे में लिया। शरीफ और जिंदल की मुलाकात बीते 27 अप्रैल को हुई थी।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की फाइल फोटो.

इस्लामाबाद: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने सेना से कहा है कि भारतीय इस्पात कारोबारी सज्जन जिंदल के साथ पिछले महीने की उनकी मुलाकात पर्दे के पीछे की कूटनीति का हिस्सा है. बीबीसी उर्दू के अनुसार शरीफ ने पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा को जिंदल के साथ मुलाकात को लेकर भरोसे में लिया. शरीफ और जिंदल की मुलाकात बीते 27 अप्रैल को हुई थी.

सरकार ने सेना के नेतृत्व को सूचित किया कि जिंदल के साथ शरीफ की एक घंटे तक चली मुलाकात पर्दे के पीछे की कूटनीति का हिस्सा है. खबर में कहा गया है कि दोनों देशों के बीच तनाव कम करने के लिए जिंदल को कुछ महत्वपूर्ण भारतीय अधिकारियों का समर्थन हासिल है.

भारत में सीमा पार आतंकी हमलों और भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को दी गई मौत की सजा सहित कई मुद्दों को लेकर दोनों देशों के रिश्तों में तनाव है. खबर में पीएमएल-एन के एक नेता के हवाले से कहा गया है कि शरीफ ने जिंदल के साथ अपनी मुलाकात के बारे में ज्यादा कुछ नहीं बोला.

जिंदल-शरीफ मुलाकात पर पाकिस्तान ने साधी चुप्पी

इससे पहले शनिवार (29 अप्रैल) को पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने भारतीय स्टील कारोबारी सज्जन जिंदल और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के बीच रावलपिंडी में हुई मुलाकात पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया था. सज्जन जिंदल की नवाज शरीफ और उनकी बेटी मरियम नवाज के साथ हुई इस मुलाकात को दोनों देशों के बीच रुकी हुई वार्ता प्रक्रिया को बहाल करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा था.

जिंदल को मोदी और शरीफ दोनों की नजदीकी माना जाता है

ऐसा माना जाता है कि जिंदल भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शरीफ दोनों के नजदीक हैं. जिंदल ने गुरुवार (27 अप्रैल) को रावलपिंडी के मूरी में शरीफ और उनकी बेटी से मुलाकात की और इसी दिन पाकिस्तान में मौजूद भारतीय उच्चायुक्त गौतम बंबावाले ने पाकिस्तान की अदालत द्वारा जासूसी के आरोप में भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को सुनाए गए मृत्युदंड के फैसले के खिलाफ याचिका दायर की.
यह याचिका जाधव की मां की ओर से दायर की गई थी. जाधव की मां ने अपने बेटे की रिहाई के लिए सरकार से हस्तक्षेप की गुहार लगाई है.

पाकिस्तान की नेशनल असेंबली की विदेश मामलों की समिति में जिंदल के इस दौरे की चर्चा उठी थी. लेकिन विदेश सचिव तहमीना जांजुआ इस संबंध में किसी सवाल का जवाब नहीं दे पाई थीं और समिति के चेयरमैन अवैश लेगारी ने चर्चा पर विराम लगाया था. परोक्ष रूप से मध्यस्थ की तरह देखे जा रहे जिंदल, शरीफ परिवार से मिलने हेलीकॉप्टर से सीधे मूरी पहुंचे.

कई मौकों पर जिंदल ने कराई है मोदी और शरीफ की मुलाकात

इससे पहले 2014 में नेपाल में हुई दक्षेस देशों की बैठक से इतर जिंदल ने मोदी और शरीफ के बीच गोपनीय बैठक का इंतजाम करवाया था. डॉन की रिपोर्ट में कहा गया था कि मोदी और शरीफ के बीच हुई इस गोपनीय बैठक के चलते ही दक्षेस देशों की बैठक सफल हो पाई थी और क्षेत्रीय विद्युत ग्रिड बनाने पर सहमति बनी थी. शरीफ के जन्मदिन 25 दिसंबर, 2015 को जब मोदी अचानक प्रोटोकॉल तोड़ते हुए लाहौर पहुंच गए थे, तब भी जिंदल वहीं थे.  समिति की बैठक के दौरान पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की नफीसा शाह ने पूछा कि जिंदल की यात्रा पर सरकार चुप क्यों है?

मरियम नवाज ने ट्विटर पर दी जानकारी

ज्ञात हो कि प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जिंदल के साथ हुई बैठक के बारे में कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया. हालांकि मरियम नवाज ने ट्वीट कर जिंदल से मुलाकात की पुष्टि की थी. उन्होंने मीडिया में आई खबरों में इस मुलाकात को गोपनीय बताए जाने का खंडन भी किया था. मरियम ने शुक्रवार (28 अप्रैल) को ट्वीट किया, "जिंदल, प्रधानमंत्री के पुराने मित्र हैं. इस बैठक में गोपनीय जैसा कुछ नहीं था और इसे आवश्यकता से अधिक तूल नहीं दिया जाना चाहिए."

इमरान खान की पार्टी ने उठाए थे सवाल

वहीं पाकिस्तान तहरीक इंसाफ पार्टी की शिरीन मजारी ने आश्चर्य व्यक्त किया था कि जिंदल मूरी तक कैसे पहुंचे, जबकि उनका वीजा सिर्फ लाहौर और इस्लामाबाद यात्रा की ही इजाजत देता है. वहीं एक अन्य समाचार पत्र 'डेली टाइम्स' ने जिंदल की यात्रा पर 'जिंदल के दौरे पर मची हलचल' शीर्षक से अपने संपादकीय में लिखा है, "भारतीय कारोबारी जिंदल के इस दौरे ने अटकलों का बाजार गर्म कर दिया है कि क्या वह पाकिस्तान की सरकार के लिए भारत से कोई संदेश लेकर आए थे, या उनके माध्यम से परोक्ष रूप से कूटनीति की जा रही है."

संपादकीय में लिखा गया था, "यह तो स्वीकार करना होगा कि दोनों देशों के बीच चल रहे तनावपूर्ण संबंधों को देखते हुए यह बैठक उम्मीद से परे थी. यह मांग भी जायज है कि किसी निर्वाचित सरकार को किसी दूसरे देश के साथ किसी भी माध्यम से होने वाले संबंध या करार पर स्पष्टवादी होना चाहिए."

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